हिंदुत्व को जानने आए थे 13 रूसी नागरिक, ऐसा हुआ लगाव कि बन गए हिंदू
रूस से आए 13 लोगों को हिंदू धर्म इस कदर भाया कि उन्होंने इसको ही अपना लिया। यह सब कुछ हुआ हिसार में। इन सभी को हिंदू नाम भी दिए गए हैं।
हिसार [श्याम नंदन/सुरेश मेहरा]। हिंदुत्व को करीब से जानने और तीर्थ स्थलों को देखने की मंशा से रूस से भारत आए 13 रूसी नागरिक अब नई पहचान के साथ स्वदेश लौटेंगे। हिंदू धर्म और पूजा-पद्धति से प्रभावित होकर भिवानी के बाबा जहरगिरी आश्रम में हिंदू धर्म अपनाने वाले इन विदेशी नागरिकों ने स्वदेश लौटने के बाद मास्को में शिव मंदिर बनवाने का निर्णय लिया है। वहां ये हिंदू धर्म पद्धति के अनुसार यज्ञ अनुष्ठान तो करवाएंगे ही, हिंदू धर्म का प्रचार-प्रसार भी करेंगे।
ऐसा होते ही छोटी काशी भिवानी से निकली वैदिक परंपरा की गूंज विदेशी धरती पर भी सुनाई देने लगेगी। भिवानी में वैदिक परंपरा की दीक्षा लेने वाले 13 रूसी लोगों ने भिवानी और मास्को के बीच गुरु शिष्य का ऐसा नाता जोड़ा है कि लंबे समय तक रूस में हिंदुत्व पल्लवित-पुष्पित होता रहेगा। इनके लौटने के बाद फरवरी में रूसी छात्रों की टीम भी भिवानी आएगी। ये विद्यार्थी भी वैदिक परंपरा की दीक्षा लेंगे। इसके बाद भिवानी के संत मास्को जाएंगे। वहां 1 से 7 मई तक मास्को में रहकर हवन यज्ञ आदि करके वैदिक परंपरा का प्रचार-प्रसार करेंगे।
ऐसे आए एक-दूसरे के करीब
बाबा जहरगिरी पीठाधीश्वर महंत डा. अशोक गिरी के शिष्य संगम गिरी बताते हैं कि सबसे पहले गलिना जिनका नया नाम गायत्री है, हमारे गुरुजी अशोक गिरी के संपर्क में आईं। वहां वे योग शिक्षक हैं। योग में दुनिया भारत को गुरु मानता है और योगेश्वर शिव की गलिना के मन में भी श्रद्धा थी। अशोक गिरी 2017 में शक्ति पीठ कामख्या असम गए थे। वहां गलिना के संपर्क में आए। उन्होंने वहां लंबी बातचीत की। दोनों को ही अंग्रेजी का बेहतर ज्ञान होने के कारण भाषा समस्या नहीं बनी और उन्होंने अपने-अपने ज्ञान और भावों का आदान-प्रदान किया। इसके बाद जूना अखाड़ा के भी इसी साल वे संपर्क में आए। संगम गिरी ने बताया कि मास्को में वह खुद जून 2018 में गए थे और एक माह रुक कर आए थे। इसके बाद 2018 सितंबर में दोबारा मास्को गए और दो माह तक वैदिक परंपरा का प्रचार करके आए। इसके बाद वहां से भारत और खासकर भिवानी आने वाले रूसी लोगों की संख्या बढ़ गई है।
सबसे पहले इटली की तारागिरी पहुंची थी भिवानी
संगम गिरी बताते हैं कि भिवानी से विदेशियों के लगाव की बात करें तो यहां सबसे पहले इटली की तारागिरी आई थी। वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। फिलहाल वह सन्यासी बन चुकी हैं। यह वर्ष 2002 की बात हैं। तारागिरी ने देशभर के अनेक धार्मिक स्थल देखे पर भिवानी उनको ज्यादा सही लगा तो वह यहां से जुड़ गई।
अब तक 11 ज्योतिर्लिंग के कर चुके दर्शन
संगम गिरी ने बताया कि रूस से आए ये 13 लोग अब तक उत्तरप्रदेश के काशी विश्वनाथ, हिमाशंकर महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश के श्रीसैलम मल्लिकाअर्जुन, मध्यप्रदेश के महाकालेश्वर व ओंकारेश्वर, महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर और घूषनेश्वर, रामेश्वरम तमिलनाडू, सोमनाथ और नागेश्वर गुजरात, केदारनाथ उतराखंड को मिलाकर 11 ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर चुके हैं।
इसी माह कुंभ में भी स्नान कर चुके ये रूसी
वैदिक परंपरा अपनाने वाले ये रूूूूसी इस जनवरी में हुए शुरू हुए कुंभ में भी स्नान कर चुके हैं। उनकी चाहत है कि भारत देश के सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों के दर्शन करें। मंगलवार को वे कुरुक्षेत्र के लिए रवाना हो गए। अगले दो दिन वे हरियाणा के धार्मिक स्थलों का भ्रमण करेंगे।
...और ज्यादा ठहरने की इच्छा पर 25 तक है वीजा
संगम गिरी ने बताया कि वैदिक परंपरा अपनाने वाले ये लोग भारत में कुछ ज्यादा समय तक रुकना चाहते हैं लेकिन वीजा 25 जनवरी तक है। इसलिए वे ज्यादा दिन नहीं ठहर सकते।
गायत्री के विद्यार्थियों की टीम फरवरी में आएगी भिवानी
रूसी योग प्रशिक्षक गायत्री के विद्यार्थियों की टीम फरवरी में भिवानी आएगी। मास्को से भिवानी आने वाले विद्यार्थियों की यह टीम भी वैदिक परंपरा की दीक्षा लेगी।
नामकरण में भी भारतीय संस्कृति की झलक
रूसी नागरिकों के हिंदू धर्म में दीक्षित होने के बाद उन्हें दिए गए नामों में भी भारतीय संस्कृति की झलक स्पष्ट देखी जा सकती है। गलिना जहां गायत्री बन गई हैं, वहीं पावेल अब गणेश के नाम से जाने जाएंगे।
क्या कहते हैं महंत
भिवानी स्थित बाबा जहरगिरी आश्रम के महंत डा. अशोक गिरी का कहना है कि वैदिक परंपरा अपनाने वाले ये 13 लोग अब अपनी धरती पर भी वैदिक परंपरा का प्रचार करेंगे। योग शिक्षिका गलिनी उर्फ गायत्री के शिष्य फरवरी माह में भिवानी आएंगे और वैदिक परंपरा की दीक्षा लेंगे। इससे पहले हमारे संत भी मास्को जाएंगे।
हिंदू धर्म अपनाने वालों का नया नाम
- गलिना - गायत्री - योग शिक्षक
- पावेल - गणेश - कंप्यूटर प्रोग्राम टीचर
- इबगिनी - महेश - कंप्यूटर प्रोग्रामर
- अलोना - दुर्गेश - प्रोजेक्ट मैनेजर
- अंतोन - महेश - इलेक्ट्रीसिटी
- दीमित्री - दिनेश - साफ्टवेयर कंपनी में
- अंतोन - धु्व्र - आर्मी से रिटायर्ड
- इदबार्थ - धनजंय - साफ्टवेयर कंपनी में काम
- विक्टोरिया - विजय - गृहणी
- कैटरीना - नाया - गृहणी
- अक्षाना - सरस्वती - हेलीकॉप्टर बनाने वाली कंपनी में काम करती हैं
- तानिया - सरस्वती - प्रोजेक्ट मैनेजर
- आन्या - अलकनंदा - प्रोजेक्ट मैनजर