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कश्मीर में छह महीने में 110 युवा आतंकी संगठनों में हुए शामिल

पिछले साढ़े छह महीने में 110 युवा आतंकी संगठनों में शामिल हो चुके हैं। शोपियां, कुलगाम, पुलवामा व अनंतनाग जिले सबसे अधिक प्रभावित हैं।

By Manish NegiEdited By: Published: Sun, 29 Jul 2018 10:30 PM (IST)Updated: Mon, 30 Jul 2018 07:47 AM (IST)
कश्मीर में छह महीने में 110 युवा आतंकी संगठनों में हुए शामिल
कश्मीर में छह महीने में 110 युवा आतंकी संगठनों में हुए शामिल

जम्मू, राज्य ब्यूरो। कश्मीर में आतंकी संगठन युवाओं को जिहाद के नाम पर बरगलाने में जुटे हैं। पिछले साढ़े छह महीने में 110 युवा आतंकी संगठनों में शामिल हो चुके हैं। शोपियां, कुलगाम, पुलवामा व अनंतनाग जिले सबसे अधिक प्रभावित हैं।

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सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले साल कश्मीर में 126 युवा आतंकी संगठनों में शामिल हुए थे। इस साल दक्षिण कश्मीर का शोपियां जिला सबसे अधिक प्रभावित रहा है। इस जिले से 15 जुलाई तक 28 युवा आतंकी बन चुके हैं। हालांकि राज्य में राज्यपाल शासन लगने के बाद लापता होने वाले युवाओं की संख्या में कमी आई है, लेकिन अभी भी कुछ युवा बंदूक थाम रहे हैं।

सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार शोपियां, कुलगाम, पुलवामा और अनतंनाग के अलावा अवंतीपोरा में अधिक संख्या में युवा आतंकी संगठनों में शामिल हुए हैं। इन संगठनों में आइएस (इस्लामिक स्टेट)-कश्मीर और अनसार-गजावत-उल-हिंद शामिल हैं। ये वे संगठन हैं जो अलकायदा का समर्थन हासिल होने के दावे करते हैं। इन पांच जिलों से ही 91 युवा आतंकी संगठनों में शामिल हो चुके हैं। अधिकारियों के अनुसार गांदरबल के युवा रौफ के आतंकी संगठन में शामिल होने की उस समय पुष्टि हुई जब उसकी फोटो बंदूक के साथ सोशल मीडिया पर वायरल हुई। वह पालीटेक्निक कॉलेज में चौथे सेमेस्टर का छात्र था।

अधिकारियों के अनुसार अगर इसी तरह युवा बंदूक थामते रहे तो यह साल इस लिहाज से सबसे खराब साबित होगा। 2010 में 54, 2011 में 23, 2012 में 21 और 2013 में छह युवाओं ने बंदूक थामी थी। इसके बाद तेजी से युवाओं ने आतंकी संगठनों में शामिल होना शुरू कर दिया। 2014 में 52, 2015 में 66 और 2016 में 88 युवा आतंकी संगठनों में शामिल हुए। इस साल तो कई पढ़े-लिखे युवाओं ने बंदूक उठाई है। इनमें तहरीक-ए-हुर्रियत के चेयरमैन मुहम्मद अशरफ सहरेई का बेटा जुनैद अशरफ सहरेई शामिल है। वह कश्मीर यूनिवर्सिटी से एमबीए कर चुका था। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पीएचडी स्कॉलर मानन बशीर वानी ने भी इसी साल बंदूक उठाई।


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