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बुराड़ी फांसीकांडः ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा, ऐसा मोक्ष किसी काम का नहीं

जिंदगी मतलब उतार, चढ़ाव, सुख-दुख, तनाव और खुशी के लम्हों को जीते हुए आगे बढ़ना है।

By Vikas JangraEdited By: Published: Thu, 05 Jul 2018 05:48 PM (IST)Updated: Fri, 06 Jul 2018 05:00 AM (IST)
बुराड़ी फांसीकांडः ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा, ऐसा मोक्ष किसी काम का नहीं
बुराड़ी फांसीकांडः ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा, ऐसा मोक्ष किसी काम का नहीं

नई दिल्ली [जेएनएन]। देश की राजधानी दिल्ली में एक साथ पूरे परिवार के 11 लोगों की मौत ने पूरे देश को सकते में ला दिया है। अब से पहले तक लोगों के अवसाद में जाने के कारण खुदकुशी की ख़बरें सामने आती थीं लेकिन इस मामले में प्राथमिक जांच ने जो 'मोक्ष प्राप्ति के लिए सामूहिक आत्महत्या' की थ्योरी दी है, उसने फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या जिंदगी अब इतनी सस्ती हो चली है कि लोग यूं ही जान देने लगे हैं।

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जब फंदे पर लटके मिले 11 शव

उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी के संत नगर इलाके में एक ही घर से 11 शव बरामद हुए। इनमें सात महिलाओं और चार पुरुषों के हैं। ये दो परिवारों के कुल 11 लोग थे। फंदे पर लटके 10 शवों के आंखों पर पट्टी बंधी थी, जबकि एक शव जमीन पर पड़ा हुआ था। पुलिस के मुताबिक एक बुजुर्ग महिला अपने दो बेटों के 11 लोगों के परिवार के साथ करीब दो दशकों से यहां रह रहीं थीं। बुजुर्ग महिला का एक तीसरा बेटा भी है, चित्तौड़गढ़ में रहता है। वहीं, उसकी एक विधवा बेटी (58 साल) भी उनके साथ रहती थी। यह परिवार मूल रूप से राजस्थान का रहने वाला था।

मोक्ष प्राप्ति के लिए खुदकुशी की!

पुलिस को पहले दिन ही लग गया था कि ये आत्महत्या हो सकती है। हालांकि, ये समझ नहीं आ रहा था कि एक साथ पूरा परिवार कैसे आत्महत्या कर सकता है। दूसरी ओर घर में चोरी या लूट जैसे भी कोई लक्षण नहीं दिख रहे थे। फिर जांच में पुलिस को एक के बाद एक कई डायरी बरामद हुईं जिनमें इस सामूहिक आत्महत्या के संकेत थे। बुधवार को पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक परिवार ने बड़ पूजा के नाम पर खुद की बलि दे दी।

मरने के लिए बहुत खुश थे सभी !

पुलिस को हैरानी इस बात पर ज्यादा हो रही है कि पूरा परिवार ही आत्महत्या की बड़े चाव से तैयारियां कर रहा था। लग रहा था कि उनके लिए ये कोई अनुष्ठान हो। पुलिस को घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज में देखने को मिला कि फांसी के लिए स्टूल, रस्सी आदि खरीदने के दौरान सबके चेहरों पर खुशी है।

जान देना कितना सही ?

चाहे मोक्ष के कारण जान देने की बात हो या तनाव से हारकर जिंदगी का साथ छोड़ देने की, इसे गलत ही कहा जाएगा। हालांकि, तनाव में हमें लक्षण मिलते हैं और हम बीमारी के रूप में उसकी पहचान करते हुए उससे पार पाने की सफल कोशिश कर सकते हैं लेकिन मोक्ष के नाम पर खुदकुशी भी तनाव ही माना जा सकता है। ये वो तनाव है जो आपको अलग तरीके से जिंदगी के त्याग के लिए उकसाता है। जिंदगी मतलब उतार, चढ़ाव, सुख-दुख, तनाव और खुशी के लम्हों को जीते हुए आगे बढ़ना है। यूं भी जिंदगी इतनी सस्ती नहीं और न इतनी आसानी से मिलती है कि उसे यूं ही पलभर के आवेश के लिए गंवाया जाए।


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