छत्तीसगढ़: BJP विधायक पर हमले में सौ नक्सलियों के शामिल होने की आशंका
पुलिस ने घटनास्थल से बारूदी सुरंग का स्थान बताने वाला एक जीपीएस भी बरामद किया है।
रायपुर (पीटीआइ)। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में नक्सली हमले में बीजेपी विधायक की मौत की घटना में लगभग सौ नक्सलियों के शामिल होने की सूचना मिली है। एक पुलिस अधिकारी ने बुधवार को इसकी जानकारी दी।
पुलिस ने घटनास्थल से बारूदी सुरंग का स्थान बताने वाला एक जीपीएस भी बरामद किया है। लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से दो दिन पहले राज्य के दंतेवाड़ा जिले में नक्सलियों ने मंगलवार को बीजेपी के विधायक भीमा मंडावी और उनके चार सुरक्षाकर्मियों की हत्या बारूदी सुरंग में विस्फोट में कर दी थी। मंडावी दंतेवाड़ा क्षेत्र के ही विधायक थे।
दंतेवाड़ा जिले के पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव ने बुधवार को बताया कि इस घटना के दौरान नक्सली कमांडर विनोद और देवा के नेतृत्व में लगभग सौ की संख्या में नक्सलवादी मौजूद थे। इनमें से 50 से 60 हथियारबंद थे। पल्लव ने बताया कि इस क्षेत्र में माओवादियों की मलांगिर एरिया कमिटी सक्रिय है।
उन्होंने बताया कि इस एरिया कमिटी के साथ हमले में केरलापाल एरिया कमिटी और जगरगुंडा एरिया कमिटी के नक्सली भी शामिल थे। घटना के बाद नाइन एमएम पिस्टल और दो रायफल गायब हैं। संभवत: नक्सली उसे अपने साथ ले गए हैं। पुलिस अधिकारी ने बताया कि अभी तक मिली जानकारी के अनुसार नक्सलियों ने इस घटना को योजना बनाकर अंजाम दिया है क्योंकि कम समय में बड़ी संख्या में हथियारबंद नक्सली एकत्र नहीं हो सकते हैं।
अभिषेक पल्लव के मुताबिक, शायद विधायक मंडावी को नक्सलियों ने अपने बुने हुए जाल में फंसाया और उनकी हत्या की। क्षेत्र में मंगलवार को मंडावी का तीसरा चुनावी दौरा था। इससे पहले इस मार्ग को डीआरजी के जवानों ने पांच दिनों में दो बार सुरक्षित किया था। इससे इस बात की आंशका है कि नक्सलियों ने एक दिन में ही यहां बम को लगाया था।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि पुलिस मंडावी के कॉल डिटेल की जांच कर रही है। विधायक का मोबाइल फोन भी गायब है। शायद नक्सली उसे अपने साथ ले गए हैं। पल्लव ने बताया कि मंगलवार को घटना के दिन विधायक मंडावी को अतिरिक्त सुरक्षा दी गई थी।
हालांकि, विधायक ने अचानक अपने बुलेट प्रूफ वाहन में कुवाकोंडा की ओर जाने का फैसला किया, जिसके बाद एस्कॉर्ट वाहन में उनके सुरक्षा कर्मचारियों ने पुलिस को इस बारे में सूचित किया।
उन्होंने कहा कि बाचली पुलिस स्टेशन के मुख्य अधिकारी ने तुरंत विधायक को फोन किया, और सुरक्षा कारणों की वजह से उस रास्ते से जाने से माना किया।