पूरे देश में बदनाम है ये गांव, यहां के लोगों की करतूत से उजड़ चुके हैं कई परिवार
150 सिकलीगर परिवार और करीब 900 की आबादी वाला यह गांव देशभर में हथियार बनाने के लिए कुख्यात है।
बुरहानपुर, (युवराज गुप्ता)। मप्र-महाराष्ट्र सीमा की सतपुड़ा पहाड़ी पर दुर्गम जंगल में बसा पाचोरी गांव.. 150 सिकलीगर परिवार और करीब 900 की आबादी वाला यह गांव देशभर में हथियार बनाने के लिए कुख्यात है। दिल्ली, मुंबई, भोपाल, जबलपुर सहित कई बड़े शहरों में तस्करी में पकड़े गए यहां के युवकों के कारण गांव बदनाम है।
वर्ष 2003 में सिकलीगरों के आत्मसमर्पण के बाद पाचोरी के लोगों ने हथियार बनाने के कारोबार से तौबा कर ली, लेकिन सरकार की वादाखिलाफी से बेरोजगारी दूर नहीं हो सकी। उल्लेखनीय है कि जबलपुर में एसटीएफ ने हाल ही में पाचोरी के दो युवकों को हथियारों की तस्करी करते पकड़ा था। कन्नड़ पत्रकार गौरी लंकेश हत्याकांड में प्रयुक्त पिस्टल इसी गांव में बनी थी। इसके बाद यह गांव फिर सुर्खियों में आ गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस की कार्रवाई के बीच कई लोग बेरोजगारी और भुखमरी से परेशान होकर मजदूरी व अन्य छोटा-मोटा काम कर रहे हैं लेकिन 'अवैध हथियार बनाने वालों का गांव' का कलंक उनका पीछा नहीं छोड़ रहा है। गांव के 90 फीसदी लोग खेती-किसानी, मजदूरी या छोटे-मोटे व्यवसाय से जुड़ गए हैं, लेकिन 10 फीसद आज भी अवैध हथियार बनाने के गोरखधंधे से जुड़े हैं। इससे पूरा गांव अब भी बदनाम है।
खोखले साबित हुए सरकारी वादे
पाचोरी निवासी सिकलीगर समाज के जिलाध्यक्ष, वन सुरक्षा समिति के अध्यक्ष जतनसिंह फूलसिंह पटवा व गुरद्वारे के ज्ञानी तकदीरसिंह व मनजीतसिंह का कहना है कि 2003 में पुलिस-प्रशासन के आला अफसरों व जनप्रतिनिधियों के समक्ष पूरे गांव ने अवैध हथियार बनाने से तौबा कर आत्मसमर्पण किया था। तब अफसरों ने सिकलीगरों को योजनाओं के तहत लोन दिलाकर स्वरोजगार से जोड़ने की बात कही थी। काम से लगाने का कहा था, लेकिन ये वादे खोखले साबित हुए। बाद के तीन साल तक भले ही कि सी ने हथियार नहीं बनाए लेकिन सरकारी तंत्र के आगे सभी ने घुटने टेक दिए। बेरोजगारी और भुखमरी के कारण घर के गहने बेचकर जीवनयापन करना पड़ा।
चोरी-छिपे बना रहे हथियार
समाजसेवी संस्थाओं की मदद से यहां के कु छ परिवारों ने रोजगार स्थापित कि या लेकि न गरीबी के कारण कुछ युवा फिर चोरी-छिपे अवैध हथियार बनाने व बेचने के धंधे में लग गए। इससे पुलिस वालों ने गांव के लोगों को परेशान कर रखा है। गांव के बाशिंदे शक की नजरों से देखे जाते हैं। यहां के निवासी 'हथियार बनाने वालों का गांव' का कलंक धोना चाहते हैं, बशर्ते रोजगार मिले।
नहीं मिला लोन
पिछले दिनों खकनार में लगे रोजगार मेले के माध्यम से 71 परिवारों ने स्वरोजगार के लिए बैंकों में आवेदन किया था, लेकिन किसी का भी लोन स्वीकृत नहीं हुआ। बैंक वालों गारंटी के नाम पर आवेदन स्वीकृत नहीं किए।
आरोप निराधार
पुलिस पर लगाए जा रहे आरोप निराधार हैं। यदि बेरोजगार हैं तो क्या ये लोग हथियार बनाएंगे। यह गलत है। पुलिस ने कि सी को यर्थ परेशान नहीं कि या और न ही बिना कारण कोई के स दर्ज कि या।
-पंकज श्रीवास्तव, एसपी बुरहानपुर
लोन स्वीकृत कराएंगे
-पाचोरी के सिकलीगर समाज के लोग यदि खुद का रोजगार स्थापित करने के लिए बैंक से लोन चाहते हैं तो वे आवेदन लेकर आएं। एसडीएम से इनकी बैठक करा देंगे और लोन स्वीकृत कराने का प्रयास करेंगे।
-सत्येंद्रसिंह, कलेक्टर बुरहानपुर