आप जानते हैं क्यों खास है आज का दिन, नहीं तो यहां पर एक बार जरूर पढ़ें
कुछ ही दिन तारीख में बदलते हैं और इतिहास बन जाते हैं। ऐसा ही दिन 1 जुलाई का भी है, जो कई मायनों में बेहद खास है।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। कुछ ही दिन तारीख में बदलते हैं और इतिहास बन जाते हैं। ऐसा ही दिन 1 जुलाई का भी है, जो कई मायनों में बेहद खास है। यह दिन खास सिर्फ भारत के परिप्रेक्ष्य में ही नहीं है बल्कि पूरी दुनिया के लिए खास है। मुमकिन है कि इस खास दिन की जानकारी आपको कम हो या न भी हो, तो चलिए आपको हम आज के दिन की खासियत बताते हैं। ये एक नहीं बल्कि कई हैं।
डॉ बिधान चंद्र रॉय
आज 1882 में पश्चिम बंगाल में हुआ था। इनके जन्मदिन को डॉक्टर्स-डे के रूप में मनाया जाता है। 1928 में इन्होंने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की स्थापना में अहम भूमिका निभाई थी। डॉ रॉय पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री भी रहे थे। उनका जन्म 1 जुलाई 1882 को हुआ था। इसको इत्त्फाक ही कहा जाएगा कि 1962 में 1 जुलाई को उनका देहांत हुआ था। वह एक एक वरिष्ठ चिकित्सक, विद्वान् शिक्षाविद, निर्भीक स्वतंत्रता सेनानी, कुशल राजनीतिज्ञ और प्रसिद्ध समाज सेवक के रूप में याद किया जाता है। विशेषकर बंगाल के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में उनके द्वारा किए गये उल्लेखनीय कार्यों के संदर्भ में उन्हें 'बंगाल का मसीहा' भी कहा जाता है। सन 1947 में देश स्वतंत्र हुआ तो डॉ.राय को केंद्रिय मंत्रिमंडल में सम्मिलित करने पर विचार हुआ, किंतु उन्होंने अपने डॉक्टरी और समाज सेवा कार्यों को प्राथमिकता देते हुए स्पष्ट इंकार कर दिया।
तब गांधी जी के कहने पर उन्हें एक कांग्रेसी होने के नाते अपने कर्तव्य के रूप में बंगाल के मुख्यमंत्री पद का दायित्व ग्रहण करना पड़ा। डॉ. राय ने अपने जीवन काल में अनेक सार्वजनिक क्षेत्रों में अपनी पूरी क्षमता के साथ कार्य किया। आज भी उनके द्वारा भारत के विभिन्न स्थानों में स्थापित संस्थान इस बात का स्पष्ट प्रमाण हैं कि वे सही मायनों में राष्ट्र निर्माता थे। 'जादवपुर टी.बी.अस्पताल', 'चितरंजन सेवा सदन', आर.जी.खार.मेडिकल कॉलेज', 'कमला नेहरू अस्पताल', 'विक्टोरिया संस्थान' और 'चितरंजन कैंसर अस्पताल' प्रमुख हैं। उन्होंने अपने निवास स्थल को भी अपनी माता के नाम पर अस्पताल चालाने के लिए दान दे दिया। सन् 1957 में उन्हें भारतीय विज्ञान कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। 4 फरवरी 1961 में वरिष्ठ चिकित्सक, विद्वान् शिक्षाविद, निर्भीक स्वतंत्रता सेनानी, कुशल राजनीतिज्ञ और प्रसिद्ध समाज सेवक डॉक्टर बिधान चंद्र राय को भारत सरकार द्वारा 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया।
पंडित हरिप्रसाद चौरसिया
मशहूर बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया का जन्म आज 1938 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ। पंडित जी ने बांसुरी के जरिये शास्त्रीय संगीत को लोकप्रिय बनाने का काम किया। शुरुआत तबला वादक के रूप में की। कई साल इन्होंने ऑल इंडिया रेडियो के साथ काम किया। इन्हें भारत सहित कई विदेशी सम्मानों से नवाजा जा चुका है।
परम वीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद
परम वीर चक्र विजेता भारतीय सैनिक वीर अब्दुल हमीद का जन्म 1933 में आज ही के दिन उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में हुआ था। 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में अब्दुल हमीद ने अकेले ही पाकिस्तान के भरोसेमंद सात पैटन टैंकों को उड़ा दिया था। देश की सुरक्षा के लिए 10 सितंबर 1965 को अपने प्राणों की आहूति दे दी थी।
देश के लोगों की सेहत के लिए सर्वस्व झोंका
गॉटफ्रीड विल्हेंम लैबनिज
आज ही जर्मनी के दार्शनिक गॉटफ्रीड विल्हेंम लैबनिज की 375वीं जयंती भी है। वह गणित और दर्शन शास्त्र के बड़े विद्वान थे। उनहोंने यात्रिक गणना के क्षेत्र में काफी काम किया था। इतना ही नहीं उन्हेंं कैलकुलेटिंग मशीनों का जनक भी माना जाता है। यह मशीन कुछ ही देर में बड़ी से बड़ी गणना करने में सक्षम थी। इस मशीन की वजह से उन्हें एक नई पहचान मिली थी। इसके बाद वे इस मशीन को रॉयल सोसायटी लंदन लेकर गए, जहां उनके काम से प्रभावित होकर उन्हें 1673 में उन्हें। इसका सदस्य मनोनीत किया गया था। उनका जन्म जर्मनी के लिपजिंग में हुआ था।
राजकुमारी डायना
वेल्स की राजकुमारी डायना का जन्म 1961 में 1 जुलाई को ही हुआ था। वह ग्रेट ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के पुत्र और राज सिंहासन के दावेदार चार्ल्स, वेल्स के राजकुमार की पहली पत्नी और वेल्स की राजकुमारी थीं। शादी से पहले उनका नाम स्पेंसर था। 29 जुलाई 1981 को सेंट पॉल्स कैथेड्रल में राजकुमार चार्ल्स से हुई उनकी शादी का समारोह लगभग साढे सात सौ लोगों ने टेलीविजन पर देखा। शादी के बाद उन्हें वेल्स की राजकुमारी, कॉर्नवाल की डचेज, रोथसे की डचेज, चेस्टर की काउंटेस, और रेनफ्र्यु की बैरोनेस की उपाधियाँ भी मिलीं। वेल्स की राजकुमारी के तौर पर डायना ने कई आधिकारिक कार्य किये व रानी की प्रतिनिधि के रूप में देश विदेश में कई आयोजनों में हिस्सा लिया। उन्हें उनके दान पुण्य व सामाजिक कार्यों के लिये भी जाना जाता है। अपने जीवन काल में वह विभिन्न सामाजिक संस्थाओं की अध्यक्षा भी थीं। 31 अगस्त 1997 को महज 36 साल की उम्र उनका निधन हो गया था।
दुनिया की पहली अंतरराष्ट्रीय कॉल
दुनिया की पहली अंतरराष्ट्रीय टेलीफोन कॉल आज ही 1881 में कनाडा के सेंट स्टीफन और अमेरिका के मेन शहर के बीच की गई थी। इसकी शुरुआत बेल टेलीफोन कंपनी ने की थी।
बाजार में आया पहला वॉकमैन
सोनी कंपनी ने आज ही 1979 में पोर्टेबल ऑडियो कैसेट प्लेयर यानी वॉकमैन को दुनिया के सामने पेश किया वॉकमैन ने उस दौर में संगीत प्रेमियों को एक नये अंदाज में कम वजन वाले हेड फोन की मदद से कहीं भी, कभी
भी संगीत सुनने की आजादी दी थी। उस समय यह काफी लोकप्रिय हुआ था।
शनि की कक्षा में प्रवेश
मानव रहित रोबोटिक अंतरिक्ष यान कैसिनी-हुजेंस ने आज ही 2004 में शनि ग्रह की कक्षा में प्रवेश किया था। यह यान 13 साल वहां अपने अहम मिशन पर डटा रहा। इस पूरी समयावधि के दौरान इसने शनि और उसके उपग्रह की सैकड़ों तस्वीरें भेजीं। इस अंतरिक्ष यान को 1997 में अमेरिका के केप केनवरल एयर फोर्स स्टेशन से टाइटन नामक रॉकेट के जरिये छोड़ा गया था। 15 सितंबर 2017 को इससे संपर्क टूट गया। शनि ग्रह के भयंकर वायु मंडल की चपेट में आने से यह ध्वस्त हो गया।