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Nagar Nikay Chunav: मेरठ में चार सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित, स्थानीय सरकार के गठन को नफा-नुकसान पर मंथन

सोमवार शाम नगर निकाय के महापौर व पालिका व नगर पंचायतों के अध्यक्ष का आरक्षण जारी कर दिया गया। आरक्षण जारी होते ही नगर निगम की गलियों से लेकर पालिका के चौराहों तक पर जोरदार चर्चाएं शुरू हो गईं।

By Jagran NewsEdited By: Shivam YadavPublished: Tue, 06 Dec 2022 04:00 PM (IST)Updated: Tue, 06 Dec 2022 04:00 PM (IST)
Nagar Nikay Chunav: मेरठ में चार सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित, स्थानीय सरकार के गठन को नफा-नुकसान पर मंथन
पिछले निकाय चुनाव में महापौर के साथ कुल 10 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित थीं।

मेरठ, जागरण संवाददाता: नगर निकाय चुनाव की चौसर पूरी तरह से सज चुकी है। वार्डों के बाद अब नगर निगम के महापौर व पालिका और नगर पंचायत के अध्यक्ष पदों की स्थिति भी सोमवार को स्पष्ट हो गई है। पिछले निकाय चुनाव के मुकाबले इस बार महिलाओं के लिए मात्र चार सीटें ही आरक्षित की गई हैं। पिछले निकाय चुनाव में महापौर के साथ कुल 10 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित थीं। 

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सोमवार शाम नगर निकाय के महापौर व पालिका व नगर पंचायतों के अध्यक्ष का आरक्षण जारी कर दिया गया। आरक्षण जारी होते ही नगर निगम की गलियों से लेकर पालिका के चौराहों तक पर जोरदार चर्चाएं शुरू हो गईं। 

वर्ष 2017 के चुनाव के लिए किए गए आरक्षण पर नजर डालें तो महिलाओं के लिए नगर निगम के साथ पालिका सरधना और नगर पंचायत सिवालखास, करनावल, खिवाई, हर्रा, किठौर, शाहजहांपुर, दौराला और लावड़ आरक्षित की गई थी। इस बार पालिका सरधना, करनावल, हस्तिनापुर व परीक्षितगढ़ विभिन्न वर्गों में महिलाओं के लिए आरक्षित की गई है। 

नपं करनावल को छोड़ सभी का बदला भूगोल

निकाय आरक्षण ने नगर पंचायत करनावल को छोड़कर सभी निकायों का भूगोल बदल दिया है। इस बार आठ नगर पंचायतें अनारक्षित की गई हैं। चार निकायों को महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया है। ऐसे ही नगर निगम के साथ दौराला व खरखौदा को ओबीसी के लिए आरक्षित किया है। बहसूमा को जहां एससी, वहीं हस्तिनापुर को एससी महिला के लिए आरक्षित किया है।

आरक्षण की गली से गुजरेगा जीत का रास्ता

नगर निकाय चुनाव को लेकर नगर से लेकर कस्बों तक में सियासत का तापमान बढ़ गया है। पूर्व में हुए चुनाव में जिले के आठ निकायों पर निर्दलीयों ने जीत दर्ज कराकर सबको चौंका दिया था। भाजपा के खाते में नगर पंचायत परीक्षितगढ़ ही थी, जबकि बसपा ने बेहतर प्रदर्शन कर निगम के साथ नगर पंचायत किठौर, शाहजहांपुर और हस्तिनापुर में जीत दर्ज की थी। 

निकाय चुनाव में पूरी धमक के साथ उतरने के लिए सभी मुख्य राजनीतिक दल जुटे हुए हैं। अब महापौर व अध्यक्ष के लिए आरक्षण की तस्वीर साफ होने पर प्रत्याशियों के चयन को लेकर फिर से मंथन शुरू हो गया है। सभी का जोर वर्ष 2017 में हुए निकाय चुनाव में किए प्रदर्शन से आगे बढ़कर अपनी स्थानीय सरकार के गठन पर रहेगा। 

पूर्व के निकाय चुनाव की बात करें तो बसपा ही एक मात्र ऐसी पार्टी रही, जिसने सबसे बेहतर प्रदर्शन कर महापौर के साथ तीन नगर पंचायतों पर भी अपनी कब्जा जमाया था। तब सबसे खराब प्रदर्शन भाजपा और सपा का रहा। भाजपा ने परीक्षितगढ़ नगर पंचायत व जबकि सपा नगर पालिका सरधना में अपने बोर्ड का गठन करने में कामयाब रही। 

कांग्रेस ने भी पालिका मवाना में अपना खाता खोला और जीत दर्ज कर सबको चौंका दिया। ऐसे ही रालोद ने नगर पंचायत सिवालखास में जीत दर्ज की। लेकिन सबसे अधिक निर्दलीयों ने आठ निकायों में जीत का परचम लहराकर राजनीति के जानकारों को खूब हैरान किया।


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