पुराने जंगल बचाने के साथ नए माइक्रो जंगल बनाने की शुरुआत
औद्योगिक नगरी लुधियाना में जहां प्रदूषण की रोकथाम से लेकर पुराने जंगल बचाने के लिए चर्चा का दौर बना हुआ है वहीं शहर में माइक्रो जंगल बनाने की कवायद भी शुरू हो गई है। समाजसेवी संस्था आस अहसास द्वारा जिला प्रशासन के सहयोग से इस प्रयास को अंजाम तक पहुंचाया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, लुधियाना : औद्योगिक नगरी लुधियाना में जहां प्रदूषण की रोकथाम से लेकर पुराने जंगल बचाने के लिए चर्चा का दौर बना हुआ है, वहीं शहर में माइक्रो जंगल बनाने की कवायद भी शुरू हो गई है। समाजसेवी संस्था आस अहसास द्वारा जिला प्रशासन के सहयोग से इस प्रयास को अंजाम तक पहुंचाया जा रहा है। शनिवार को लुधियाना के हंबड़ा रोड पर एक एकड़ पंचायती जमीन पर हराभरा जंगल बनाने का आगाज किया गया। इसमें फैंसिग करने के साथ ही 300 से अधिक पौधे लगाए गए हैं। इसे घना हरियाली वाला स्थान बनाने की योजना है। शनिवार को डिप्टी कमिश्नर सुरभि मलिक, एडीसी अमित पंचाल और आस अहसास एनजीओ की अध्यक्षा रूचि कौर बावा की ओर से इसकी शुरुआत की गई।
इस दौरान गांव वासियों ने भी इस प्रोजेक्ट की प्रशंसा की और इसी तरह पूरे पंजाब में हरे भरे माइक्रो जंगल बनाने की कवायद आरंभ करने की बात कही। इस प्रोजेक्ट में जिला प्रशासन, आस अहसास एनजीओ और नरेगा टीम द्वारा संयुक्त प्रयास किया गया है। इस स्थान पर माइक्रो जंगल बनाने के लिए फल के साथ साथ मैडिसन वाले पौधे लगाए गए हैं। इसके साथ ही कुछ प्लांट ऐसे लगाए गए हैं, जो घने पेड़ बनें। इसकी देखभाल का जिम्मा नरेगा की टीम के साथ साथ गांव वासियों ने उठाया है। डिप्टी कमिश्नर सुरभि मलिक ने कहा कि आज हरियाली हमारे लिए अहम है। क्योंकि इसके जरिए हम वातावरण को साफ सुथरा कर कई बिमारियों से बच सकते हैं। आस अहसास एनजीओ की रूचि बावा ने कहा कि इस प्रोजेक्ट के लिए गांव के सरपंच और टीम का अहम योगदान रहा है। कार्यक्रम के दौरान भावना गुप्ता, सिप्पी भसीन, परमिदर सिंह, डा मनिदर, डा भूवि, गिन्नी मौदगिल, जिन्नी सिंह, डाली बहल, गीतू सेठ, मंजू बावा, नरेगा से शफीना और सोनिया सहित गांव निवासी शामिल हुए।