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Dhanbad: कभी हाथ से बने कागज पर इंग्लैंड से छप कर आता था पांच रुपये का नाेट, अंग्रेज शासक की रहती थी तस्‍वीर

पांच रुपये के कागजी नोट भले ही आज छपने बंद हो गए हैं लेकिन इनका लंबा इतिहास रहा है। एक वक्‍त ऐसा था जब ये इंग्‍लैंड से छप कर आते थे। धानबाद अमरेंद्र आनंद ने इसके बारे में कई जानकारियां दी।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenPublished: Tue, 06 Dec 2022 12:18 PM (IST)Updated: Tue, 06 Dec 2022 12:18 PM (IST)
Dhanbad: कभी हाथ से बने कागज पर इंग्लैंड से छप कर आता था पांच रुपये का नाेट, अंग्रेज शासक की रहती थी तस्‍वीर
भारत में पांच रुपये के नोट का रोचक इतिहास

आशीष सिंह, धनबाद। आज हम पांच रुपये के उन कागजी नोटों की बात करते हैं, जो आज छपने बंद हो गए हैं। मार्केट में जो भी नोट हैं वो पहले के हैं। पांच रुपये के इस कागजी नोट के बारे में आप बहुत कम ही जानते होंगे। गाहे-बगाहे ये आपको दिख जाएंगे। साल 2011 से पांच रुपये का कागजी नोट छपना बंद हो गया है।

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सिक्कों और कागजी मुद्रा का कलेक्शन करने वाले कुसुम विहार के अमरेंद्र आनंद बताते हैं कि पांच रुपये की अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 1965 तक पोस्ट आफिस पांच रुपये के राष्ट्रीय विकास पत्र और 12 वर्षीय राष्ट्रीय रक्षा पत्र जारी करता था।

इसकी खासियत यह थी कि पांच रुपये का 12 वर्ष के बाद आठ रुपया 75 पैसा मिलता था। लोग इसे जमा भी करते थे। अमरेंद्र के अनुसार उनके अपने संग्रह से 15 मई 1963 को खरीदी गई 12 वर्षीय राष्ट्रीय रक्षा पत्र की एक तस्वीर भी है।

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पहले एक-एक नोट की होती थी सात इंच लंबाई

अब बात करते हैं पांच रुपये के कागजी मुद्रा की। भारत में पांच रुपये का नोट 1861 से छपना शुरू हुआ। यह सात इंच लंबा और चार इंच चौड़ा था। इसका विशेषता यह थी कि यह हाथ से बने कागज पर इंग्लैंड से छप कर आता था। इस पर नोट के छपने की तारीख छपी होती थी। अंग्रेजी के अलावा अन्य आठ भाषाओं में पांच रुपये लिखा होता था। इस प्रकार के नोट 1925 तक छपे। 1925 से इसका आकार पांच इंच-चार इंच हो गया और दोनों तरफ छपने लगा। यह भी इंग्लैंड से ही छप कर आता था। इसमें पीछे की ओर आठ भाषाओं में पांच रुपये लिखा होता था।

नोट पर ब्रिटिश शासकों की छपती थी तस्‍वीर

भारत के नासिक में प्रिंटिंग प्रेस स्थापित होने के बाद 1933 से ये नोट नासिक से छपने लगा। इस पर गवर्नमेंट आफ इंडिया लिखा होता था और ब्रिटिश शासक के चित्र छापे होते थे। 1935 में रिजर्व बैंक आफ इंडिया के गठन के बाद इन नोटों पर गवर्नमेंट आफ इंडिया के बदले रिजर्व बैंक आफ इंडिया लिखा जाने लगा।

हेरिटेज गैलरी में कैद कागजी मुद्रा का सफरनामा

1947 तक इन पर ब्रिटिश शासक के ही चित्र छापे होते थे। ब्रिटिश शासन में अंतिम पांच रुपये का नोट प्रथम भारतीय गवर्नर सीडी देशमुख के हस्ताक्षर से जारी हुआ। अमरेंद्र आनंद ने बताया कि उनके संग्रहालय आनंद हेरिटेज गैलरी में आजादी के पहले के पांच रुपये के कागजी मुद्रा का सफरनामा मौजूद है।

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