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Independence Day 2022: रजिस्टर नंबर 8...चंद्रशेखर आजाद को कानूनी बेड़ियों में जकड़ने का गवाह है

Independence Day 2022 अंग्रेजी हुकूमत ने चंद्रशेखर आजाद को कानूनी बेडि़यों में कैद करने का एक दस्तावेज प्रयागराज के कर्नलगंज थाना में आज भी सुरक्षित है। कर्नलगंज थाना में मौजूद रजिस्टर नंबर आठ में 27 फरवरी 1931 को दर्ज किए मुकदमे में आजाद को प्रतिवादी बनाया गया था।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 15 Aug 2022 08:27 AM (IST)Updated: Mon, 15 Aug 2022 08:27 AM (IST)
Independence Day 2022: रजिस्टर नंबर 8...चंद्रशेखर आजाद को कानूनी बेड़ियों में जकड़ने का गवाह है
Independence Day 2022 प्रयागराज के कर्नलगंज थाने में रजिस्‍टर नंबर आठ में स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़े दस्तावेज सुरक्षित हैं।

प्रयागराज, [ताराचंद्र गुप्त]। Independence Day 2022 देश के वीर सपूत चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) का स्मरण करते ही हर शख्स का सीना चौड़ा हो जाता है वह अंतिम समय तक 'आजाद' ही रहे। हालांकि ब्रितानिया हुकूमत ने उन्हें कानूनी बेड़ियों में जकड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ा था। यहां प्रयागराज में आजाद से जुड़ा संस्‍मरण आज भी आजादी के उन दिनों की याद दिलाता है।

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अंग्रेजी हुकूमत ने चंद्रशेखर आजाद को कानूनी बेडि़यों में कैद करने का एक दस्तावेज प्रयागराज के कर्नलगंज थाना में आज भी सुरक्षित है। कर्नलगंज थाना में मौजूद रजिस्टर नंबर आठ में 27 फरवरी 1931 को दर्ज किए मुकदमे में आजाद को प्रतिवादी बनाया गया। आजाद के ऊपर भारतीय दंड संहिता की धारा 307 यानी हत्या के प्रयास का आरोपित बनाया गया है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि हमला किस पर, कब और कैसे किया गया था? इस मुकदमे का वादी कौन यह भी साफ नहीं है? लेकिन प्रतिवादी के रूप में चंद्रशेखर आजाद व कुछ अज्ञात शख्स अंकित है।

रजिस्टर नंबर आठ, ग्राम अपराध पुस्तिका फारसी भाषा में लिखी गई है। इसके क्रम संंख्या एक में कर्नलगंज में रहने वाले यूरोपियन साहबान, बैरिस्टर का उल्लेख है, जबकि क्रम संख्या दो में आपराधिक इतिहास का विवरण है। इतना ही नहीं, उस वक्त सिविल लाइंस इलाका कर्नलगंज थाने का मौजा हुआ करता था। उस वक्त आपराधिक रिकार्ड को ‘किताब याद्दाश्त ऐसे अपराधोंं की, जो गांव में हुए हों’ के पन्ने में होते थे।

रजिस्‍टर नंबर 8 में लाल पद्मधर से जुड़े दस्तावेज भी हैं : अगस्त क्रांति के दौरान इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने तिरंगा यात्रा निकाली थी। उस वक्त जिले में निषेधाज्ञा लागू थी। उसका उल्लंघन करने पर क्रांतिकारी लाल पद्मधर सहित सैंकड़ों छात्रों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी। 12 अगस्त 1942 को मनमोहन पार्क के पास अंग्रेजों ने लालपद्मधर को गोली मारी थी। इसके अलावा डिफेंट इंडिया रूल्स के तहत कई क्रांतिकारियों की गिरफ्तारी, उन पर लगाए जुर्माना और सजा का भी उल्लेख रजिस्टर नंबर आठ में है।

क्‍या कहते हैं पुलिस अधिकारी : कर्नलगंज के सीओ अजीत सिंह चौहान कहते हैं कि शहीद क्रांतिकारियों पर हमें गर्व है। कर्नलगंज थाने के रजिस्टर नंबर आठ में स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़े दस्तावेज सुरक्षित हैं, जिसे पढ़कर भी उनके बलिदान को याद किया जा सकता है।


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