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Jharkhand News: झारखंड में महंगी शराब बेचकर भी रुपये नहीं कमा पा रही हेमंत सरकार, जानिए क्यों?

Jharkhand Liquor Price झारखंड में शराब की कीमत बढ़ रही है खजाना खाली है। आलम यह है कि उत्पाद विभाग लक्ष्य से 300 करोड़ पीछे चल रहा है। रांची सहित 11 जिलों की स्थिति बेहद खराब है। 30 सितंबर तक 1255 करोड़ का लक्ष्य पूरा करना था आया 9055 करोड़।

By Jagran NewsEdited By: M EkhlaquePublished: Sat, 01 Oct 2022 09:06 PM (IST)Updated: Sat, 01 Oct 2022 09:07 PM (IST)
Jharkhand News: झारखंड में महंगी शराब बेचकर भी रुपये नहीं कमा पा रही हेमंत सरकार, जानिए क्यों?
Jharkhand News: झारखंड में शराब महंगी बिक रही, लेकिन सरकार को राजस्व नहीं आ रहा है।

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Expensive Liquor झारखंड में शराब की कीमत बढ़ रही है, लेकिन सरकार का खजाना अब भी खाली है। उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग लक्ष्य से 300 करोड़ रुपये पीछे चल रहा है। विभाग का 30 सितंबर तक 1255 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य पूरा करना था, लेकिन करीब 9055 करोड़ रुपये ही अब तक आ सका है। राज्य में 11 जिलों की स्थिति राजस्व वसूली में बेहद ही खराब है। इसे लेकर विभाग ने इन जिलों के उत्पाद अधिकारियों पर राजस्व बढ़ाने का दबाव बनाया गया है और उन्हें कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।

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दुकानदारों को लाइसेंस रद करने की धमकी भी

पर्याप्त मात्रा में शराब नहीं रखने वाले दुकानदारों, थोक विक्रेताओं को भी धमकाया गया है कि अगर वे स्थिति को नियंत्रित नहीं किए तो उनके लाइसेंस को रद करने तक की भी कार्रवाई होगी। राजस्व में कमी के पीछे के कारणों पर विशेषज्ञ बताते हैं कि राजस्व बढ़ाने के लिए अक्टूबर में कुछ ब्रांड की कीमत बढ़ा दी गई है। बीयर डेढ़ सौ से 160 रुपये किया गया था, अब उसे बढ़ाकर 190 रुपये कर दिया गया है, जबकि पड़ोसी राज्य यूपी में बीयर 110 रुपये में बिक रहा है। इसी तरह अन्य ब्रांड की भी स्थिति है।

यूपी और पश्चिम बंगाल से आ रही अवैध शराब

अवैध धंधा करने वाले यूपी-बंगाल से शराब अवैध तरीके से लाकर राज्य में खपा रहे हैं। जिसके चलते भी यहां राजस्व में कमी आ रही है। राज्य में नई उत्पाद नीति से शराब की बिक्री मई में शुरू हुई। मई-जून तक देसी शराब की सप्लाई नहीं हो सकी। पाउच बंद हो गया और उसके बदले शीशे की बोतल में शराब आनी शुरू हो गई, जिससे पाउच वाली शराब महंगी हो गई, जिसे गरीब सेवन करते थे। पाउच की बिक्री अधिक होती थी, जिससे राजस्व आता था, लेकिन दो महीने तक बिक्री बंद रही। इसके बदले में जिस शराब की सप्लाई हुई, उसकी गुणवत्ता बेहद खराब रही, जिससे उसे बंद कर दिया गया। बाद में झारखंड में निर्माण शुरू हुआ तो उसकी सप्लाई हो रही है।

टीचर-50, ब्लैक लेवल जैसे ब्रांड नहीं मिल रहे

शराब के बड़े व चर्चित ब्रांड मिलने बंद हो गए। टीचर-50, ब्लैक लेवल सहित कई ऐसे ब्रांड तो मिल ही नहीं रहे, जिसके शौकीन भरे पड़े हैं। कई शराब की मल्टीनेशनल कंपनियाें ने शराब की कीमतें बढ़ाने से इन्कार कर दिया। इसका फायदा उठाते हुए जो भी अन्य ब्रांड जो सिंडिकेट छत्तीसगढ़ वालों का है, वह ब्रांड जो पंजाब-हरियाणा का है, वह ब्रांड आसानी से मंगवाकर अपने मनमाने दाम रखकर अब मार्केट में बेचने की तैयारी है।

ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम पूरी तरह धरातल पर नहीं

मालूम हो कि झारखंड में अवैध शराब की खपत रोकने के लिए नई उत्पाद नीति में ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम को धरातल पर उतारने का प्लान था, जो अब तक धरातल पर नहीं उतर सकी। इस कारण भी सरकार को उम्मीद के मुताबिक राजस्व नहीं प्राप्त हो रहा है।


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