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मास्‍क लगाकर छेड़छाड़ करने वाले मनचलों पर लगेगी लगाम, FRSD से पकड़ना होगा आसान

भारत सरकार ने एक चेहरे की पहचान प्रणाली विकसित की है जो चेहरे के मुखौटे या बंदर टोपी के साथ या प्रतिबंधित क्षेत्रों के साथ-साथ सार्वजनिक स्थानों पर कम रिजल्यूशन वाली छवियों में भी असामाजिक तत्वों की पहचान कर सकती है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 18 Aug 2022 07:07 PM (IST)Updated: Thu, 18 Aug 2022 07:07 PM (IST)
मास्‍क लगाकर छेड़छाड़ करने वाले मनचलों पर लगेगी लगाम, FRSD से पकड़ना होगा आसान
एआई आधारित प्रणालियों के साथ फेस रिकग्निशन सिस्टम (FRSD)

 नई दिल्ली, एजेंसी। मास्‍क लगाकर छेड़छाड़ करने वाले मनचलों की अब खैर नहीं है। भारत सरकार ने एक चेहरे की पहचान प्रणाली विकसित की है जो बिना वेश के, चेहरे के मुखौटे या बंदर टोपी के साथ या प्रतिबंधित क्षेत्रों के साथ-साथ सार्वजनिक स्थानों पर कम रिजल्यूशन वाली छवियों में भी असामाजिक तत्वों की पहचान कर सकती है।

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रक्षा मंत्रालय (एमओडी) ने 'आर्टिफिसियल इंटिलिजेंस इन डिफेंस' शीर्षक से अपनी नवीनतम रिपोर्ट में मुख्य रूप से भारतीय सेना के लिए विकसित अन्य एआई आधारित प्रणालियों के साथ फेस रिकग्निशन सिस्टम (FRSD) का खुलासा किया। कैमरे से कैप्चर की गई छवियों के कम रिजल्यूशन के कारण निगरानी कैमरा में चेहरा पहचानना एक कठिन समस्या होती है। विभिन्न चेहरे के वेश में, भीड़-भाड़ और विविध रोशनी की अतिरिक्त जटिलता के साथ हल करने के लिए यह समस्या और भी चुनौतीपूर्ण हो जाती है।

रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, FRSD एल्गोरिथम को इस तरह से प्रशिक्षित किया गया है कि फेस रिकग्निशन सिस्टम फेस-मास्क, दाढ़ी, मूंछ, विग, धूप का चश्मा, हेड स्कार्फ, मंकी टोपी जैसे कई वेश से देख सकता है। यह सिस्टम वेश के अलावा विभिन्न प्रकाश स्थितियों, चेहरे पर पड़ने वाली छाया, भीड़ के अवरोध आदि पर भी विचार करता है। लाइव वीडियो निगरानी के उद्देश्य से सिस्टम को प्रतिबंधित/सुरक्षित क्षेत्रों में तैनात किया जा सकता है।

यह असामाजिक तत्वों को पहचानने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर भी तैनात किया जा सकता है। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा एल्गोरिदम का उपयोग बड़े भंडारों में मजबूत चेहरे की खोज के लिए भी किया जा सकता है।

सिस्टम को कई ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (जीपीयू) और सर्वरों में मापनीयता सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसके अलावा, सिस्टम को GPU के अधिकतम उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए अनुकूलित किया गया है और इस प्रकार यह एक ही GPU पर कई निगरानी कैमरों का समर्थन कर सकता है।। इसके अलावा, सिस्टम को GPU के अधिकतम उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए अनुकूलित किया गया है। इस प्रकार यह एक ही GPU पर कई निगरानी कैमरों का समर्थन कर सकता है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि सिस्टम एक फ्लेक्सिबल वीडियो एनालिटिक्स सूट के साथ आता है, जिसमें कई अतिरिक्त निगरानी एप्लिकेशन जैसे लोगों की गिनती, जियो फेंसिंग, आग का पता लगाना और टक्कर का पता लगाना शामिल है।

एक अन्य एआई आधारित समाधान जिसे साधक प्रणाली कहा जाता है, अशांत क्षेत्र में आतंकवाद का मुकाबला करने, निरंतर निगरानी, खतरों की पहचान और ट्रैकिंग के लिए एक आत्मनिहित चेहरे की पहचान, निगरानी और विश्लेषण प्रणाली है। इसके अतिरिक्त इस प्रणाली को महत्वपूर्ण सैन्य/ नागरिक प्रतिष्ठानों की अत्याधुनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और सीमा पार बिंदुओं पर निगरानी के लिए नियोजित किया जा सकता है। एआई पावर्ड एनालिटिक्स मॉड्यूल विभिन्न स्रोतों से खुफिया डेटा के प्रसंस्करण को सक्षम बनाता है।

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सटीक सूचना संग्रह द्वारा सहायता प्राप्त आतंकवादियों और राष्ट्र-विरोधी तत्वों की पहचान करना और उनकी गतिविधियों पर नज़र रखी जा सकती है। रक्षा उद्योग सशस्त्र बलों को दुनिया में सबसे उन्नत इकाई में बदलने के लिए ठोस कदम उठा रहा है। आतंकवाद को रोकने में, आतंकवाद विरोधी उपायों को स्थापित करने, सैनिकों की रक्षा करने में आईएसआर (खुफिया, निगरानी और टोही), डेटा प्रबंधन में हथियार प्रणालियों में स्वायत्तता की शुरुआत एक बड़ी संपत्ति हो सकती है। वास्तव में रक्षा क्षेत्र में आर्टिफिसियल इंटिलिजेंस गहरे स्तर पर लड़ाई और संघर्ष को बदल सकता है।


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