Jammu Kashmir : आइएएस शाह फैसल को सरकार ने पर्यटन मंत्रालय में उप सचिव के रूप में बहाल किया
जेल से रिहाई के बाद उन्होंने सियासत से किनारा कर लिया और कुछ ही दिनों बाद उन्होंने जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट से अपना नाता तोड़ लिया। इसके बाद उन्होंने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों की सराहना शुरु कर दी।
जम्मू, जेएनएन : अलगाववादी सियासत से मोहभंग होने के बाद मुख्यधारा में लौटे नौकरशाह डा शाह फैसल को केंद्र सरकार ने पर्यटन मंत्रालय में उपसचिव बनाया है। नौकरी बहाली के लगभग तीन माह बाद उन्हें नियुक्ति प्रदान की गई है। जम्मू कश्मीर कैडर के वर्ष 2010 बैच के आइएएस शाह फैसल जन सुरक्षा अधिनियम तहत भी जेल में रह चुके हैं। यह देश में अपनी तरह का पहला मामला है,जब किसी सियासत में भाग लेने और जेल में बंदी रहे किसी पुराने नौकरशाह के इस्तीफा वापस लेने के आग्रह को स्वीकार कर उसे पुन: सरकारी सेवा मेंं बहाल किया गया हो। उनका इस्तीफा इसी अप्रैल के मध्य में नामंजूर हुआ था।
उत्तरी कश्मीर में जिला कुपवाड़ा के रहने वाले डा शाह फैसल से जब संपर्क करने का प्रयास किया गया तो वह उपलब्ध नहीं हो पाए। आतंकी हिंसा में अपने पिता को गंवा चुके डा शाह फैसल को करीब दो दिन पहले ही केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय में उपसचिव बनाया गया है। उन्होेंने वर्ष 2014 में केंद्र में भाजपा के सत्तासीन होने और जम्मू कश्मीर राज्य में पीडीपी भाजपा गठबंधन सरकार बनने के बाद कई बार केंद्र सरकार की नीतियों को लेकर विवादास्पद टवीट किए। उन्होंने कश्मीर में ही नहीं पूरे भारत में मुस्लिमों के उत्पीड़न का भी आरोप लगाया। उन्होंने देश में दुश्कर्म की घटनाओं को लेकर कथित तौर पर रेपिस्तान तक की संज्ञा इस्तेमाल की थी। उनकी विवादादस्पद टिप्पणियों का नोटिस लेते हुए उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया,लेकिन उन्होंने कभी इसका जवाब नहीं दिया।
जनवरी 2019 में उन्होंने सरकारी सेवा से इसतीफा देने के बाद जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट नामक एक संगठन बनाया। उन्होंने उस समय कहा था कि मैं गिलानी की सियासत में यकीन नहीं रखता। मैं जम्मू कश्मीर की स्वायत्तता और विशिष्ट पहचान का समर्थक हूं और जम्मू कश्मीर के हक के लिए लड़ने जा रहा हूं। मैं सिस्टम का आदमी हूं और सिस्टम के भीतर रहकर सिस्टम को ठीक करना जानता हूं। उन्होंने आतंकियों को क्रांतिकारी, बलिदानी कहने वाले पूर्व विधायक इंजीनियर रशीद के साथ भी सियासी गठजोड़ किया था। इंजीनियर रशीद ने ही कश्मीर में बीफ पार्टी का आयोजन किया था। अफजल गुरु और बुरहान वानी को कश्मीर का शहीद बताने वाले इंजीनियर रशीद इस समय टेरर फंडिंग के सिलसिले में तिहाड़ जेल में बंद हैं।
पांच अगस्त 2019 से पूर्व जब नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस, पीडीपी, माकपा ने डा फारूक अब्दुल्ला के घर एक बैठक में जम्मू कश्मीर के विशेष दर्ज को भंग किए जाने के किसी भी प्रयास के खिलाफ एकजुट हो लड़ने का आपस में समझौता करते हुए गुपकार घोषणापत्र जारी किया था तो उस पर शाह फैसल ने भी हस्ताक्षर किए थे। अनुच्छेद 370 व 35ए को निरस्त किए जाने के खिलाफ सर्वाेच्च न्यायालय में याचिका दायर करने वालों में भी वह शामिल हैं।
पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू किए जाने के बाद वह श्रीनगर से दिल्ली पहुंच गए थे। वह दिल्ली से हेग जाकर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारत सरकार के खिलाफ एक याचिका दायर करने जाना चाहते थे, लेकिन दिल्ली एयरपोर्ट पर पकडे गए और उसके बाद उन्हें श्रीनगर में बंदी बनाकर रखा गया। उन्हें जन सुरक्षा अधिनियम के तहत बंदी बनाया गया था। शाह फैसल को लगभग 10 माह की कैद के बाद तीन जून को रिहा किया गया था।
जेल से रिहाई के बाद उन्होंने सियासत से किनारा कर लिया और कुछ ही दिनों बाद उन्होंने जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट से अपना नाता तोड़ लिया। इसके बाद उन्होंने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों की सराहना शुरु कर दी। उन्होंने कई बार टवीट कर सियासत में शामिल होने और अन्य मुददों पर अपने गलत फैसलों को भी स्वीकारा। इस दौरान एक साक्षात्कार में उनहोंने कहा आईएएस छोड़ने के तुरंत बाद, मुझे एहसास हुआ कि मेरे असंतोष के सहज कार्य को देशद्रोह के कार्य के रूप में देखा जा रहा था। इसने लाभ से अधिक नुकसान किया था और मेरे कार्य ने बहुत से सिविल सेवा प्रतिभागियों को हतोत्साहित किया और मेरे सहयोगियों ने खुद को ठगा हुआ महसूस किया। इसने मुझे बहुत परेशान किया। शाह फैसल ने इसी वर्ष मार्च के दौरान अपना इस्तीफा वापस लेने का आग्रह किया था,जिसे सभी संबधित एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर अप्रैल में स्वीकार किया गया थ।
इस बीच, एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने अपना नाम न छापे जाने की शर्त पर कहा कि यह अपनी तरह का पहला मामला है जब सरकारी नौकरी से इस्तीफे का एलान करने के बाद राजनीति में शामिल होने और जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत बंदी बनाए गए किसी आइएएस अधिकारी का इस्तीफा रद कर उनकी सेवाएं बहाल की गई हैं।
संबंधित नियमों के तहत कोई आइएएस अधिकारी इस्तीफा देने के लगभग 90 दिन के भीतर ही अपनी सेवा बहाली का आग्रह कर सकता है। अगर वह इस दौरान किसी राजनीतिक दल में शामिल होता है या कोई ऐसा कदम उठाता है जो देश की एकता अखंडता के खिलाफ हो, तो उसकी सेवाएं बहाल नहीं की जाती।शाह फैसल ने जनवरी 2019 में सरकारी सेवा छोड़ने का एलान करते हुए इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्होंने एक राजनीतिक दल जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (JKPM) पार्टी बनाई थी।