UGC Final Year Exam Hearing: फाइनल ईयर की परीक्षाओं पर दायर याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी, जानें अपडेट
UGC Final Year Exam Hearing पीठ ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है और सभी पक्षों से 3 दिन की अवधि के भीतर अपनी लिखित याचिका दाखिल करने को कहा है।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। UGC Final Year Exam Hearing: देश भर में फाइनल ईयर की परीक्षाएं होंगी या नहीं इस संबंध में दायर याचिका पर आज यानी कि 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। पीठ ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है और सभी पक्षों से 3 दिन की अवधि के भीतर अपनी लिखित याचिका दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट में अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के मामले में सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम.आर. शाह की खण्डपीठ कर रही थी।
यूजीसी की ओर से अपना पक्ष रखने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कई विश्वविद्यालयों ने पहले ही अपनी परीक्षाएं आयोजित की हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय 30 सितंबर की समय-सीमा बढ़ाने के लिए कह सकते हैं, लेकिन इन संस्थाओं को परीक्षा आयोजित किए बिना डिग्री प्रदान करने का अधिकार नहीं है।
देश भर के विश्वविद्यालयों एवं अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों में स्नातक एवं परास्नातक पाठ्यक्रमों की अंतिम वर्ष या सेमेस्टर की परीक्षाओं को 30 सितंबर तक करा लेने के यूजीसी के निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज, 18 अगस्त 2020 को फिर सुनवाई होनी थी। इससे पहले मामले की 14 अगस्त 2020 को सुनवाई हुई थी। मामले में यूजीसी एवं सरकार का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता रख रहे हैं, जबकि छात्रों का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी रख रहे हैं। वहीं, इसी मामले से सम्बन्धित युवा सेना के एक अन्य मामले में छात्रों का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान रख रहे हैं। जबकि अधिवक्ता अलख आलोक 31 छात्रों के सम्बन्धित मामले में पक्ष रख रहे हैं।
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क्या हुआ 14 अगस्त की सुनवाई के दौरान?
अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के लिए यूजीसी गाइडलाइंस मामले की पिछली सुनवाई के दौरान डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जब संस्थान कक्षाएं आयोजित कर पा रहे हैं तो परीक्षाओं का आयोजन कैसे करेंगे। साथ ही, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी शिक्षण संस्थानों को 31 अगस्त 2020 तक बंद रखने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि सामान्य हालात में कोई भी परीक्षाओं के विरोध में नहीं है। हम महामारी के बीच परीक्षाओं का विरोध कर रहे हैं। वहीं, अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि जब यूजीसी स्वयं कहता है कि ये यदि एडवाइजरी है तो इसे स्थानीय जरूरतों के हिसाब से बदला भी जा सकता है। जबकि अधिवक्ता अलख आलोक ने कहा था कि यूजीसी ने 6 जुलाई को दिशा-निर्देशों को जारी करने में यूजीसी अधिनियम के सेक्शन 12 का उल्लंघन किया है, जिसमें कहा गया है कि इस तरह के दिशा-निर्देशों को बनाने में विश्वविद्यालयों एवं अन्य निकायों की सलाह ली जानी चाहिए। याचिका की सुनवाई के दौरान कहा गया कि यूजीसी ने कुहाड समिति के सिफारिशों के आधार पर दिशा-निर्देश बनाये हैं, जिसमें महामारी से सम्बन्धित कोई विशेषज्ञ नहीं थे और सिर्फ शिक्षाविद थे, इसलिए यह समिति कोविड-19 महामारी के दौर में यूजीसी अधिनियम के सेक्शन 12 के वैधानिक परीक्षणों को पूरी नहीं करती है।
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बता दें के यूजीसी द्वारा 6 जुलाई 2020 को जारी गाइंडलाइंस में अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों में फाइनल ईयर या सेमेस्टर की परीक्षाओं को 30 सितंबर तक करा लेने के निर्देश दिये गये थे। वर्तमान में फैली अनियंत्रित कोविड-19 महामारी के दौर में परीक्षाओं को फिजिकली आयोजित कराने का विरोध छात्रों द्वारा किया जा रहा है। छात्रों द्वारा दायर याचिका में मांग की गयी है कि अंतिम वर्ष या सेमेस्टर की परीक्षाओं को रद्द किया जाना चाहिए और छात्रों के रिजल्ट उनके इंटर्नल एसेसमेंट या पास्ट पर्फार्मेंस के आधार पर तैयार करते हुए जल्द से जल्द जारी होने चाहिए।