भारत में कुल 15 खंडपीठ हैं, इसकी स्थापना शहर या क्षेत्र में लोगों को न्याय दिलाने के लिए की जाती है
भारत में कुल 25 उच्च न्यायालय हैं जिनकी अलग-अलग कुल 15 खंडपीठ हैं। खंडपीठ की स्थापना शहर या क्षेत्र के दूरदराज इलाकों में रहने वाले लोगों को न्याय दिल ...और पढ़ें

एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली: स्थानीय मामलों की सुनवाई करने वाली खंडपीठ को हाल ही में कोल्हापुर में बॉम्बे हाईकोर्ट की चौथी खंठपीठ के रूप में मंजूरी दी गई है। खंडपीठ का भारतीय कानूनी मामलों में एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह उन लोगों की मदद के लिए बनाई गई है, जो लोग न्यायिक मामलों के लिए हाई कोर्ट तक नहीं आ सकते हैं। आपको बता दें, भारत में कुल 25 उच्च न्यायालय हैं, जिनकी अलग-अलग कुल 15 खंडपीठ हैं।
खंडपीठ क्या है
खंडपीठ उच्च न्यायालय की एक क्षेत्रीय शाखा होती है, जो उच्च न्यायालय के अतिरिक्त किसी अन्य शहर या क्षेत्र में न्यायिक मामलों की देखरेख करती है। शहर व क्षेत्र में खंडपीठ स्थापित करने का उद्देश्य उन लोगों की मदद करना है, जो दूरदराज इलाकों में रहते है। साथ ही उन्हें न्यायिक मामलों के लिए बार-बार हाई कोर्ट न जाना पड़े। खंडपीठ शहर व क्षेत्र में स्थानीय मामलों की सुनवाई करती है।
कौन स्थापित करता है
किसी भी शहर व क्षेत्र में खंडपीठ स्थापित करने की प्रक्रिया राज्यपाल से लेकर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश उसके बाद केंद्र सरकार के फैसले के द्वारा की जाती है। आपको बता दें, किसी शहर या क्षेत्र में खंडपीठ स्थापित करने का फैसला राज्यपाल और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के बाद लिया जाता है। इसके बाद केंद्र सरकार इस पर विचार करती है।
खंडपीठ स्थापित करने की शर्तें
साल 1981 में उत्तर प्रदेश के पश्चिमी जिलों में खंडपीठ बनाने की मांग उठी थी। इसके बाद जस्टिस जसवंत सिंह आयोग का गठन किया गया। खंडपीठ स्थापित करने के लिए जस्टिस जसवंत ने 1983 में अपनी सिफारिशों में कहा कि खंडपीठ स्थापित करने से पहले वहां की आबादी, क्षेत्रफल, दूरी, वहां के मामलों और स्थानीय वकीलों की संख्या आदि को जरूर देखना चाहिए। इसके अलावा, खंडपीठ स्थापित करने के लिए यह भी देखा जाना जरूरी होता है कि पीठ का रोजाना का काम कैसे संचालित किया जाएगा।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।