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शिक्षकों की सेवा अवधि व जिलों में रिक्त पद दोनों घटे

जिले में जाने के लिए इस बार आवेदन अधिक हो सकते हैं लेकिन तबादले का लाभ कितने शिक्षकों को मिल सकेगा यह तय नहीं है।

By Neel RajputEdited By: Published: Sun, 29 Dec 2019 09:15 AM (IST)Updated: Sun, 29 Dec 2019 09:18 AM (IST)
शिक्षकों की सेवा अवधि व जिलों में रिक्त पद दोनों घटे
शिक्षकों की सेवा अवधि व जिलों में रिक्त पद दोनों घटे

राज्य ब्यूरो, प्रयागराज। बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूल शिक्षकों की अंतर जिला तबादले के लिए सेवा अवधि भले ही घटी है लेकिन, जिलों में शिक्षकों के रिक्त पद भी कम हो गए हैं। पिछले वर्ष की अपेक्षा जिलों में शिक्षकों के रिक्त पदों की संख्या करीब साढ़े पांच हजार कम हो गई है। मनचाहे जिले में जाने के लिए इस बार आवेदन अधिक हो सकते हैं लेकिन, तबादले का लाभ कितने शिक्षकों को मिल सकेगा, यह तय नहीं है।

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परिषदीय स्कूल शिक्षकों की अंतर जिला तबादले की प्रक्रिया देर से ही शुरू हो गई है। इस बार तीन वर्ष की सेवा पूरी करने वाले पुरुष व एक वर्ष की सेवा पूरी करने वाली महिला शिक्षक आवेदन के लिए अर्ह हैं। वहीं, दिव्यांग पुरुष व महिला शिक्षकों को सेवा अवधि से छूट दी गई है। इससे शिक्षकों में यह उम्मीद जगी थी कि बड़े पैमाने पर तबादले हो सकेंगे। ज्ञात हो कि पिछले वर्ष पांच वर्ष की सेवा पूरी करने वाले पुरुष व तीन वर्ष पूरा करने वाली महिला शिक्षक आवेदन कर सकी थी।

सेवा अवधि घटने से आवेदनों की संख्या बढ़ना तय है लेकिन, शिक्षकों को लाभ बड़ी संख्या में मिल सकेगा। इस पर संदेह है। वजह जिलों में रिक्त पदों की संख्या पिछले वर्ष की अपेक्षा कम है, जबकि पिछले वर्ष कई जिलों से तबादले ही नहीं किए गए थे। बीते वर्ष प्राथमिक में 40766 व उच्च प्राथमिक में 6719 सहित कुल 47485 पद जिलों में खाली थे। इन पदों के लिए 37396 आवेदन हुए, जिनमें 31515 के ही आवेदन दुरुस्त मिले। उनमें से 11963 का ही तबादला हुआ था। वहीं इस बार जिलों में 42929 पद ही खाली हैं। तबादले कम होने का कारण 15 प्रतिशत की सीमा रेखा है। शासनादेश में कहा गया है कि जिलों में कुल पदों के सापेक्ष जितने कार्यरत शिक्षक हैं उनमें से सिर्फ 15 प्रतिशत का ही तबादला होगा। इसमें वरिष्ठ शिक्षकों को ही लाभ मिलेगा।

छात्र-शिक्षक अनुपात से घटे पद

प्रदेश में अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम यानी आरटीई 2009 लागू हुआ है। इसमें छात्र शिक्षक अनुपात तय हुआ। प्राथमिक में 30:1 व उच्च प्राथमिक में 35:1 का नियम लागू हुआ है।


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