12 Board Exams: परीक्षा की तारीखों की घोषणा के बाद तैयारी में जुटे छात्र
मोहित भी पेपर के साथ जेईई की तैयारियों में जुटे हैं। वे खुश हैं कि इंजीनियरिंग की परीक्षा की एक तारीख घोषित कर दी गई है। लेकिन बोर्ड के पेपर को लेकर उनका असमंजस और डर खत्म हो गया।
नई दिल्ली [अंशु सिंह]। सीबीएसई द्वारा 12वीं की शेष परीक्षाओं की तारीख की घोषणा के बाद से स्टूडेंट्स ने राहत की सांस ली है। वे जुट गए हैं दोबारा से अपनी तैयारियों में। लेकिन उनकी कुछेक आशंकाएं, बेचैनी अब भी बरकरार हैं....
कंप्यूटर साइंस पेपर के दो दिन पहले तक 12वीं की स्टूडेंट श्रुति थोड़ी तनाव में थीं। लेकिन कोविड-19 के कारण अचानक से परीक्षाओं को कुछ समय के लिए स्थगित किए जाने से उन्हें तत्काल एक राहत-सी महसूस हुई। हालांकि यह राहत अधिक समय तक टिकी नहीं रही। श्रुति की बेचैनी और कंफ्यूजन दोनों यह सोचकर बढ़ गए कि पता नहीं एग्जाम होंगे भी कि नहीं..। और उन्होंने कंप्यूटर साइंस से ध्यान हटाकर एंट्रेंस एग्जाम पर फोकस करना शुरू कर दिया, जिसके आयोजन को लेकर वह एक प्रकार से निश्चिंत थीं। ऐसे में जब सीबीएसई द्वारा नई तारीखों की घोषणा हुई, तो श्रुति ने तय किया कि वह अब घबराएंगी नहीं, बल्कि समय रहते 12वीं के पेपर का रिवीजन शुरू कर देंगी।
अभी है संशय
12वीं के स्टूडेंट मोहित भी बोर्ड के पेपर के साथ जेईई की तैयारियों में जुटे हैं। वे खुश हैं कि इंजीनियरिंग की परीक्षा की एक तारीख घोषित कर दी गई है। लेकिन बोर्ड के पेपर को लेकर उनका असमंजस और डर खत्म नहीं हुआ है। मोहित को लगता है कि कहीं इस बार भी बोर्ड के पेपर स्थगित हो जाते हैं, तो क्या होगा। क्योंकि किसी भी तरह की पढ़ाई में एक अनुशासन चाहिए होता है। श्रुति कहती हैं कि पैरेंट्स के अपने सवाल एवं संशय होते हैं। बच्चे थोड़े से रिलैक्स हुए नहीं कि उन पर पढ़ने का दबाव बनाया जाने लगता है। मेरे कई दोस्त इन दिनों अक्सर ही अपने माता-पिता से डांट खा रहे हैं कि वे बोर्ड को हल्के में ले रहे हैं और उस पर सही से ध्यान नहीं दे रहे।
सुरक्षा का डर भी सता रहा
दरअसल, देश की शिक्षा प्रणाली में अंकों का काफी बोलबाला रहा है। बोर्ड परीक्षाओं के अंक ही अच्छे यानी शीर्ष कॉलेजों में दाखिले का आधार बनते हैं। इसलिए बच्चों के साथ-साथ पैरेंट्स भी इसी फिक्र में रहते हैं कि परीक्षाओं में अंक कम न आएं। परीक्षाओं की घोषणा के बाद बहुत से स्टूडेंट्स ने इसलिए भी राहत की सांस ली है कि अब इंटर्नल असेसमेंट के आधार पर अंक नहीं दिए जाएंगे। परीक्षा देने से वे प्री-बोर्ड के कम अंकों की भरपाई कर पाएंगे। वहीं, बहुत से स्टूडेंट्स कोविड-19 के बीच सेंटर पर जाकर एग्जाम देने को लेकर भयभीत हैं। वे सवाल पूछ रहे हैं कि क्या ऐसे इंतजाम किए जाएंगे कि कोई स्टूडेंट संक्रमित न हो। मैथ्स के वरिष्ठ शिक्षक एवं एप डेवलपर मो. इमरान खान कहते हैं, निश्चित तौर पर तारीखों का एलान हो गया है। लेकिन जिस तरह कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, उन्हें देखते हुए अब भी यह दुविधा बनी हुई है कि वे तय समय पर हो पाएंगे या नहीं। बावजूद इसके, स्टूडेंट्स को परेशान होने की जरूरत नहीं है।
सेल्फ स्टडी पर करना होगा फोकस
खुद से कंप्यूटर प्रोग्रामिंग सीखने वाले और 80 से अधिक एजुकेशनल एप डेवलप करने वाले इमरान खान के अनुसार, ऑनलाइन रिसोर्सेस एवं टीचर्स की मदद से स्टूडेंट्स को सेल्फ स्टडी पर फोकस रखने की जरूरत है। इसके अलावा, बीच-बीच में खुद का मूल्यांकन करते रहें। ई-लर्निंग के अलावा नई तकनीक को एक्सप्लोर करते रहें। वे बच्चों को सलाह देते हुए कहते हैं कि एग्जाम को लेकर मन में कोई डर न रखें। यह सोचें कि पूरे साल जो सीखा है, उसका ही पेपर देना है। अंकों के बारे में तो कतई न सोचें, बल्कि समस्याओं का कैसे समाधान निकाला जाए, इस पर एनालिटिकल थिंकिंग करें। टीचर्स को भी ये यही सलाह देना चाहते हैं कि वे स्टूडेंट्स से जुड़े रहें। उन्हें गाइड करते रहें।
पैनिक नहीं, रिवीजन करें
स्टूडेंट्स के माइंड को बखूबी पहचानने वाली वरिष्ठ मनोचिकित्सक गगनदीप कौर भी कहती हैं कि किसी बात को लेकर पैनिक करने की जरूरत नहीं है। उन्हें सिर्फ अपने रिवीजन पर ध्यान देना चाहिए। अभी भी करीब डेढ़ महीने हैं उनके पास। इसके साथ-साथ वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी आसानी से कर सकते हैं। हां, जो थोड़े कमजोर स्टूडेंट्स होते हैं, उन्हें खुद को री-ओरिएंट करने की जरूरत है कि अपने समय का सही से उपयोग करें। अटकलों पर ध्यान न देकर एकाग्रता से पढ़ाई करें, क्योंकि एग्जाम तो एक न एक दिन होना ही है।