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Stay Home Stay Empowered: प्राइमरी से केवी तक, जानें- शहर-शहर कैसे चल रही है ऑनलाइन क्लास

ऐसा पहली बार हुआ है जब सारे स्कूल-कॉलेज एक साथ ऑनलाइन मोड में आ गए हैं। इसलिए शिक्षकों और छात्रों के सामने कई नई चुनौतियां आ रही हैं। वहीं काफी कुछ नया अनुभव भी हो रहा है।

By Vineet SharanEdited By: Published: Mon, 27 Apr 2020 08:48 AM (IST)Updated: Mon, 27 Apr 2020 09:20 AM (IST)
Stay Home Stay Empowered: प्राइमरी से केवी तक, जानें- शहर-शहर कैसे चल रही है ऑनलाइन क्लास
Stay Home Stay Empowered: प्राइमरी से केवी तक, जानें- शहर-शहर कैसे चल रही है ऑनलाइन क्लास

नई दिल्ली, विनीत शरण। कोरोना लॉकडाउन के इस दौर में ज्यादातर सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन क्लास चल रही है। ऐसा पहली बार हुआ है, जब सारे स्कूल-कॉलेज एक साथ ऑनलाइन मोड में आ गए हैं। इसलिए शिक्षकों और छात्रों के सामने कई नई चुनौतियां आ रही हैं। वहीं, काफी कुछ नया अनुभव भी हो रहा है। आइये जानते हैं अलग-अलग शहरों के शिक्षकों से कि वे कैसे पढ़ा रहे हैं छात्रों को और क्या है उनका अनुभव-

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दिलचस्प हैं बच्चों की प्रतिक्रियाएं

जम्मू-कश्मीर के लाखनपुर कठुआ स्थित केंद्रीय विद्यालय के कंप्यूटर साइंस के टीचर अनुज कुमार ने बताया कि उन्होंने 28 मार्च से बच्चों के मोबाइल नंबर कलेक्ट करने शुरू कर दिए थे। बच्चों से बात की और पूछा कि वे किस तरह से पढ़ना पसंद करेंगे। 30 मार्च से पढ़ाई शुरू कर दी। तब तक केवी प्रशासन की ओर से भी ऑनलाइन क्लास लेने का आदेश आ गया था। 2 अप्रैल के बच्चों की क्लास शुरू हो गई। शुरुआत में हल्की-फुल्की बातें कीं और फिर पढ़ाई शुरू की।

अनुज कुमार ने बताया है कि वे सब्जेक्ट वाइज ही पढ़ाई कराते हैं। एक घंटे की क्लास में एक सब्जेक्ट पढ़ाते हैं। 10 से 15 मिनट का गैप देते हैं। नौ बजे से 2 बजे तक क्लास चलती है। बच्चों को हर क्लास का टाइम पता होता है। अनुज समेत स्कूल के सभी टीचर कोशिश करते हैं कि बच्चों को स्कूल जैसा ही माहौल मिले। छह घंटे क्लास चलती है रोज। इसके बाद भी बच्चों से शिक्षक जुड़े रहते हैं। सामान्यत: शिक्षक DIKSHA, epathshala और Google drive ऐप का इस्तेमाल करते हैं।

बच्चों के आकलन के लिए अनुभवों का इस्तेमाल

अनुज कुमार के अनुसार, पैरेंट्स भी बच्चों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं, जिससे ऑनलाइन पढ़ाने में कुछ आसानी होती है। ऑनलाइन क्लास के लिए वे Cisco WebEx Online Meetings का इस्तेमाल करते हैं, जो 10 से ज्यादा बच्चों को सपोर्ट करता है। अनुज कुमार की क्लास में रोज 15 से 16 बच्चे कनेक्ट होते हैं। अनुज ने कहा, हमें पहले से पता है कि किस बच्चे को जल्दी समझ में आता है ओर किस बच्चे को समझने में दिक्कत होती है। ऐसे में ऑनलाइन क्लास के वक्त भी ऐसे बच्चों पर ध्यान देते हैं, जिन्हें टॉपिक समझ में न आया हो। वहीं, असाइनमेंट के जवाब से भी समझ में आ जाता है कि बच्चे को टॉपिक समझ में आ जाता है। अनुज कुमार बच्चों को बुक और नोटबुक पर फोकस करने को कहते हैं, जिससे वे ऑफलाइन बेहतर तरीके से पढ़ सकें। वहीं, अनुज मानते हैं कि हर क्लास के लिए एक अलग रेडियो और डेडिकेटेड टीवी चैनल भी होने चाहिए।

ध्यान रहे कि बच्चों का कम डाटा खर्च हो

उन्नाव के केंद्रीय विद्यालय के शिक्षक (पीजीटी सीएस) यजनेश यादव बताते हैं कि उनके स्कूल में 17 मार्च से ऑनलाइन पढ़ाई चल रही है। इसके लिए एक ग्रुप टेलीग्राम पर बना रखा है। इसमें एक साथ 40 लोग जुड़ सकते हैं। स्क्रीन शेयर कर बच्चों को पढ़ाया जाता है। वह यह भी ख्याल रखते हैं कि बच्चों का कम से कम इंटरनेट डाटा खर्च हो। इसके लिए वे स्पीकर तो ऑन रखते हैं, लेकिन वीडियो ऑफ रखते हैं। जरूरत पड़ने पर बच्चों के मोबाइल का डाटा भी रिचार्ज कर देते हैं। यादव के मुताबिक, वे सुबह 9.20 बजे से ऑनलाइन आ जाते हैं। जो बच्चे नहीं आते हैं, उनके लिए क्लास रिकार्ड कर शेयर कर लेते हैं।

बच्चों को कोरोना की नकारात्मकता से दूर रखना प्राथमिकता

यजनेश की मानें तो इस वक्त अगर बच्चे पढ़ रहे हैं तो इस क्रम में वे कोरोना की नकारात्मकता से भी बचते हैं। बच्चों की काउंसिलिंग भी जरूरी है, क्योंकि कई बच्चे इस महामारी से डर रहे हैं। इसलिए उन्होंने बाकी शिक्षकों से भी कहा है कि वे बच्चों को सकारात्मकता की ओर ले जाएं। बच्चों से कहें कि वे पढ़ेंगे तो ही बड़े होकर बीमारियों का इलाज खोजेंगे। वे बच्चों को घर में रहने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनसे कह रहे हैं कि करोना फ्री होने के बाद ही बच्चों को स्कूल बुलाया जाएगा। बच्चों को बताते हैं कि कोरोना से कितने लोग ठीक हो गए हैं। यजनेश के अनुसार, उद्योग रुकने से कुछ खास नहीं होगा पर बच्चे रुक गए तो हमारा भविष्य रुक जाएगा। उन्होंने बच्चों से कहा है कि वे घर में ही एप बनाएं ताकि वे भविष्य में ऑनलाइन ही एग्जाम दें।

कोरोना से बचने की सलाह और पढ़ाई साथ चल रही

बाराबंकी के पूर्व माध्यमिक विद्यालय दरहरा की शिक्षिका अंजनी श्रीवास्तव ने बताया कि पहले से शिक्षकों के पास बच्चों के कांटैक्ट नंबर होते हैं। पहले भी कुछ हफ्तों के अंतराल पर उनके पैरेंट्स से बात होती थी। लॉकडाउन होने के बाद सबसे पहले व्हाट्सऐप ग्रुप बनाकर शिक्षकों और बच्चों को जोड़ा गया। अब शिक्षक-छात्र गुड मॉर्निग के मैसेज से ही दिन की शुरुआत करते हैं। शिक्षक बच्चों से प्रेयर करने को कहते हैं और उन्हें कोविड-19 के बारे में भी जागरूक करते हैं। शिक्षक पढ़ाई के लिए 5-5 मिनट का वॉयसमेल बनाकर भेजते हैं। इसके अलावा, वाट्सएप पर ही होम वर्क दिया जाता है। बच्चे वाट्सऐप पर ही जवाब देते हैं। सिलेबस के अनुसार ही पढ़ाई होती है।

बच्चों को सफाई स्वच्छता के बारे में भी जागरूक किया जाता है। बच्चों को बताया गया है कि रेडियो पर 11 बजे और डीडी उत्तर प्रदेश 11.30 बजे 1 से 8 तक के बच्चों के लिए क्लास चलती है। बच्चे भी इन प्रोग्राम को देखते हैं। टीचरों ने गांव में कोविड-19 की जागरूकता के लिए बैनर भी लगाए हैं। टीचर दिनभर बच्चों से जुड़े रहते हैं, ताकि उन्हें जब भी मौका मिले, वे संपर्क कर सकें।

समस्या और सहूलियत

-कनेक्टिविटी और इंटरनेट स्पीड की समस्या है।

-ऑनलाइन प्लेटफार्म पर शिफ्ट होने के लिए अभी काफी तैयारी की जरूरत है।

-जरूरी नहीं कि हर बच्चे के पास अपना मोबाइल फोन हो।

-मोबाइल स्क्रीन छोटी होने से बच्चों को दिक्कत हो रही है।

-इससे बच्चों की आंखें खराब होने का खतरा है।

-बोर्ड क्लास के बच्चों को तैयारी में दिक्कत आएगी।

-वाट्सऐप पर बच्चों के जवाब चेक करने में काफी समय लगता है।


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