#SayNoToPlastic: दिन-रात प्लास्टिक का इस्तेमाल ले सकती है आपकी जान, जानिए कैसे
रसोई से लेकर वॉशरूम तक प्लास्टिक ने अपना कब्जा जमा लिया है। ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि इसका असर स्वास्थ्य पर क्या पड़ता है?
नई दिल्ली, जेएनएन। प्लास्टिक का इस्तेमाल बहुत आम हो गया है। सुबह दूध के पैकेट से लेकर ऑफिस में प्लास्टिक की बोतलें हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन चुकी हैं। हम धड़ल्ले से प्लास्टिक का इस्तेमाल कर रहे हैं। रसोई से लेकर वॉशरूम तक प्लास्टिक ने अपना कब्जा जमा लिया है। ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि इसका असर स्वास्थ्य पर क्या पड़ता है? जब आप इसके बारे में जानेंगे, तो शायद आप इस्तेमाल से पहले एक बार जरूर सोचेंगे। आइए जानते हैं...
सांस और प्रजनन से जुड़ीं समस्याएं
प्लास्टिक पॉलिमर एक प्रकार का प्लास्टिक ही है, जिसका इस्तेमाल कोल्ड ड्रिंक की बोतलों में किया जाता है। इन बोतलों में जब लंबे समय तक कोई द्रव रखा जाता है, तब एंटीमनी नाम के प्रदार्थ का रिसाव होता है। इसके संपर्क में आने पर सांस की समस्या होती है। वहीं, महिलाओं में पीरियड्स जैसी समस्याएं आती हैं।
हार्मोनल समस्या
प्लास्टिक पॉलिमर का इस्तेमाल अधिकतम पॉलिथन बनाने में किया जाता है। इसका इस्तेमाल दूध के पैकेट, पानी की बोतल और पॉली बैग आदि में किया जाता है। इनमें से नोनिलफ़ेनॉल का रिसाव होता है। इससे मनुष्य में कई प्रकार की हार्मोनल समस्याएं पैदा होती हैं।
फेफड़ों से संबंधित बीमारी
कैचप, दही, स्ट्रॉ और बोतलों के ढक्कन बनाने में पॉलीप्रोपाइलीन का इस्तेमाल किया जाता है। यह गर्म होने पर हानिकारक रासायनिक पदार्थ छोड़ते हैं। इससे फेफड़े संबंधित बीमारियों का खतरा होता है। हालांकि, इसे प्लास्टिक में सबसे सुरक्षित प्लास्टिक माना जाता है।
नर्वस सिस्टम पर पड़ता है असर
डिस्पोजल गिलास और प्लेट्स का इस्तेमाल काफी आम है। हालांकि यह काफी खतरनाक है। इसको बनाने के लिए पॉलिस्टेयरन का इस्तेमाल किया जाता है। पॉलिस्टेयरन में से स्टेरिन निकलता है। यह काफी खतरनाक है। इसका असर सीधे मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम पर पड़ता है।