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मेडिकल क्षेत्र में करियर बनाने में रुचि रखने वालों के लिए पैरामेडिकल एक बेहतर विकल्प

आसान शब्दों में कहें तो पैरामेडिक स्टॉफ इमरजेंसी मेडिकल केयर प्रोवाइडर के रूप में काम करता है जो मूल रूप से प्राथमिक चिकित्सा और ट्रॉमा सेवाएं प्रदान करता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 08 Apr 2020 02:53 PM (IST)Updated: Thu, 09 Apr 2020 01:13 PM (IST)
मेडिकल क्षेत्र में करियर बनाने में रुचि रखने वालों के लिए पैरामेडिकल एक बेहतर विकल्प
मेडिकल क्षेत्र में करियर बनाने में रुचि रखने वालों के लिए पैरामेडिकल एक बेहतर विकल्प

नई दिल्ली, जेएनएन। विश्वभर में फैले कोरोना वायरस के संकट के बीच भारत भी इससे प्रभावित है। संक्रमण से बचने के लिए सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा कर रखी है, जिसकी वजह से आवश्यक सेवाओं को छोड़ अन्य सभी लोग घरों में हैं। इसके बावजूद इस बीमारी से पीड़ित होने वालों की बढ़ती संख्या चिंताजनक है। हालांकि उनके इलाज के लिए केंद्र और राज्य सरकारें हर संभव प्रयास कर रही हैं। संबंधित हॉस्पिटल्स में में समुचित स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए डॉक्टर्स के अलावा पैरामेडिकल स्टॉफ भी जी-जान से जुटे हैं।

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ऐसे पैरामेडिकल स्टॉफ की जरूरत हमेशा से रह है, जो डॉक्टरों को इलाज में मदद करने के साथ-साथ मरीजों के रोगों की पहचान और उसके निदान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यही वजह है कि सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल्स से लेकर नर्सिंग होम, क्लीनिक, लैब्स जैसी हर जगहों पर आज इनकी बहुत डिमांड है। दरअसल, पैरामेडिक्स चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में प्री-हॉस्पिटल इमरजेंसी सर्विसेज के अंतर्गत आता है। इसीलिए इस क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्ति को पैरामेडिकल स्टॉफ भी कहा जाता है। आसान शब्दों में कहें तो पैरामेडिक स्टॉफ इमरजेंसी मेडिकल केयर प्रोवाइडर के रूप में काम करता है, जो मूल रूप से प्राथमिक चिकित्सा और ट्रॉमा सेवाएं प्रदान करता है। मेडिकल क्षेत्र में करियर बनाने में रुचि रखने वालों के लिए यह एक बेहतर फील्ड हो सकता है, जहां करियर के साथ लोगों की सेवा करने का सुख भी है।

संभावनाएं: देश की बड़ी आबादी को देखते हुए इस समय करीब एक हजार की आबादी पर केवल 0.9 बेड की ही उपलब्धता है, जबकि वैश्विक मानक के अनुसार 2.9 बेड होना चाहिए। यही हालत लाइफस्टाइल जनित बीमारियों को लेकर भी है। यही कारण है कि देश में चिकित्सा क्षेत्र में सुधार के काफी प्रयास किए जा रहे हैं। इधर, मौजूदा संकट को देखते हुए भी माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में भी स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकारों का सबसे अधिक जोर होगा। ऐसे में पैरामेडिकल स्टॉफ के लिए काफी संभावनाएं बन रही हैं।

फिलहाल, पैरामेडिकल में डायग्नोसिस, फिजियोथेरेपी, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड आदि किए जाते हैं। एचआइपीएसआर की चेयरपर्सन डॉ. पूजा कालरा के अनुसार, देश में तेजी से नए-नए हॉस्टिपल्स खुल रहे हैं, तमाम कॉरपोरेट हॉस्पिटल भी बन रहे हैं, जिससे इनमें पैरामेडिकल प्रोफेशनल्स की काफी मांग है। बावजूद इसके पैरामेडिकल से संबंधित कोर्स करने के बाद ऐसे प्रोफेशनल्स इमरजेंसी सेंटर, ब्लड डोनेशन सेंटर, डायग्नोसिस सेंटर, फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज, मेडिसिन लैब, क्लीनिक जैसी जगहों पर भी करियर तलाश सकते हैं। इस क्षेत्र में विदेश में भी नौकरी के काफी मौके हैं। आइए जानते हैं इस क्षेत्र में प्रमुख करियर संभावनाओं के बारे में:

लैब टेक्नोलॉजी: इसे क्लीनिकल लेबोरेटरी साइंस भी कहा जाता है। इसमें प्रोफेशनल्स दो तरह से काम करते हैं- टेक्नीशियन और टेक्नोलॉजिस्ट। मेडिकल टेक्नोलॉजिस्ट मुख्य रूप से ब्लड बैंकिंग, क्लीनिकल टेक्नोलॉजी, हेमैटोलॉजी, इम्यूनोलॉजी एवं माइक्रो बायोलॉजी से संबंधित काम करते हैं जबकि मेडिकल टेक्नीशियन टेक्नोलॉजिस्ट एवं सुपरवाइजर की देखरेख में लैब में रूटीन टेस्ट का काम करते हैं।

रेडियोग्राफी: यह क्षेत्र भी पैरामेडिकल से ही संबंधित एक विधा है। इसमें रेडिएशन के सहारे बीमारी को डायग्नोस किया जाता है। रेडियोग्राफी में उन छिपे हुए अंगों की तस्वीरें ली जाती हैं, जो दिखते नहीं है। इसमें अल्ट्रासाउंड, एक्सरे, सीटी स्कैन, एमआरआइ आदि शामिल हैं। मेडिकल के क्षेत्र में तकनीक बढ़ने के साथ ही रेडियोग्राफर की भूमिका भी बढ़ती जा रही है।

ऑप्टोमेट्री: यह प्रोफेशन आंखों का परीक्षण, सही डायग्नोसिस एवं उचित समय पर उसकी देखभाल से संबंधित है। इसके अंतर्गत आंखों के प्रारंभिक लक्षण, लेंस का समुचित प्रयोग एवं अन्य दिक्कतों को जांचा- परखा जाता है।

माइक्रोबायोलॉजी टेक्नोलॉजी: पैरामेडिकल के क्षेत्र में माइक्रोबायोलॉजी टेक्नोलॉजिस्ट का काम काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। माइक्रोबायोलॉजी टेक्नोलॉजिस्ट द्वारा तय की गई रिपोर्ट और खोज की गई दवाओं के जरिए चिकित्सकों को किसी बीमारी की सही डायग्नोसिस और उपचार में मदद मिलती है।

फिजियोथेरेपी: बदलती जीवनशैली और चिकित्सकीय जरूरतों के कारण फिजियोथेरेपी की आवश्यकता आज काफी शिद्दत से महसूस की जा रही है। इसलिए इस क्षेत्र में काफी बूम है। इसमें शारीरिक व्यायाम अथवा उपकरणों के जरिए कई जटिल रोगों का इलाज किया जाता है। शारीरिक रूप से अशक्त होने, खिलाड़ियों

में आर्थराइटिस व न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर होने पर फिजियोथेरेपिस्ट की मदद ली जाती है। इसके अंतर्गत हीट रेडिएशन, वाटर थेरेपी, मसाज आदि को भी शामिल किया जाता है।

ऑक्युपेशनल थेरेपी: ऑक्युपेशनल थेरेपी के अंतर्गत न्यूरोलॉजिकल डिसआर्डर, स्पाइनल कार्ड इंजुरी के उपचार से लेकर अन्य कई तरह के शारीरिक व्यायाम कराए जाते हैं।

स्पीच थेरेपी: स्पीच थेरेपी के अंतर्गत हकलाना, तुतलाना, श्रवण क्षीणता जैसी कई समस्याओं का इलाज किया जाता है।

योग्यता: पैरामेडिकल के ज्यादातर कोर्स 12वीं के बाद कराए जाते हैं। इसके लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी व इंग्लिश सहित बारहवीं की परीक्षा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण करनी होगी, क्योंकि पैरामेडिकल के कुछ कोर्सेज के लिए 12वीं में 60 प्रतिशत अंकों की जरूरत होती है। मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन के लिए बायोलॉजी सहित स्नातक होना चाहिए।

प्रमुख संस्थान

  • ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स), नई दिल्ली www.aiims.edu
  • ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट फिजिकल मेडिसिन ऐंड रिहैबिलिटेशन, मुंबई www.aiipmr.gov.in
  • राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, बेंगलुरु www.rguhs.ac.in
  • हिप्पोक्रेट्स इंस्टीट्यूट्स ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज ऐंड रिसर्च www.hipsr.in
  • बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (फैकल्टी ऑफ साइंस), वाराणसी www.bhu.ac.in

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