ग्रेजुएशन में कम अंकों को लेकर ना हों परेशान, ऐसे मिलेगा बीएड में दाखिला
ज्यादातर विश्वविद्यालयों में बीएड प्रवेश परीक्षा में शामिल होने के लिए ग्रेजुएशन में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों की जरूरत होती है हालांकि कुछ संस्थानों में इसमें छूट दी जाती है।
नई दिल्ली [अरुण श्रीवास्तव]। अगर आप बीएड करना चाहते हैं लेकिन ग्रेजुएशन में आपके अंक कम हैं तो परेशान ना हों। कई ऐसे विश्वविद्यालय हैं जहां आपको कम अंकों पर भी दाखिला मिल जाएगा। इसी तरह के कई सवाल यहां मौजूद हैं जिनके जवाब आपको मिलेंगे-
मैंने बीए 49 फीसदी अंकों के साथ किया है। क्या मैं बीएड प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन कर सकता हूं?
-प्रियांक शर्मा, ईमेल से
ज्यादातर विश्वविद्यालयों/राज्यों में बीएड प्रवेश परीक्षा में शामिल होने के लिए ग्रेजुएशन में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों की जरूरत होती है, हालांकि कुछ संस्थानों में इसमें छूट दी जाती है। आप संबंधित राज्य/विवि के नोटिफिकेशन को ध्यान से देखकर इस बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं।
मैं सांइस स्टीम (पीसीएम) की कक्षा 12 की विद्यार्थी हूं। मैं आइएएस बनना चाहती हूं। पर ग्रेजुएशन में कौन-से विषय लूं, इसका निर्णय नहीं कर पा रही हूं। वास्तव में मैं दूसरा विकल्प भी रखना चाहती हूं। कृपया उचित मार्गदर्शन करें।
-दीक्षा कुशवाहा, ईमेल से
यूपीएससी द्वारा ली जाने वाली सिविल सेवा मुख्य परीक्षा/आइएएस में ऐच्छिक विषयों के व्यापक विकल्प हैं। आप चाहें तो यूपीएससी की साइट से उसे एक बार देख लें। उसके बाद ग्रेजुएशन में अपनी रुचि और यूपीएससी के ऐच्छिक विषयों के विकल्प में संतुलन रखते हुए विषय का चयन कर सकती हैं। विषय वही लें, जिसमें आप अपना मन रमा सकती हों। इससे आपको बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिल सकती है।
मैं बीसीए पूरा कर चुका हूं। दो साल तक प्राइवेट बैंक में सेवा भी दे चुका हूं, परंतु अब मैं बीपीएससी की तैयारी करना चाहता हूं। पिछले चार वर्षों से जनरल विषय से दूर हूं। ऐसे में तैयारी कहां से और कैसे शुरू करूं?
-दीपक कुमार, पटना
अगर आप बीपीएससी की तैयारी को लेकर गंभीर हैं, तो बेहतर यही होगा कि पहले आप इसके सिलेबस को देखकर पूरा होमवर्क कर लें। अगर जनरल विषयों से आपका आशय सामान्य अध्ययन और अन्य अनिवार्य प्रश्नपत्रों से है, तो इसके लिए आप ऑनलाइन न्यूज पोर्टल्स, प्रतियोगिता परीक्षाओं पर केंद्रित पत्रिकाओं और दैनिक समाचार पत्रों से तैयारी कर सकते हैं। कम से कम छह माह से लेकर एक साल की नियमित तैयारी कामयाबी की राह पर आगे बढ़ा सकती है।