DU Admission 2019: मार्क्स से नहीं बनेगी बात, 50 हजार सीटों के लिए होगा एंट्रेंस टेस्ट
आगामी सत्र यानी 2019 से ग्रेजुएशन में दाखिले के लिए इच्छुक छात्र-छात्राओं को प्रवेश परीक्षा देनी होगी, इस तरह के प्रस्ताव पर तेजी से चर्चा है और इसके लागू होने के भी आसार हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। देश के नामी संस्थानों में शुमार दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) में दाखिले लेने के इच्छुक देशभर के लाखों छात्रों के लिए बड़ी खुशखबरी है। आगामी सत्र यानी 2019 से ग्रेजुएशन में दाखिले के लिए इच्छुक छात्र-छात्राओं को प्रवेश परीक्षा देनी होगी, इस तरह के प्रस्ताव पर तेजी से चर्चा है और इसके लागू होने के भी आसार हैं। अब तक डीयू में एडमिशन लेने के लिए 12वीं में मिले मार्क्स के आधार पर बनी मेरिट पर छात्र-छात्राओं का दाखिला होता था। नियम बदलने से देशभर के छात्र-छात्राएं प्रवेश परीक्षा में शामिल होकर डीयू में दाखिला ले सकते हैं। बता दें कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के तकरीबन 80 कॉलेजों में 50000 से अधिक सीटें हैं। इन सीटों के हर साल 2-3 लाख छात्र-छात्राएं दाखिले के लिए आवेदन करते हैं।
डीयू के वाइस चांसलर योगेश त्यागी के मुताबिक, दिल्ली विश्वविद्यालय इसे 2019 के सत्र से लागू करने की योजना बना रहा है। इसके बारे में अभी विस्तृत और स्पष्ट योजना तैयार नहीं की गई है, लेकिन इस पर विचार किया जा रहा है। वहीं, सूत्रों के मुताबिक, डीयू पर प्रवेश परीक्षा कराने का नैतिक दबाव भी बढ़ रहा है।
वहीं,डीयू के कुलपति प्रोफेसर योगेश त्यागी ने अंतिम फैसला डीयू की दाखिला समिति पर छोड़ा है। त्यागी के मुताबिक स्नातक पाठ्यक्रमों का दाखिला प्रवेश परीक्षा के आधार पर कराने की उम्मीद है। डीयू प्रशासन की तरफ से संभावना जताई गई है कि इस प्रणाली के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को भी साथ में लाया जा सकता है।
दस दिन में दाखिला समिति गठित हो होगी, फिर लेंगे फैसला
डीयू स्टूडेंट वेलफेयर के डीन प्रोफेसर राजीव गुप्ता ने 'दैनिक जागरण' से बातचीत में कहा कि अगर डीयू के स्नातक पाठ्यक्रमों में सभी कॉलेजों में प्रवेश परीक्षा के आधार पर दाखिला होता है, तो डीयू को देश भर से काफी अच्छे उम्मीदवार मिलेंगे। लेकिन, इस मामले में अगले दस दिनों में अंतिम फैसला होगा। डीयू की तरफ से दाखिला समिति का गठन की प्रक्रिया चल रही है। कई विचार-विमर्श शैक्षिक सत्र 2019-20 के लिए किए जाएंगे।
2018-19 के लिए बनी दाखिला समिति की सिफारिशों को नहीं किया था लागू
अकादमिक परिषद के सदस्य पंकज गर्ग ने कहा कि डीयू में स्नातक में प्रवेश परीक्षा के आधार पर दाखिला कराने का मामला तीन साल पुराना है। उन्होंने कहा कि वह 2018-19 के शैक्षिक सत्र में दाखिला समिति का सदस्य थे। उस समय समिति की तरफ से एक उप समिति भी बनी थी। इन समितियों ने सिफारिश की थी कि स्नातक पाठ्यक्रम की कुल 56 हजार सीटों के लिए एक साथ प्रवेश परीक्षा कराना उचित नहीं होगा। इसे दो या तीन कोर्स के लिए 2018-19 में दाखिला के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जाए। यह भी सिफारिश की थी कि दाखिला मेरिट के आधार पर किया जाए, लेकिन सभी छात्रों से 50 फीसद अंक की एक प्रवेश परीक्षा ली जाए। उसमें उत्तीर्ण छात्रों को दाखिला दिया जाए, लेकिन यह सिफारिशें नहीं मानी गई।
डीयू सभी कॉलेजों में जनवरी से शुरू करेगा प्लेसमेंट प्रक्रिया
डीयू के केंद्रीय प्लेसमेंट सेल की तरफ से जनवरी के दूसरे हफ्ते से सभी कॉलेजों में एक साथ प्लेसमेंट शुरू करने की तैयारी है। डीयू की डिप्टी डीन हिना सिंह ने बताया कि छात्रों की अभी परीक्षाएं चल रही हैं। इसके बाद छुट्टियां शुरू हो जाएंगी। हमारी कोशिश है कि प्लेसमेंट सेल की तरफ से एक साथ सभी कॉलेजों में जनवरी के दूसरे हफ्ते से यह व्यवस्था शुरू कर दी जाएगी। इससे पहले अक्टूबर एवं नवंबर के दौरान कई कॉलेजों की तरफ से अपने स्तर पर प्लेसमेंट शुरू की गई थी। इसमें छात्रों को काफी अच्छे पैकेज भी ऑफर हुए थे। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश रहेगी कि 200 से ज्यादा कंपनियां प्लेसमेंट के लिए आएं।
लंबे समय से अधर में थी योजना
डीयू में प्रवेश परीक्षा के आधार पर दाखिले की मांग लंबे समय से उठाई जाती रही है। इसके पीछे वजह यह है कि दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) और जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय (JMIU) में भी एडमिशन प्रवेश परीक्षा के आधार पर ही होता है। ऐसे में यह मांग लंबे समय से की जा रही थी।मांग के साथ लंबे समय से ये योजना अधर में भी लटकी हुई बताई जा रही है, लेकिन अब ताजा खबर के मुताबिक इसे अगले सत्र से लागू किया जा सकता है।
बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय में अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम के लिए मार्क्स के आधार दाखिला होता है। अब तक दिल्ली विश्वविद्यालय में एडमिशन पाने के लिए कक्षा 12वीं के मार्क्स महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इसमें बेस्ट फोर के मार्क्स के आधार पर मेरिट बनती है और फिर एडमिशन दिया जाता है। हालांकि, पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्सेज में दाखिलों के लिए प्रवेश परीक्षा होती रही है, लेकिन डीयू में ग्रेजुएशन में भी प्रवेश परीक्षा का नियम क्रांतिकारी साबित होगा।
अब तक यह है नियम
- आर्ट्स, ह्युमैनिटीज़ के लिए और साइंस के कोर्स के लिए अलग-अलग कट-ऑफ लिस्ट निकाली जाती है।
- दाखिले की प्रक्रिया के दौरान कॉलेज छात्र की 12वीं के नतीजों के आधार पर कट-ऑफ लिस्ट निकालते हैं। इसके लिए 'बेस्ट-4' यानी छात्र के किन्ही 4 सब्जेक्ट, जिनमें उसे सर्वाधिक अंक आए हैं, उसकी गणना करता है।
- बी-टेक, बीएमएस, बीए (ऑनर्स) इकोनॉमिक्स और बीबीए आदि के लिए विश्विद्यालय प्रवेश परीक्षा भी आयोजित कर सकता है।
- हर कॉलेज में 5 फीसदी सीट स्पोर्ट्स और एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज़ कोटा के लिए आरक्षित होती है।
- हर कॉलेज में स्पोर्ट्स और एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज़ कोटा से दाखिले की प्रक्रिया अलग होती है।
- छात्राएं नॉन कॉलेजियेट वूमन एजुकेशन बोर्ड (NCWEB), डीयू के तहत भी दाखिला ले सकती हैं जहां कई स्टडी सेंटर्स पर महिलाओं के लिए वीकेंड पर कक्षाएं आयोजित की जाती हैं।
- नॉन कॉलेजियेट वूमन एजुकेशन बोर्ड (NCWEB), डीयू बीए (प्रोग्राम) और बी कॉम में स्नातक पाठ्यक्रम उपलब्ध करता है।
- जिन छात्रों के 12वीं में कम अंक आते हैं, वे यूनिवर्सिटी की स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग में भी दाखिला ले सकते हैं।
2019 में ऐसे होगा एडमिशन
नया नियम लागू हुआ तो जो छात्र 12वीं कक्षा पास कर चुके हैं और दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक की पढ़ाई के लिए प्रवेश पाना चाहते हैं तो उन्हें अब इसके लिए प्रवेश परीक्षा पास करनी होगी। ये नया बदलाव छात्रों को लिए जरूर झटका देने वाला हो सकता है, लेकिन व्यापक स्तर पर देखा जाए तो यह मेरिट की तुलना में बेहतर है।
ग्रेजुएशन के नौ कोर्सों में प्रवेश परीक्षा से दाखिला
- बैचलर ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (बीएमएस)
- बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (बीबीए)
- बीए (ऑनर्स) बिजननेस इकोनोमिक्स
- बीए (ऑनर्स) ह्यूमैनिटीज एवं सोशल साइंस
- बैचलर ऑफ एलीमेंट्री एजुकेशन
- बैचलर ऑफ साइंस फिजिकल एजुकेशन, हेल्थ एजुकेशन एवं स्पोर्ट्स
- बीए (ऑनर्स) मल्टीमीडिया एवं मास मीडिया
- बीटेक (इनफोर्मेशन टेक्नोलॉजी एवं मैथेमेटिकल इनोवेशन
- बीए (ऑनर्स) म्यूजिक
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