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सातवें वेतन और भत्ता के लिए अदालत में खुद अपना पक्ष रखें शिक्षकः हाई कोर्ट

पीठ ने कहा कि शिक्षक पढ़े लिखे हैं और अपनी मांगों को लेकर अदालत में याचिका दाखिल कर सकते हैं।

By Neel RajputEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 03:38 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 03:52 PM (IST)
सातवें वेतन और भत्ता के लिए अदालत में खुद अपना पक्ष रखें शिक्षकः हाई कोर्ट
सातवें वेतन और भत्ता के लिए अदालत में खुद अपना पक्ष रखें शिक्षकः हाई कोर्ट

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली हाई कोर्ट ने सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा के अनुसार वेतन व भत्ता मांगने वाले शिक्षकों से कहा कि वे खुद इसके लिए आगे आएं और अदालत में अपना पक्ष रखें। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल व न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने कहा कि शिक्षक पढ़े लिखे हैं और अपनी मांगों को लेकर अदालत में याचिका दाखिल कर सकते हैं। पीठ ने इसके साथ ही निजी विद्यालयों के शिक्षकों को वेतन व भत्ता देने का निर्देश देने की मांग करने वाली संस्था सोशल ज्यूरिस्ट की याचिका को निपटा दिया।

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प्राइवेट स्कूलों की एक्शन कमिटी ने कहा कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए स्कूलों को फीस में 25 फीसद की बढ़ोतरी करनी होगी, जो 2016 से प्रभावी होगी। स्कूलों के मुताबिक ऐसा किए बिना टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ को 7वें वेतन आयोग क अनुसार सैलरी देना पाना मुश्किल होगा। इसके अलावा स्कूलों ने यह भी कहा कि सिफारिशें लागू करने के लिए राज्य सरकार से फीस बढ़ोतरी की मंजूरी के लिए भी कई बार अनुमति मांगी गई लेकिन उन्हें इजाजत नहीं मिली।

दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा था कि राजधानी के 50 फीसद से ज्यादा निजी स्कूल अपने शिक्षक व कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा के अनुसार वेतन व भत्ता नहीं दे रहे हैं। वैसे स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है। सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा लागू नहीं करने वाले निजी स्कूलों को कारण बताओ नोटिस भेजे जा रहे हैं। उनका जवाब आने के बाद उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

सरकार ने कहा था कि कुल 1766 निजी स्कूलों में से 976 निजी स्कूलों ने अप्रैल, 2019 तक सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा को लागू नहीं किया है। अभी तक महज 790 स्कूलों ने ही इसे लागू किया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने कहा था कि निजी स्कूलों के शिक्षकों व कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा के अनुसार वेतन व भत्ता देने का निर्देश दिया जाए। क्योंकि दिल्ली सरकार और निगम शिक्षकों व कर्मचारियों को यह वेतन दे रहे हैं।


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