NCERT: एनसीईआरटी के पास नहीं है जानकारी मुगलों द्वारा मंदिरों के मरम्मत की, इतिहास के चैप्टर पर आरटीआई में मिला जवाब
NCERT शिवांक वर्मा द्वारा कक्षा 12 की इतिहास के एक चैप्टर में मुगल शासकों शाहजहां और औरंगजेब द्वारा युद्ध के दौरान ध्वस्त हुए मंदिरों की मरम्मत के लिए अनुदान दिये जाने के पैराग्राफ को लेकर साक्ष्य की मांग एनसीईआरटी से आरटीआई के तहत की गयी थी।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। NCERT: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान परिषद (एनसीईआरटी) ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत इतिहास के एक चैप्टर के प्रंसग को लेकर मांगी गयी सूचनाओं के जवाब में कहा है कि परिषद के पास इस बारे में सूचना उपलब्ध नहीं है। शिवांक वर्मा द्वारा कक्षा 12 की इतिहास के एक चैप्टर में मुगल शासकों शाहजहां और औरंगजेब द्वारा युद्ध के दौरान ध्वस्त हुए मंदिरों की मरम्मत के लिए अनुदान दिये जाने के पैराग्राफ को लेकर साक्ष्य की मांग एनसीईआरटी से आरटीआई के तहत की गयी थी। साथ ही, आरटीआई के माध्यम से शिवांक ने यह भी जानना चाहा था कि इन शासकों द्वारा किन-किन मंदिरों की मरम्मत के लिए अनुदान दिया गया था। इन दोनो ही प्रश्नों के जवाब ने एनसीईआरटी ने सूचना उपलब्ध न होने की जानकारी दी है।
ऐसे उठा मामला
कक्षा 12 की इतिहास की पुस्तक “थीम्स ऑफ इंडियन हिस्ट्री पार्ट II” के पेज संख्या 234 पर मुगल शासकों शाहजहां एवं औरंगजेब के बारे में दिये गये एक पैराग्राफ को लेकर शिवांक वर्मा द्वारा 3 सितंबर 2020 को मांगी गयी सूचना का जवाब एनसीईआरटी के सामाजिक विज्ञान शिक्षा विभाग के विभागध्यक्ष एवं जनसूचना अधिकारी प्रो. गौरी श्रीवास्तव की तरफ से जानकारी दे दी गयी थी।
इसके बाद कोलंबिया विश्वविद्यालय में स्कॉलर रहीं और शिक्षाविद डॉ. इंदू विश्वनाथन ने बुधवार, 13 जनवरी को एनसीईआरटी के लेटर को ट्वीट करते हुए कहा, “यह अविश्वसनीय रूप से घातक साक्ष्य है।”
This is incredibly damning evidence. pic.twitter.com/vF66qwbpSx— Dr. Indu Viswanathan (@indumathi37) January 13, 2021
एनसीईआरटी की पुस्तकों को विद्यालयी शिक्षा के लिए बेंचमार्क माना जाता है। सिविल सेवा जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में भी इन पुस्तकों से तैयारी करने की सलाह एक्पर्ट्स द्वारा दी जाती रही है। ऐसे में डॉ. इंदू विश्वनाथन के ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गयी है। सेवानिवृत आईएएस अधिकारी संजय दीक्षित ने ट्वीट किया, “एनसीईआरटी की इतिहास की पुस्तकों को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के इतिहास विभाग द्वारा यूपीए 1 के कार्यकाल के दौरान वामपंथी प्रचार के बीच लिखा गया था। इन पुस्तकों का ‘बोनफायर’ काफी समय से लंबित है।”
All NCERT History text books were got written by JNU History department by the UPA 1 - complete Leftist propaganda. Bonfire of these books is long overdue. https://t.co/H7gSXJhPEy" rel="nofollow— Sanjay Dixit ಸಂಜಯ್ ದೀಕ್ಷಿತ್ संजय दीक्षित (@Sanjay_Dixit) January 14, 2021
वहीं, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अधीन शिमला स्थित शोध संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी (आईआईएएस) के निदेशक मकरंद आर. परांजपे ने ट्वीट करते हुए प्रश्न उठाया, “एनसीईआरटी की फाइलों में सूचना उपलब्ध नहीं है, यानि इस तथ्य का अस्तित्व ही नहीं है? मूल प्रश्न यह है कि हमारी इतिहास की किताबों में लेखकों ने पहले तो ऐसे संदेहास्पद दावों को शामिल ही क्यों किया और फिर उन्हें ऐसा करने के निर्देश किसने दिये?”
The information is "not available" in the @ncert files because it doesn't exist? The real question is why did the authors insert such dubious claims in our history books in the first place & who "instructed" them to do so? https://t.co/doJxJPrq5P" rel="nofollow— Makarand R Paranjape (@MakrandParanspe) January 13, 2021