रोबोटिक्स में संवारे अपना फ्यूचर, अच्छे करियर के साथ मिलेगी अच्छी सैलरी
इमोटिक्स कंपनी के सीईओ स्नेह वासवानी का कम्पैनियन रोबोट ‘मिको’ और ‘मिको-2’ बच्चों को हल्के-फुल्के तरीके से सीखने में मदद करता है।
नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ‘गगनयान मिशन’ में जाने वाले अपने महिला रोबोट ‘व्योममित्र’ को लेकर एक बार फिर चर्चा में है। दिसंबर 2021 में अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर ‘गगनयान’ के जाने से पहले इसरो ने इंसान जैसे दिखने वाले इस ह्यूमनॉइड रोबोट को अंतरिक्ष में भेजने का फैसला किया है। वैसे, पिछले कुछ सालों में रोबोट का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए अगर आपकी भी रोबोटिक्स में रुचि है, तो इसमें पढ़ाई करके तेजी से उभरते इस फील्ड में अपना करियर संवार सकते हैं...
इमोटिक्स कंपनी के सीईओ स्नेह वासवानी का कम्पैनियन रोबोट ‘मिको’ और ‘मिको-2’ बच्चों को हल्के-फुल्के तरीके से सीखने में मदद करता है। यह रोबोट बच्चों के साथ लंबी बातचीत कर सकता है, उनसे सामान्य ज्ञान से लेकर पाठ्यक्रम संबंधी जानकारियां शेयर कर सकता है। इससे खासकर उन पैरेंट्स को काफी मदद मिली है, जो अपने बच्चों को पर्याप्त समय नहीं दे पाते हैं। स्नेह वासवानी को रोबोटिक्स का ऐसा जुनून था कि उन्होंने कॉरपोरेट जगत की नौकरी तक छोड़ दी। उनकी इस गहरी रुचि का ही नतीजा है कि उन्हें और उनकी टीम को अब तक कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय अवॉड्र्स मिल चुके हैं। देखा जाए तो आज इसी तरह तमाम उत्साही युवा अपनी कुशलता के बल पर अलग-अलग एप्लीकेशंस के लिए रोबोट्स, चैटबोट्स और ड्रोन तैयार करके, लोगों को टेक्नोलॉजी सॉल्यूशन उपलब्ध कराकर देश-दुनिया में काफी नाम कमा रहे हैं।
बढ़ रहा मार्केट
भारतीय रोबोटिक्स मार्केट भले ही अभी अपने शुरुआती दौर में है, लेकिन इसका इंडस्ट्रियल उपयोग लगातार बढ़ रहा है। एक आंकड़े के अनुसार, कुल रोबोट का करीब 62 प्रतिशत हिस्सा अकेले मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में इस्तेमाल हो रहा है। लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण, इंडस्ट्री से मांग और ग्राहकों की क्रय शक्ति बढ़ने के बाद इसका इस्तेमाल रोजमर्रा के काम के अलावा धीरे-धीरे अन्य क्षेत्रों में भी होने लगा है। आज दुनिया के कई विकसित देशों में रोबोट ही घरों में साफ-सफाई, बर्तन धोने, कपड़े धोने समेत कई घरेलू काम कर रहे हैं। ये रोबोट घरों में बच्चों को भी संभाल रहे हैं। खेतों में जुताई-बुवाई कर रहे हैं।
डॉक्टरों की तरह अस्पतालों में सर्जरी कर रहे हैं। यहां तक कि कई रेस्टोरेंट में रोबोट ही आजकल ग्राहकों को खाना भी परोस रहे हैं। इसके अलावा, इसरो का ताजा मामला हमारे सामने है। रोबोट और ड्रोन की बढ़ती मांग को देखते हुए माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में एआइ और आइओटी तकनीक से लैस इन स्मार्ट मशीनों का रोल और बढ़ जाएगा। हमारा बहुत-सा काम ये स्मार्ट मशीनें ही करती दिखाई देंगी। एआरके इनवेस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2025 तक रोबोट की कीमत करीब 65 फीसदी तक कम हो जाएगी। इसकी वजह से आने वाले दिनों में रोबोट्स का इस्तेमाल और कई गुना बढ़ने की उम्मीद है।
डिमांडिंग सेक्टर
हाल ही में प्रोफेशनल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म लिंक्डइन की ओर से जारी ‘इमर्जिंग जॉब्स 2020’ में रोबोटिक्स इंजीनियर/कंसल्टेंट को उन टॉप डिमांडिंग जॉब्स में शुमार किया गया है, जिसकी वर्ष 2020 में काफी डिमांड रहने वाली है। रिपोर्ट की मानें, तो आने वाले दिनों में इस जॉब में अच्छी सैलरी के साथ-साथ तरक्की की भी काफी संभावनाएं हैं। इसलिए कि एआइ के रूप में इनोवेटिव तकनीक आ जाने से दुनिया भर में स्मार्ट रोबोट का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। जाहिर है, इससे आने वाले वर्षों में अधिक से अधिक रोबोट्स की मांग बढ़ने के साथ ही बड़ी संख्या में नौकरियों के मौके भी सामने आएंगे, जहां रोबोट्सकी डिजाइनिंग, डेवलपमेंट और प्रोग्रामिंग में प्रशिक्षित प्रोफेशनल्स की जरूरत होगी।
इंजीनियर/कंसल्टेंट के रूप में करियर
रोबोटिक्स में इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमेशन तथा ड्रोन टेक्नोलॉजी के रूप में कुल तीन क्षेत्र आते हैं। इन तीनों क्षेत्रों में स्पेशलाइजेशन के बाद युवाओं के लिए अपार संभावनाएं हैं, जहां आने वाले 5 से 10 वर्षों में बड़ी संख्या में नौकरियां सामने आने की उम्मीद है। साइंस और इंजीनिर्यंरग बैकग्राउंड के युवा रोबोटिक इंजीनियर, रोबोटिक डिजाइन इंजीनियर, कंसल्टेंट एआइ इंजीनियर या फिर ड्रोन पायलट के तौर पर अपने करियर की शुरुआत कर सकते हैं। इन दिनों स्नेह वासवानी की तरह तमाम युवा अपने स्टार्टअप के जरिए टेक्नोलॉजी सॉल्यूशन उपलब्ध कराकर भी अच्छा पैसा और शोहरत कमा रहे हैं।
कोर्स एवं योग्यता
आइआइटी समेत देश के विभिन्न इंजीनियरिंग संस्थानों में आजकल रोबोटिक साइंस या रोबोटिक्स के रूप में यह कोर्स, मॉड्यूल उपलब्ध है। रोबोटिक साइंस कोर्स आप साइंस स्ट्रीम से 12वीं पास करने के बाद कर सकते हैं, जबकि रोबोटिक्स में स्पेशलाइजेशन के लिए इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, इंस्ट्रूमेंटेशन या कंप्यूटर साइंस में से कोई एक टेक्निकल बैकग्राउंड होना जरूरी है।
सैलरी पैकेज
यह नए जमाने का एक हाईपेइंग फील्ड है। युवाओं को यहां आजकल शुरुआत में ही 40 से 50 हजार रुपये तक सैलरी ऑफर हो रही है। वहीं, कुछ वर्षों के अनुभव वाले लोग हर महीने 1 से 2 लाख रुपये तक पा रहे हैं। कुल मिलाकर, यह पैकेज बहुत हद तक आपकी क्षमता पर निर्भर करता है कि आप अपने एरिया में कितने कुशल हैं।
अगला दशक इंटेलिजेंट रोबोट्स का
ओमनीप्रजेंट के सीईओ आकाश सिन्हा के मुताबिक रोबोट टेक आज जिस तरह से स्मार्टफोन से चेंज आया है या फिर इससे पहले के 10 सालों में इंटरनेट या कंप्यूटर से जो चेंज आया है, उसी तरह का ग्रोथ अगले दशक में रोबोट्स में दिखाई देगा।
2020 का दशक एआइ बेस्ड इंटेलिजेंट रोबोट का होगा। रोबोट के रूप में आपको अपने आसपास ड्राइवरलेस कारें दिखाई देंगी। ड्रोन (उड़ता हुआ रोबोट) का इस्तेमाल तो आज काफी हद तक शादी-फंक्शन में होने भी लगा है। इसी तरह आने वाले दिनों में अलग-अलग इंडस्ट्री में रोबोट आएंगे। हो सकता है कि उन सभी रोबोट्स की शक्ल इंसानों जैसी न हो, लेकिन जो भी मशीनें आप देख रहे हैं वे सभी रोबोट और एआइ बेस्ड हो जाएंगे। कहा तो यह भी जा रहा है कि 25-30 साल बाद एक समय ऐसा आएगा कि जब रोबोट बौद्धिक क्षमता में उस लेवल तक पहुंच जाएंगे कि आप देखकर बता नहीं पाएंगे कि वह आदमी है या रोबोट। और तब हर आदमी के पास अपना एक रोबोटिक असिस्टेंट होगा, जो उसके कई तरह के रोजमर्रा का काम करेगा। इसलिए आने वाले दशक में इस फील्ड में फ्यूचर बहुत ब्राइट रहने वाला है। युवाओं को यही सलाह है कि अगर आप इस फील्ड में आना चाहते हैं, तो स्टैंडर्ड इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के साथ-साथ रोबोट से जुड़े कुछ प्रोजेक्ट और इंटर्नशिप भी करते रहें, जो आपके लिए आगे चलकर काफी मददगार साबित होगा।
प्रमुख संस्थान
आइआइटी, खड़गपुर, दिल्ली, मुंबई, कानपुर, मद्रास, गुवाहाटी, रुड़की
www.iit.ac.in
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस,बेंगलुरु
www.iisc.ernet.in
नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली
www.nsit.ac.in
बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ऐंड साइंस (बिट्स), पिलानी
www. bits-pilani.ac.in