जानें कौन हैं पूनम ग्रोवर जो संवार रही हैं गरीब बच्चों की जिंदगी
तूने जिंदगी संवारी मुझको गले लगा के..बैठा दिया फलक पर मुझे खाक से उठा के..! गाने के ये बोल डॉ.पूनम ग्रोवर पर सटीक बैठते हैं। जानें कौन हैं पूनम।
नई दिल्ली, [संजीव वर्मा]। तूने जिंदगी संवारी, मुझको गले लगा के..बैठा दिया फलक पर, मुझे खाक से उठा के..! गाने के ये बोल डॉ.पूनम ग्रोवर पर सटीक बैठते हैं। वे झुग्गी-झोपड़ी के गरीब बच्चों की जिंदगी संवारने की मुहिम में जुटी हैं। एक तरह से उनका बचपन से संजोया सपना शादी के बाद आज साकार हो रहा है। पति के हिम्मत देने और सहयोग के बाद अपने आशियाने में नि:शुल्क कोचिंग सेंटर खोला। नाम दिया ‘अपनी पाठशाला।’ तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद आज वे सैकड़ों आर्थिक कमजोर बच्चों की जिंदगी संवार कर फलक पर बैठा चुकी हैं।
डॉ.पूनम ग्रोवर बताती हैं कि उनके पिता कहा करते थे कि शिक्षा पर सबका अधिकार है। इसी सीख से वर्तमान में वे झुग्गी-झोपड़ी में ज्ञान का दीपक जला रही हैं। नगर के मधुबन कॉलोनी में रहने वाली डॉ.पूनम का जन्म एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। वे पांच बहनों में दूसरे नंबर की है। वे बताती हैं कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों को शिक्षित करने का उनके मन में हमेशा सवाल उठता था। इसलिए वर्ष 2017 में उन्होंने अपने आवास में ही पाठशाला शुरू की। पाठशाला के निर्माण से करीब एक माह पूर्व वह मेरठ रोड स्थित झुग्गी में पहुंची और वहां बच्चों से जनरल नॉलेज के सवाल पूछे। बच्चों ने सभी सवालों को जवाब आसानी से दे दिया।
बस यहीं से उनके मन में बचपन की इच्छा ने उछाल मारा और अपने आवास में ही अपनी पाठशाला शुरू कर दी। नि:शुल्क पाठय सामग्री के साथ ही उन्होंने बच्चों की क्लास शुरू की। बेहतर बच्चों को स्कूलों में एडमिशन कराने के साथ उनकी फीस तक जिम्मा वे उठाती हैं। रोजाना उनके आवास पर दोपहर दो से चार बजे तक अपनी पाठशाला चलती हैं। डॉ.पूनम के पति डॉ.अशोक ग्रोवर भी उनका बखूबी साथ देते हैं।
28 साल से स्वास्थ्य सेवा से भी जुड़ी हैं पूनम
डॉ.पूनम ग्रोवर पिछले 28 साल से स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी है। विभिन्न आश्रम में वे नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवाएं देती है। आय का करीब 30 फीसद कमजोर परिवार के बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने पर खर्च करती हैं। वे कहती हैं कि सभी तरह के अपराधों का जन्म शिक्षा के अभाव से होता है। इसीलिए उनका मकसद है कि हर बच्चे को बेहतर शिक्षा मिले, ताकि एक अच्छे समाज का निर्माण हो सके।