पानी बचाना जानते हैं तो करियर में अपार संभावनाएं
सरकारें और औद्योगिक प्रतिष्ठान अब वाटर हार्वेस्टिंग/ कंजर्वेशन ऐंड मैनेजमेंट पर ज्यादा जोर दे रहे हैं ताकि ऐसी समस्याओं से निपटा जा सके।
[जागरण स्पेशल]। पहले से ही पानी संकट से जूझ रहे अपने देश में मानसून की अनिश्चितता, देरी और कम बारिश से कई राज्यों में सूखे जैसे हालात हैं। बीते कुछ वर्षों से दुनिया भर में यही स्थिति देखी रही है। अनुमान है कि आने वाले समय में यह संकट और विकराल हो जाएगा। इस संकट को देखते हुए इन दिनों सरकारों का रेन वाटर हार्वेस्टिंग/कंजर्वेशन पर काफी जोर है। इससे इस फील्ड में करियर के नए-नए मौके भी सामने आ रहे हैं, जहां वाटर कंजर्वेशनिस्ट के रूप में एक शानदार करियर तलाशा जा सकता है।
चेन्नई से पिछले दिनों जल संकट से त्राहित्राहि मचने की खबर आई थी, जहां पीने तक का पानी लोगों को मयस्सर नहीं हो रहा है। आज यह सिर्फ चेन्नई, तमिलनाडु, महाराष्ट्र या फिर यूपी के बुंदेलखंड की ही समस्या नहीं है। समूचा विश्व पानी की किल्लत से जूझ रहा है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं है कि अगला विश्व युद्ध सभी देश पानी के लिए लड़ेंगे। इसलिए आज लोगों में जल संचयन की जागरूकता फैलाकर पानी की आवश्यकता बताना समय की मांग है।
इसके लिए सरकारें और औद्योगिक प्रतिष्ठान अब वाटर हार्वेस्टिंग/ कंजर्वेशन ऐंड मैनेजमेंट पर ज्यादा जोर दे रहे हैं, क्योंकि इन समस्याओं से निपटने के लिए वाटर मैनेजमेंट के ट्रेंड प्रोफेशनल्स को ही व्यावहारिक जानकारी होती है। ऐसे प्रशिक्षित लोग वाटर हार्वेस्टिंग, वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट तथा वाटर रीसाइकिलिंग की अच्छी समझ रखते हैं। जाहिर है लगातार बढ़ते जल संकट को कंट्रोल में लाने के लिए आगे के वर्षों में भी वाटर साइंटिस्ट, एनवॉयर्नमेंट इंजीनियर, ट्रेंड वाटर कंजर्वेशनिस्ट या वाटर मैनेजमेंट जैसे प्रोफेशनल्स की डिमांड बनी रहेगी।
जॉब के मौके: व्यावसायिक व आवासीय इमारतों में वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य किए जाने से वाटर साइंटिस्ट, वाटर मैनेजर, हाइड्रो जियोलॉजिस्ट, बॉयोलाजिस्ट, कंसल्टेंट, वाटर कंजर्वेशनिस्ट जैसे प्रोफेशनल्स के लिए मौके बढ़ गए हैं। तेजी से उभरते ग्रीन जॉब में शुमार इस फील्ड में समुचित पढ़ाई और प्रशिक्षण लेकर आप सरकारी प्रतिष्ठानों से लेकर औद्योगिक प्रतिष्ठानों, कॉरपोरेट कंपनीज, एनजीओज एवं हाउसिंग सोसाइटीज में अपने लिए नौकरी तलाश सकते हैं। इसके अलावा, पेयजल आपूर्ति तथा वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट से संबंधित प्लांट्स में भी ऐसे ट्रेंड लोगों की काफी जरूरत देखी जा रही है।
बड़े-बड़े उद्योगों और एनजीओ में वाटर हार्वेस्टिंग डिजाइनिंग तथा इसके रखरखाव के लिए ऐसे पेशेवरों की काफी मांग है। रियल स्टेट डेवलपर्स तथा बिल्डर्स भी आजकल अपने प्रोजेक्ट के लिए पानी के प्रबंधन की योजना बनाने के लिए तथा हाउसिंग कॉम्प्लेक्स के पानी की रीसाइकिलिंग और रीयूज के लिए वाटर मैनेजमेंट बैकग्राउंड के प्रोफेशनल्स की ही सेवाएं ले रहे हैं। चाहें, तो पानी के किसी एक एरिया में स्पेशलाइजेशन करके कंसल्टेंट बनकर या फिर किसी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से जुड़कर भी इस क्षेत्र में अच्छा करियर बना सकते हैं।
क्या है वाटर मैनेजमेंट?: हर साल यह देखने में आता है कि देश में कहीं बारिश के मौसम में एक क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति होती है, तो दूसरे क्षेत्रों में भयंकर सूखा होता है। पर्याप्त बारिश के बावजूद तमाम जगहों पर लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। इसका एक प्रमुख कारण है कि वर्षा जल का उचित संचयन न होना या फिर धरती से निकाले गए जल को वापस धरती को न लौटाना।
वैसे आजकल इसके लिए कई वैज्ञानिक तरीके हैं जिनमें सबसे कारगर तरीका है-रेन वाटर हार्वेस्टिंग यानी वर्षाजल का संचय एवं संग्रह करना। दूसरे शब्दों में कहें, तो जो प्रकृति से लिया है वह प्रकृति को ही वापस लौटाना। इसका फायदा यह होगा कि किसानों की मानसून पर निर्भरता कम हो जाएगी और पानी के अभाव में खराब हो रही लाखों हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई हो सकेगी। उम्मीद है कि गहराते इस जल संकट को दूर करने के लिए आने वाले समय में इस वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल निजी तौर पर भी और अधिक बढ़ेगा ताकि वर्षा जल का समुचित प्रबंधन करके आवश्यकतानुसार उसे खुद के उपयोग में लाया जा सके।
कोर्स एवं योग्यता: जल प्रबंधन और संरक्षण पर आधारित कई तरह के कोर्स आजकल देश के विभिन्न सरकारी और निजी संस्थानों में संचालित हो रहे हैं, जहां से आप वाटर साइंस, वाटर कंजर्वेशन, वाटर मैनेजमेंट, वाटर हार्वेस्टिंग तथा वाटर ट्रीटमेंट एवं रिसोर्स मैनेजमेंट के रूप में यह कोर्स कर सकते हैं। सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा के लिए कोई स्ट्रीम अनिवार्य नहीं है। किसी भी स्ट्रीम के स्टूडेंट यह कोर्स कर सकते हैं। इग्नू में भी वाटर हार्वेस्टिंग ऐंड मैनेजमेंट नाम से एक ऐसा ही सर्टिफिकेट कोर्स संचालित हो रहा है, जिसे 10वीं के बाद किया जा सकता है।
पाठ्यक्रम के अंतर्गत स्टूडेंट्स को बारिश के पानी को संरक्षित करने, पानी को रिचार्ज करने, वर्षाजल मापन तथा वाटर टेबल आदि बेसिक चीजों की जानकारी दी जाती है, जिसे करने के बाद फील्ड कोआर्डिनेटर/वर्कर के रूप में आसानी से नौकरी पाई जा सकती है। अगर आप बॉयोलॉजी विषय से 12वीं पास हैं और इस क्षेत्र में कोई अंडरग्रेजुएट कोर्स करना चाहते हैं तो एक्वा साइंस या वाटर साइंस में बीएससी और एमएससी कर सकते हैं। जियोलॉजी, एनवॉयर्नमेंटल स्टडीज या बॉयोलॉजी में डिग्री करके भी इस फील्ड में एंट्री पा सकते हैं। कुछ निजी संस्थान वाटर, सैनिटेशन ऐंड हाइजीन के रूप में डिप्लोमा कोर्स भी ऑफर कर रहे हैं। बीटेक जैसे टेक्निकल बैकग्राउंड या फिर आइटीआइ करने वालों के लिए भी वाटर हार्वेस्टिंग एवं कंजर्वेशन के तकनीकी कार्यों में काफी अवसर हैं।
सैलरी: वाटर कंजर्वेशन/ मैनेजमेंट उभरता हुआ फील्ड है। अभी इस फील्ड में उतने प्रशिक्षित/क्वालिफाइड लोग नहीं हैं, जितनी मार्केट को इनकी जरूरत है। यही कारण है कि ऐसे प्रोफेशनल्स को इस फील्ड में आने पर शुरुआत से ही काफी अच्छी सैलरी मिल रही है।
पानी संरक्षित करने के क्षेत्र में हैं अपार संभावनाएं
भविष्य में पानी के क्षेत्र में दो तरह के करियर हैं जो तेजी से उभर रहे हैं। पहला है निगेटिव अप्रोच वाला करियर और दूसरा है पॉजीटिव अप्रोच वाला करियर। यह युवाओं को तय करना है कि वे कौन-सा करियर चुनना चाहते हैं। निगेटिव अप्रोच वाले करियर ये हैं कि आप प्लांट लगाइए और बोतलबंद पानी बेचिए, फ्लेवर्ड वाटर प्लांट की टेक्नोलॉजी लगाकर आप पानी बेचने के धंधे में उतर सकते हैं। आने वाले समय में पानी बेचने के ऐसे सौ से ज्यादा धंधे सामने आ सकते हैं।
पॉजीटिव अप्रोच के रूप में वाटर कंजर्वेशन में करियर डेवलप किया जा सकता है, जिसमें सिंचाई पर बहुत सारा काम कर सकते हैं। बहुत सारी टेक्नोलॉजी ऐसी आई हैं जिन्हें हैंडल करने के लिए युवा चाहिए। इंडस्ट्रियल वेस्टेज को मेंटेन करने के लिए लोगों की जरूरत है। डिसिल्टिंग एक बड़ी समस्या है, इसे मैनेज करने के लिए ट्रेंड लोग चाहिए। कुल मिलाकर पानी के क्षेत्र में काम करने का दायरा बहुत व्यापक है।
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