Product Management: आइटी इंडस्ट्री के प्रोडक्ट मैनेजमेंट में नौकरी की अपार संभावनाएं
भारत की बात करें तो कुछ वर्ष पहले तक प्रोडक्ट डेवलपमेंट मैनेजमेंट और मार्केटिंग की संस्कृति नहीं थी लेकिन जोहो इनमोबी फ्रेशडेस्क जोमैटो फ्लिपकार्ट मेक माई ट्रिप जैसे प्रोडक्ट इनोवेशन स्टार्टअप्स के आने के बाद से इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं।
नई दिल्ली, अंशु सिंह। आधुनिक दौर में किसी भी बिजनेस की सफलता में प्रोडक्ट इनोवेशन एवं ग्राहकों का अनुभव बहुत मायने रखने लगा है, जिसके कारण इन दिनों कंपनियों में प्रोडक्ट मैनेजर्स की मांग बढ़ गई है। आंकड़ों के अनुसार, देश में इस समय हजारों प्रोडक्ट मैनेजर्स की जरूरत है, खासतौर पर आइटी इंडस्ट्री में...
नौकरी डॉट कॉम, शाइन, इंडीड, लिंक्डइन,मॉन्स्टर, ग्लासडोर जैसे जॉब पोर्टल्स पर जाएं, तो प्रोडक्ट मैनेजमेंट करने वालों के लिए तमाम अवसर दिखाई दे जाएंगे। अब आप जानना चाहेंगे कि आखिर प्रोडक्ट मैनेजमेंट होता क्या है? जानकारों की मानें, तो प्रोडक्ट मैनेजमेंट के तहत किसी भी आइडिया को प्रोडक्ट में बदलना और उसका पूरा रोडमैप तैयार करना सिखाया जाता है।
भारत की बात करें, तो कुछ वर्ष पहले तक प्रोडक्ट डेवलपमेंट, मैनेजमेंट और मार्केटिंग की संस्कृति नहीं थी, लेकिन जोहो, इनमोबी, फ्रेशडेस्क, जोमैटो, फ्लिपकार्ट, मेक माई ट्रिप जैसे प्रोडक्ट इनोवेशन स्टार्टअप्स के आने के बाद से इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं। विशेषज्ञों की मानें, तो जिन कंपनियों में स्ट्रॉन्ग प्रोडक्ट मैनेजर्स की टीम होती है, वे नए बिजनेस मॉडल क्रिएट करने के साथ ही टेक्नोलॉजी इनोवेशन को प्रोत्साहित करते हैं।
प्रोडक्ट मैनेजर्स की जिम्मेदारी: प्रोडक्ट मैनेजर किसी भी प्रोडक्ट के सीईओ की तरह होता है। वह प्रोडक्ट से संबंधित हर फैसले लेता है यानी प्लानिंग करने, रणनीति बनाने, डिजाइनिंग करने से लेकर सेल्स, मार्केटिंग, ऑपरेशंस, फाइनेंस, कस्टमर सक्सेस, प्रोडक्ट की डिलीवरी जैसी सारी जिम्मेदारी उसी की होती है। वैसे, इस फील्ड में सर्वश्रेष्ठ प्रोडक्ट मैनेजर्स वही माने जाते हैं, जो टेक्नोलॉजी के प्रयोग एवं उसके प्रभाव को अच्छी तरह से समझते हों। इन दिनों डाटा की महत्ता बढ़ने से प्रोडक्ट मैनेजर्स की भूमिका और भी बढ़ गई है।
बेसिक स्किल्स: एक प्रोडक्ट मैनेजर का ज्यादातर समय स्ट्रेटेजी बनाने एवं आकलन करने में लगता है। इसके तहत वह यह जानने का प्रयास करता है कि ग्राहकों की अमुक उत्पाद के प्रति क्या प्रतिक्रिया या फीडबैक है, ताकि वह अपने ग्राहकों की पसंद-नापसंद को अच्छे से जान सकें। उसके अनुरूप प्रोडक्ट को और बेहतर बना सकें।
शैक्षिक योग्यता: जानकारों के अनुसार, वैसे तो किसी भी स्ट्रीम के स्टूडेंट प्रोडक्ट मैनेजर के रूप में करियर बना सकते हैं, लेकिन टेक्नोलॉजी के साथ एमबीए या प्रोडक्ट मैनेजमेंट की स्पेशलाइज्ड डिग्री हो, तो इंडस्ट्री में खुद को स्थापित करना आसान होगा। आज कई शीर्ष भारतीय शिक्षण संस्थानों में एमबीए के अलावा प्रोडक्ट मैनेजमेंट से संबंधित कोर्स ऑफर किए जा रहे हैं, जैसे-पिछले दिनों आइआइएम इंदौर ने जिगशॉ एकेडमी के साथ मिलकर पोस्ट ग्रेजुएट र्सिटफिकेट प्रोग्राम इन प्रोडक्ट मैनेजमेंट का नया कोर्स शुरू किया। इसमें ५० फीसद अंकों के साथ ग्रेजुएशन या पीजी करने वाले स्टूडेंट नामांकन करा सकते हैं।
संभावनाएं: नैस्कॉम के अनुसार, इस समय देश में 3100 से अधिक टेक स्टार्टअप्स हैं, जिनकी संख्या आने वाले दिनों में 11,500 तक पहुंचने की उम्मीद है। ऐसे में प्रोडक्ट मैनेजर्स की आइटी, आइटीईएस, ई-कॉमर्स, रिटेल, कंज्यूमर गुड्स, हेल्थकेयर, ट्रैवेल, हॉस्पिटैलिटी, बैंकिंग, इंश्योरेंस, एडुटेक, फिनटेक जैसे सेक्टर्स में अच्छी मांग होगी। टेक एंटरप्रेन्योर एवं प्रोडक्ट मैनेजमेंट में विशेष दक्षता रखने वाले, एक्सपीडिया ग्रुप में इंजीनियरिंग मैनेजर चंदन गुप्ता भी मानते हैं कि देश में प्रोडक्ट मैनेजर्स की कमी है। पांच साल पहले की तुलना में माहौल अब कुछ बेहतर हुआ है। आने वाले समय में इनकी मांग लगातार बढ़ती ही जानी है।
प्रमुख संस्थान
आइआइएम इंदौर
www.iimidr.ac.in
आइआइएम, बेंगलुरु
www.iimb.ac.in
इंस्टीट्यूट ऑफ मार्केटिंग कम्युनिकेशंस इंडिया, नोएडा
www.imciindia.org
इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोडक्ट लीडरशिप, बेंगलुरु
www.productleadership.com
यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी, जयपुर
www.universityoftechnology.edu.in
अनुभव हासिल कर बढ़ें आगे : एक्सपीडिया वर्ल्डवाइड इंजीनियरिंग के इंजीनियरिंग मैनेजर चंदन गुप्ता ने बताया कि अब तक के अपने करियर में मैंने टेक्नोलॉजी के अलावा अन्य पृष्ठभूमि वाले स्टूडेंट्स को एक सफल प्रोडक्ट मैनेजर बनते देखा है, लेकिन इसमें समय लगता है। ऐसे में एक फ्रेशर को चाहिए कि वह पहले कुछ वर्ष फील्ड का अनुभव हासिल करे। इन दिनों स्टार्टअप्स में उनके लिए काफी मौके हैं। वहां असिस्टेंट या एसोसिएट प्रोडक्ट मैनेजर जैसे प्रोफाइल पर काम करने और सेक्टर से जुड़े अन्य क्षेत्रों का एक्सपोजर लेने के बाद ही बड़ी कंपनियों में जाने के बारे में सोचें।