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अपनी प्रतिभा के दम पर आगे बढ़ने और पहचान बनाने की जरूरत

अपनी प्रतिभा के दम पर आगे बढ़ने और पहचान बनाने की बजाय कुछ लोग दूसरों की नजरों से खुद को देखने-तोलने लगते हैं। इसी कारण कुछ लोग नकारात्मक कदम भी उठा लेते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 11:56 AM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 12:01 PM (IST)
अपनी प्रतिभा के दम पर आगे बढ़ने और पहचान बनाने की जरूरत
अपनी प्रतिभा के दम पर आगे बढ़ने और पहचान बनाने की जरूरत

[अरुण श्रीवास्तव]। हर किसी में कोई न कोई टैलेंट होता है। निकम्मा कोई नहीं होता। पर विडंबना यह है कि ज्यादातर लोग अपने इस हुनर से अनजान होते हैं। शायद यही कारण है कि अपनी प्रतिभा के दम पर आगे बढ़ने और पहचान बनाने की बजाय कुछ लोग दूसरों की नजरों से खुद को देखने-तोलने लगते हैं। इसी कारण कुछ लोग नकारात्मक कदम भी उठा लेते हैं। अपनी प्रतिभा को जान-समझ कर अपने आत्मविश्वास के स्तर को बढ़ाना सुकून से जीने और आगे बढ़ने के लिए जरूरी है।

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इंदौर के एक इंजीनियरिंग स्टूडेंट शुभम मालवीय द्वारा अंग्रेजी न जानने के कारण होने वाले अपमान के कारण आत्महत्या कर लेने की घटना पिछले दिनों सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई। उनके पिता उन्हें कर्ज लेकर इंजीनियरिंग पढ़ा रहे थे। खासकर एक हिंदीभाषी राज्य में होने वाली इस घटना को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण माना जा रहा है। सिर्फ अंग्रेजी न जानने या अंग्रेजी में कमजोर होने के कारण आत्महत्या कर लेने की बात बहुत लोगों को हजम भले न हो पा रही हो, लेकिन यह बात सही है कि हिंदी माध्यम से पढ़े-बढ़े ज्यादातर किशोरों-युवाओं के दिमाग में अंग्रेजी का मनोवैज्ञानिक डर किसी न किसी रूप में बना ही रहता है। किसी में यह कम होता है तो किसी में ज्यादा। किसी का डर प्रकट हो जाता है, तो कोई इसे अपने में ही जज्ब किए रहता है।

कोई इस पर काबू पा लेता है, तो किसी पर यह डर हावी हो जाता है और जिस पर डर हावी हो गया, उसके नकारात्मक कदम उठाने का अंदेशा कहीं ज्यादा होता है। पर अंग्रेजी न जानना, कम जानना या इसमें कमजोर होना कोई ऐसी समस्या नहीं, जिसकी वजह से अपनी जिंदगी को दांव पर लगा दिया जाए। कामयाबी का पैमाना अंग्रेजी नहीं, बल्कि आपका हुनर है। अगर आप हुनरमंद हैं और अपने इस हुनर को लेकर कॉन्फिडेंट भी हैं, तो फिर अपनी किसी कमी को लेकर कतई परेशान नहीं होंगे।

भाषा क्यों बने शर्मिंदगी का कारण

भाषा सिर्फ संपर्क का माध्यम है। बेशक अंग्रेजी दुनिया की सर्वप्रमुख संपर्क भाषा है, लेकिन अगर आप गौर करें तो पाएंगे कि चीन, रूस, जर्मनी, जापान से लेकर तमाम विकसित देश अपने देश की भाषा में काम और गर्व करते हुए ही दुनिया भर में अपनी पहचान बनाए हुए हैं। चाहे वहां कोई डेलीगेशन जाए या फिर वहां के लोग किसी डेलीगेशन के रूप में किसी और देश में जाएं, वे अपनी भाषा में ही बात करते हैं। उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं होती कि कहीं इसका कोई बुरा तो नहीं मान रहा। न ही इसके लिए कोई उन्हें अपमानित करने का साहस कर पाता है।

हां, यह अलग बात है कि सुविधा के लिए दुभाषिए की व्यवस्था कर दी जाती है, जो दो भिन्न भाषा वाले लोगों के बीच माध्यम बनकर उनकी बातचीत और दोस्ती को आसान बना देते हैं। चीन, जापान आदि के नेता यूएन आदि के मंच पर भी अपनी बात अपनी ही भाषा में रखने में कोई शर्मिंदगी नहीं महसूस करते। यही कारण है कि वे हर तरह की तकनीक से संबंधित रिसर्च अपनी भाषा में करते और आगे बढ़ाते हैं। इसका एक ताजा उदाहरण हाल में चीन में देखने को मिला, जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के बेस पर सरकारी संवाद एजेंसी शिन्हुआ द्वारा विकसित कराये गये न्यूज एंकर ह्यूमनॉयड रोबोट्स वहां की भाषा मंदारिन में ही न्यूज पढ़ते देखे गए।

फोकस करें अपने टैलेंट पर

किसी भी तरह की कमजोरी या अक्षमता को अपने ऊपर हावी होने देने या उसका शिकार होने की बजाय अपने टैलेंट पर भरोसा करें। अगर आप अपनी क्षमता और प्रतिभा को लेकर ही दुविधा में हैं, तो भी परेशान न हों। सबसे पहले अपनी रुचि/पसंद को जानने-समझने का प्रयास करें। कुछ दिन अपनी गतिविधियों पर गौर करेंगे, तो स्पष्ट होता जाएगा। इस बारे में अपने परिजनों से भी सलाह-मशविरा कर सकते हैं। जब एक बार यह पता चल जाए कि आपकी रुचि किस क्षेत्र में ज्यादा है, तो फिर उसी में खुद को आगे बढ़ाने का पुरजोर प्रयास करें। उससे संबंधित एडवांस कोर्स करने की दिशा में कदम बढ़ाएं।

कमजोरी भी करें दूर

कोई भी ऐसी कमजोरी नहीं, जिससे पार न पाया जा सके। अति-आत्मविश्वास का शिकार हुए बिना नियमित रूप से आत्म-मूल्यांकन करते रहें। अपनी उन कमजोरियों को तलाशें, जिनकी वजह से खुद को असहज महसूस करते हैं या फिर जिनकी वजह से खुद को आगे बढ़ाने में दिक्कत हो रही है। ईमानदारी से अपने भीतर झांकेंगे, तो आसानी से उन कमजोरियों को जान-पहचान सकेंगे। भाषा पर पकड़: अगर आपको यह लगता है कि अंग्रेजी या कोई अन्य भाषा सीखने या उसमें मजबूती हासिल करने से आपको पढ़ाई या प्रोफेशन में तेजी से आगे बढ़ने में मदद मिल सकती है, तो इससे भी पीछे न हटें। चूंकि यह आपके चमकदार करियर से जुड़ा हुआ है, इसलिए ऐसा करने में भी कोई शर्म या अपमान की बात बिल्कुल भी नहीं है। कोई भी भाषा सीखना या उस पर अपनी पकड़ बनाना कोई असंभव काम नहीं।

खुद पर भरोसा

किसी भी फील्ड में निर्भय होकर खुद को आगे बढ़ाने के लिए सबसे जरूरी है आपका खुद पर भरोसा होना। अगर आपको अपनी क्षमताओं पर ही भरोसा नहीं होगा, तो आपके मन में हर समय डर समाया रहेगा। किसी भी काम को आप कॉन्फिडेंस के साथ नहीं कर पाएंगे, भले ही आप उसके लिए पूरी तरह योग्य ही क्यों न हों। ऐसे में यह जरूरी है कि आप अपनी पसंद के क्षेत्र में अपना हुनर बढ़ाएं। उसमें महारत हासिल करें। खुद को जितना तराशेंगे,

निखारेंगे, उसमें अपना आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस आत्मविश्वास को लगातार बढ़ाते रहें। इसे किसी भी सूरत में कम न होने दें, क्योंकि आत्मविश्वास होगा तभी अपने प्रयासों में असफल होने पर भी आप हार मानने की बजाय पुन: उसी उत्साह से कदम आगे बढ़ा सकेंगे। 


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