उत्सवों से पाएं नई ऊर्जा, जानिए- देवी दुर्गा के अवतारों से क्या सीख ले सकते हैं आप
देवी दुर्गा के बहुमुखी अवतार उन गुणों के प्रतीक हैं, जो हमारे करियर या जीवन के उतार-चढ़ाव से पार लगाने में हमारी सहायता करते हैं।
नई दिल्ली, विनीत टंडन। देश भर में पूरे जोश, उत्साह एवं उल्लास के साथ नवरात्र मनाया जाता है। संस्कृत भाषा का शब्द नवरात्र बुराई पर भलाई की विजय का भी प्रतीक है। देवी दुर्गा के बहुमुखी अवतार उन गुणों के प्रतीक हैं, जो हमारे करियर या जीवन के उतार-चढ़ाव से पार लगाने में हमारी सहायता करते हैं।
आइए जानें, हम देवी दुर्गा के विभिन्न अवतारों से क्या सीख ले सकते हैं...
निडरता: ज्यों-ज्यों हम अपने करियर में ऊपर बढ़ते हैं, त्यों-त्यों एक अज्ञात- सा डर अक्सर हममें से अनेक लोगों की सोचने-समझने की प्रक्रिया को पंगु बना देता है। बचपन से हमें सुरक्षित ढंग से खेलना, खतरों से बचना आदि
सिखाया जाता है, लेकिन अपने करियर में अक्सर सुरक्षित ढंग से खेलना और कोई खतरा मोल नहीं लेना आपको
कहीं नहीं पहुंचाता है। दुर्गा शब्द जो स्वयं मूल शब्द ‘दुर्गम’ से उत्पन्न हुआ है, निडरता का मूर्त रूप है। बहरहाल,
हर-एक प्रतिकूल परिस्थिति के सामने (भले वह कितनी बड़ी या छोटी क्यों न हो) अपने दृढ़ विश्वास पर अडिग बने रहने से हमें एक अचल अंदरूनी शक्ति मिलती है। इसी तरह, भले हमें अपने करियर में किसी भी चुनौती का
सामना क्यों न करना पड़े, इस बात को याद रखिये कि हार कभी नहीं माननी है और मुश्किलों से घबराना नहीं है।
मल्टीटास्किंग: अनेक लोगों को अपना रास्ता खोजने के लिए पूरे करियर में मल्टीटास्किंग करनी पड़ती है। ऐसा करने में कोई नुकसान भी नहीं है। अगर आप एक विद्यार्थी हैं और आपको पढ़ाई के साथ-साथ अपने दादाजी को अस्पताल ले जाना पड़ता है या घर की कोई जिम्मेदारी निभानी पड़ती है, तो इन कार्यों से बचने की कभी न सोचें। देवी शैलपुत्री अपने बच्चों के हित और संसार की चुनौतियों के प्रति भी समान शक्ति के साथ सावधान रहना चाहती हैं। इसलिए आप अपने जीवन में विविधतापूर्ण कार्य करने का कौशल सीखें। यह न केवल हमारे जीवन की नीरसता को खत्म करता है, बल्कि हमें अपनी जिंदगी को पूरी तरह से संतुलित करने का कौशल भी प्रदान करता है।
अनुकूलनशीलता: एक पेशेवर के रूप में, क्या आप हमेशा एक ही काम कर रहे हैं या एक विद्यार्थी के रूप में सालों-साल उन्हीं किताबों को पढ़ रहे हैं? दरअसल, आज के प्रतिस्पर्धी माहौल में कामकाजी पेशेवर लोगों को परिवर्तनशील कार्य परिवेश के अनुसार स्वयं को ढालना जरूरी हो गया है और उसी तरह विद्यार्थियों को भी परीक्षाओं के परिवर्तनशील स्वरूप के लिए खुद को अनुकूल बनाना पड़ता है। हम केवल यह सीख सकते हैं कि उसे
कैसे अंगीकार किया जाए। ठीक जैसे नवरात्र के 9 दिनों के दौरान देवी दुर्गा के 9 अलग-अलग अवतार (रूप) हैं, ठीक वैसे विद्यार्थियों और कामकाजी पेशेवर लोगों को अपेक्षाओं के अनुसार नए-नए अवतार ग्रहण करने के लिए
तैयार रहना चाहिए।
शांत एवं संयत: अक्सर यह देखा जाता है कि जब हमारे किसी काम में कोई रुकावट आती है, तब हम खीजने लगते हैं। ऐसे में हम खुद से सवाल करना शुरू कर देते हैं और अपनी क्षमताओं पर ही संदेह करना शुरू कर देते हैं। देवी दुर्गा की किसी प्रतिमा या मूर्ति को ध्यान से देखिए, उनकी सुंदर, शांत और संयत मुद्रा। जीवन की किसी
भी चुनौती का उसी रूप में सामना करने के लिए आपको भी तैयार रहना चाहिए।