एंट्रेंस, एग्जाम को लेकर छात्रों में मन में हैं कई सवाल, लेकिन पॉजिटिव रहना ही है समय की मांग
स्टूडेंट्स की चुनौतियां कोविड 19 की वजह से कई गुना बढ़ गई हैं। ऐसे में उनके मन में कई तरह के सवाल भी हैं।
अंशु सिंह। जेईई या नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं को क्लियर करना आसान नहीं होता। धैर्य के साथ सालों की मेहनत और तैयारी के बाद ही सफलता मिलती है। लेकिन कोविड 19 ने स्टूडेंट्स की चुनौतियों को पहले से कई गुना बढ़ा दिया है। वे एकाग्रता की कमी से लेकर अपने मनोबल को ऊंचा बनाए रखने की जद्दोजहद कर रहे हैं। वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि पॉजिटिव रहकर परिस्थितियों का सामना करना ही मौजूदा मुश्किलों का है हल। उसी से स्टूडेंट जीतेंगे हर बाजी।
जेईई एवं नीट की परीक्षा अब जुलाई महीने में होनी है। लेकिन बहुत से सवाल चल रहे हैं स्टूडेंट्स के मन में। खासकर जो 12वीं का एग्जाम देने के साथ ही जेईई या नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हैं। संशय के बीच किस प्रकार की मुश्किलों व मानसिक परेशानियों से वे दो-चार हो रहे हैं । उनकी तैयारियों पर कितना असर हो रहा, इस पर राहुल बताते हैं कि मैं कोटा में इंजीनियरिंग एंट्रेंस की तैयारी कर रहा था। अप्रैल में होने वाले जेईई में अपीयर होना था।
आखिरी चरण का रिवीजन चल रहा था, उसी बीच कोविड 19 को लेकर पूरे विश्व में हड़कंप मच गया और परीक्षा की तारीख स्थगित कर दी गई। थोड़ी मायूसी हुई। फिर भी वक्त से समझौता कर जुटा रहा। लेकिन धीरे-धीरे हालात इतने बिगड़ गए कि मुझे दौसा स्थित अपने रिश्तेदार के पास रहने जाना पड़ा। हॉस्टल में पढ़ाई का माहौल था, जो घर पर नहीं मिल पा रहा है। दोबारा से रिवीजन शुरू किया है, फिर भी कई बार मन नहीं करता पढ़ने का। तारीख का ऐलान हो चुका है, लेकिन स्थिति को देखते हुए संशय खत्म नहीं हुआ है।
पुराने नोट्स व ऑनलाइन रिसोर्सेज का सहारा
राहुल बताते हैं कि वे वाट्सएप से कोटा के शिक्षकों से जुड़े हुए हैं। कोई सवाल होता है, तो ग्रुप में ही शेयर करते हैं। टीचर्स का जवाब आता है, लेकिन कई बार काफी वक्त लग जाता है। कहते हैं, इस समय हम छोटे-छोटे डाउट्स टीचर्स से क्लियर नहीं कर सकते, क्योंकि उनके पास ढेरों स्टूडेंट्स के सवाल जाते हैं। इसलिए मैं इंस्टीट्यूट के मॉड्यूल्स एवं पुराने नोट्स के साथ ही विभिन्न ऑनलाइन रिसोर्सेज की मदद ले रहा हूं। बिहार के अनूप कुमार भी नीट की तैयारी के लिए पिछले साल से कोटा में थे। तीन-चार दिन पहले ही अपने घर सीवान लौटे हैं और क्वारंटाइन में हैं।
बताते हैं, कोटा में अलग प्रकार की दिक्कत हो रही थी। यहां घर पर अलग प्रकार की चुनौती है। गांव में इंटरनेट की स्पीड काफी स्लो है। मोबाइल पर ऑनलाइन क्लासेज देखना कठिन हो जाता है कई बार। टीचर्स से भी पहले जैसा संपर्क नहीं हो पाता, जैसे आमने-सामने क्लासरूम में होता था। साथियों से भी मदद मिल जाती थी। वह सब बंद हो चुका है। फिर भी अपना एक टारगेट बनाकर चल रहा हूं। रिवीजन पर ध्यान दे रहा हूं।
आत्मविश्वास के साथ बढ़तीं आगे
जानकारों की मानें, तो प्रतियोगी परीक्षाएं स्टूडेंट्स की अकादमिक परख करने के साथ ही उनकी दृढ़ता, धैर्य, टाइम मैनेजमेंट का भी आकलन करती हैं। इसलिए जो मानसिक रूप से मजबूत और आत्मविश्वास से भरे होते हैं, वे किसी भी परिस्थिति में रहते हुए अपनी तैयारी को फीका नहीं पड़ने देते और आखिर में सफल भी होते हैं। इस साल 12वीं का बोर्ड देने वाली एस. जननी 11वीं से ही नीट परीक्षा की तैयारी कर रही थीं। लेकिन लॉकडाउन के कारण कोचिंग संस्थान बंद हो गए और वे आखिरी तीन महीने का क्रैश कोर्स नहीं कर सकीं।
बावजूद इसके, जननी कहीं से हताश या निराश नहीं हैं। कहती हैं, मैं तो खुश हूं कि एग्जाम से पहले कुछ और वक्त मिल गया रिवीजन का। इंस्टीट्यूट के ऑनलाइन सेशंस के अलावा यूट्यूब के वीडियोज-ट्यूटोरियल्स से भी मदद मिल जाती है। किताबों से रेफरेंस ले लेती हूं। कुल मिलाकर, मैं कोई तनाव या दबाव नहीं लेती हूं, क्योंकि मैं मानती हूं कि पॉजिटिव रहकर ही हम अपनी पढ़ाई पर सही से फोकस कर सकते हैं।
सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं पैरेंट्स
इसमें दो मत नहीं कि किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में सफलता हासिल करना आसान नहीं होता। स्कूल पाठ्यक्रम से इतर इनका सिलेबस काफी विशाल होता है, इसलिए फोकस रखकर, योजनाबद्ध तरीके से और समय का सही प्रबंधन करते हुए तैयारी करनी पड़ती है। इन दिनों हालात जिस तरह से उलझे हुए से हैं, उसमें स्टूडेंट्स के साथ-साथ उनके पैरेंट्स भी चिंतित हैं। गुरुग्राम के रविंद्र सिंह की बेटी ने इसी साल 12वीं के बोर्ड एग्जाम दिए हैं। अभी उनका एक पेपर भी बाकी है।
इसके अलावा, वह जेईई व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कर रही हैं। रविंद्र कहते हैं, मुझे उसकी काबिलियत पर विश्वास है। लेकिन माहौल ऐसा अनिश्चितता भरा है कि कुछ भी कहा नहीं जा सकता। बच्चों की सेफ्टी एक बड़ा मुद्दा है। दूसरी ओर, बच्चे इस बात को लेकर तनाव में हैं कि पता नहीं उनका भविष्य कैसा होगा। हालांकि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से मदद मिल रही है। फिर भी संशय तो बना ही हुआ है।
उथल-पुथल से घबराएं नहीं, रहें पॉजिटिव
वरिष्ठ शिक्षाविद एवं नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) में कंसल्टेंट डॉ. इंदु खेत्रपाल कहती हैं कि निश्चित तौर पर यह कठिन एवं चुनौतीपूर्ण दौर है। लेकिन पैरेंट्स एवं स्कूल, दोनों को बच्चों की भावनात्मक मजबूती के लिए काम करने की जरूरत है। क्योंकि हर सदी में कुछ न कुछ उथल-पुथल हुए ही हैं। औद्योगिक क्रांति एवं मध्यकालीन भारत में भी कई प्रकार की त्रासदियां हुईं और वे शांत भी हुईं। ये बातें दार्शनिक लग सकती हैं, लेकिन सच हैं। हर उथल-पुथल के बाद जीवन आगे बढ़ा है। आज भी सरकार कोशिश कर रही।
एनटीए की तैयारियां चल रही हैं। बस हमें थोड़ा धैर्य रखना, पॉजिटिव रहना व सिस्टम पर थोड़ा भरोसा रखना होगा। स्टूडेंट्स से यही कहना चाहूंगी कि आप ही स्टेकहोल्डर हैं। आपको ही अपना रास्ता निकालना होगा। वर्तमान परिस्थितियों का बेहतर से बेहतर उपयोग करना होगा। एग्जाम होते हैं तो ठीक, नहीं हो पाते, तब भी लर्निंग की प्रक्रिया खत्म नहीं हो सकती। इसलिए निराश न हों, पॉजिटिव रहें।
ये भी पढ़ें:-
एंट्रेंस, एग्जाम को लेकर छात्रों में मन में हैं कई सवाल, लेकिन पॉजिटिव रहना ही है समय की मांग