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Chola Dynasty History: बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही Ponniyin Selvan, जानिए इसमें दिखाए चोल साम्राज्य का इतिहास

Chola Dynasty History भारत के दक्षिणी क्षेत्रों में चोलों ने सबसे ज्यादा समय तक राज किया था। ये 8-12वीं शताब्दी ईस्वी के बीच का बताया जाता है। इस वंश के प्रमुख सम्राटों में विजयालय आदित्य प्रथम और राजेंद्र चोल हैं।

By Nandini DubeyEdited By: Published: Thu, 06 Oct 2022 04:33 PM (IST)Updated: Fri, 07 Oct 2022 10:44 AM (IST)
Chola Dynasty History: बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही Ponniyin Selvan, जानिए इसमें दिखाए चोल साम्राज्य का इतिहास
: देश भर में इस वक्त पोन्नियिन सेलवन:1 फिल्म छाई हुई है।

नई दिल्ली, एजुकेशन डेस्क। Chola Dynasty History: देश भर में इस वक्त पोन्नियिन सेलवन:1 फिल्म छाई हुई है। फिल्म निर्देशक मणिरत्नम के डायरेक्शन में बनी यह पिक्चर न केवल देश में ही बल्कि विदेशों में भी बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है। वहीं Ponniyin Selvan रिलीज होने के बाद से लोग न केवल इसकी कहानी, संवाद, डायरेक्शन, कलाकारों के अभिनय की तारीफ कर रहे हैं, बल्कि फिल्म में दिखाए गए चोल साम्राज्य की भी बात की जा रही है। दरअसल, इसमें चोल वंश के दौर को पर्दे पर दिखाया गया है। ऐसे में आइए जानते हैं क्या है इस राजवंश का इतिहास।

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9वीं शताब्दी में चोलों ने पल्लवों को हराकर सत्ता पर काबिज हुए थे। इनका शासन 13वीं शताब्दी तक चला था। इनका संस्थापक विजयालय माना जाता है।

चोल वंश के मध्यकाल का युग सबसे बेहतर माना जाता है। इस काल में राजा आदित्य प्रथम और परान्तक प्रथम ने इस वशं का काफी विकास किया था।

भारत के दक्षिणी क्षेत्रों में चोलों ने सबसे ज्यादा समय तक राज किया था। ये 8-12वीं शताब्दी ईस्वी के बीच का बताया जाता है।

इस वंश के प्रमुख सम्राटों में विजयालय, आदित्य प्रथम और राजेंद्र चोल हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दौर में राजेंद्र चोल सबसे शक्तिशाली सम्राटों में से एक थे। 

ऐसा भी कहा जाता है कि, श्रीलंका के शासकों की प्राचीन राजधानी अनुराधापुर को चोलो ने ही खत्म किया था। 

चोल वंश ने मध्ययुगीन भारत में कुछ सबसे भव्य मंदिरों का निर्माण करवाया था। इनमें, बृहदेश्वर मंदिर, राजराजेश्वर मंदिर, गंगईकोंड चोलपुरम मंदिर शामिल हैं। 

इस वंश के बारे में कहा जाता है कि, इस काल में कला, कविता, साहित्य को बहुत संरक्षित किया जाता था।  

मीडिया में छपी खबरों के अनुसार, इस काल में महिलाओं और पुरुषों को समान अवसर दिए जाते थे। इस बात की तस्दीक उस दौर में महिलाओं को दिए गए महत्वपूर्ण पदों से लगती है।


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