Stay Home Stay Empowered: विशेषज्ञों से जानें-कोरोना से तबाह हुई बच्चों की पढ़ाई और युवाओं की संभावनाओं को कैसे बचाया जाए
भारत में 32 करोड़ छात्रों पर असर पड़ा है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना का प्रसार रोकने में लॉकडाउन का कदम दुनियाभर में सफल रहा लेकिन जरूरतमंद परिवार के बच्चों की पढ़ाई करीब एक साल पिछड़ गई है।
नई दिल्ली, जेएनएन। विशेषज्ञों के अनुसार, सात से 24 साल के बच्चे और युवा कोरोना वायरस के संक्रमण से कुछ हद तक सुरक्षित हैं। लेकिन बच्चों की शिक्षा और युवाओं की नौकरियां इससे बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं। साफ तौर पर इसका असर उनके भविष्य पर भी पड़ सकता है। इसे देखते हुए ब्रिटेन के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि बच्चों और युवाओं को मानसिक-शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए उन्होंने इस पीढ़ी को लॉस्ट जेनरेशन (ग़ुम हुई पीढ़ी) का नाम दिया है। आइए, विशेषज्ञों से समझते हैं कि बच्चों और युवाओं को इन चुनौतियों से निपटने के लिए किस तरह की तैयारी करनी चाहिए-
यूं बनाएं रणनीति
आर्थिक मामलों के जानकार जितेंद्र सोलंकी कहते हैं कि अभी जिन बच्चों की पढ़ाई पूरी हुई है और वे नौकरी की तलाश कर रहे हैं, वे अपने सेक्टर पर विचार-विमर्श करें। वे देखें कि किस सेक्टर में ज्यादा और किस सेक्टर में आने वाले सालों में कम संभावनाएं हैं। यानी वे सेक्टर बदल सकते हैं। वहीं, जिन छात्रों की भविष्य में पढ़ाई करने की इच्छा है, वे अभी कोई नया कोर्स कर सकते हैं। यह स्किल सीखने और पढ़ाई करने का अच्छा वक्त है। वहीं, 7 से 15 साल के बच्चे जिनकी पढ़ाई ऑनलाइन जारी रही है, वे भी नई चीजें सीखने पर जोर दें।
नई नौकरी तलाश रहे युवाओं के लिए जितेंद्र सोलंकी की सलाह है कि नौकरी में अभी शुरुआत में कम सैलरी मिल सकती है, लेकिन याद रखें कि अगर शुरुआत में ज्यादा चुनौतियों होंगी, तो बाद में करियर की राह आसान हो जाएगी। ये भी याद रखना चाहिए कि इस दौर में ऑनलाइन को काफी बढ़ावा मिला है और हमने काफी कुछ नया भी सीखा है।
खुश रहने का प्रयास और परिवार का साथ
एम्स के मनोवैज्ञानिक डॉ राजेश सागर ने कहा कि इस दौर में परिवार का रोल अहम है। अगर परिवार के किसी सदस्य को कोई समस्या है तो उसका पूरा साथ दें। जरूरत पड़ने पर हेल्पलाइन की मदद भी ली जा सकती है। हमें यह पता है कि थोड़ी पढ़ाई और नौकरियां प्रभावित हुई हैं, लेकिन खुश रहने का प्रयास करेंगे तो हर चुनौती को पार कर लेंगे। आत्मविश्वास को बनाए रखना है।
इन पीढ़ी पर ध्यान देना होगा
यूनीसेफ के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल मार्च से कोरोना संक्रमण के कारण 1.54 अरब छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हुई है। वहीं, भारत में 32 करोड़ छात्रों पर असर पड़ा है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना का प्रसार रोकने में लॉकडाउन का कदम दुनियाभर में सफल रहा, लेकिन जरूरतमंद परिवार के बच्चों की पढ़ाई करीब एक साल पिछड़ गई है। वहीं, कई शोध कहते हैं कि इन प्रभावित बच्चों और युवाओं को भविष्य में मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जैसे-एनजाइटी, डिप्रेशन और मोटापा। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अभी दुनियाभर में 30 फीसदी बच्चे गरीबी में रह रहे हैं और महामारी से यह संख्या बढ़ेगी। वहीं युवा भी तीन दशकों की सबसे ऊंची बेरोजगारी दर का सामना कर रहे हैं।
ब्रिटेन के रॉयल कॉलेज के बाल रोग विशेषज्ञ रुसेल विनर कहते हैं कि यह पीढ़ी खतरे में है। आधुनिक समय में किसी भी पीढ़ी को इतनी चुनौतियों का सामना नहीं करना पड़ा है। यह सब कुछ बेहद नाटकीय ढंग से हुआ है। रिज़ॉल्यूशन फ़ाउंडेशन ने कहा कि पिछली मंदी में ऐसे युवाओं ने सबसे ज्यादा चुनौतियों का सामना किया था, जिनकी पढ़ाई तुरंत पूरी हुई थी।