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आपदा प्रबंधन में करियर : बनें खतरों के खिलाड़ी

किसी भी देश के लिए आपदा प्रबंधन एक बड़ी चुनौती है। बाढ़ भूकंप जमीन खिसकने सुनामी चक्रवात और जंगलों में आग जैसी आपदाएं अक्सर सुर्खियों में बनी रहती हैं।

By Vineet SharanEdited By: Published: Thu, 27 Aug 2020 03:24 PM (IST)Updated: Thu, 27 Aug 2020 03:24 PM (IST)
आपदा प्रबंधन में करियर : बनें खतरों के खिलाड़ी
आपदा प्रबंधन में करियर : बनें खतरों के खिलाड़ी

नई दिल्ली, जेएनएन। किसी भी देश के लिए आपदा प्रबंधन एक बड़ी चुनौती है। बाढ़, भूकंप, जमीन खिसकने, सुनामी, चक्रवात और जंगलों में आग जैसी आपदाएं अक्सर सुर्खियों में बनी रहती हैं। इन आपदाओं से लाखों लोग प्रभावित होते हैं। बडी तादाद में लोग अपना जीवन गंवा बैठते हैं, साथ ही भारी आर्थिक नुकसान भी होता है। पूरे विश्व में इन आपदाओं से निपटने के लिए बडे पैमाने पर तैयारी की जाती है, जिन्हें डिजास्टर मैनेजमेंट या आपदा प्रबंधन कहा जाता है। मोटे तौर पर इन आपदाओं को दो भागों में बांटा जा सकता है, प्राकृतिक और मानवीय गलती। सुनामी, भूकंप, बाढ़, चक्रवात, भूस्खलन, ओलावृष्टि, जंगल की आग आदि प्राकृतिक आपदाओं की श्रेणी में आते हैं तो वहीं आग लगने, बस या ट्रेन का दुर्घटनाग्रस्त हो जाना, बिल्डिंग का गिर जाना, कैमिकल और न्यूक्लियर आपदाएं मानव गलतियों की श्रेणी में आती हैं।

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आपदा प्रबंधन की सबसे बड़ी चुनौती आपदाग्रस्त क्षेत्र की पहचान और वहां होने वाली क्षति का आकलन करना है। सही समय पर वहां पहुंच कर लोगों की जान और माल की रक्षा करना इनका प्रमुख कार्य होता है। इस क्षेत्र के व्यक्ति को खतरे से निपटने और दुघर्टना होने के बाद जान-माल की हिफाजत कैसे की जाए, इन बातों की समझ होनी जरूरी है। यह काम काफी जोखिम भरा है, बावजूद इसके युवा आपदा प्रबंधन को करियर के तौर पर अपना रहे हैं। देश में इस क्षेत्र में करियर की काफी संभावनाएं हैं। यह सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। यही करण है कि अब स्कूलों में भी आपदा प्रबंधन की शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है।

प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए केन्द्र व राज्य सरकारें धन उपलब्ध कराती है। गृह मंत्रालय, कृषि और सहकारिता मंत्रालय, सिविल एविएशन, रेल मंत्रालय की भी आपदा प्रबंधन में सक्रीय भूमिका रहती है। कुदरती आपदाएं अचानक आती हैं। इसी के मद्देनजर 2005 में डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट बनाया गया था। अभी आपदा प्रबंधन के लिए देश में दो विंग काम कर रही हैं। नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एनडीएमए) और डायरेक्टर जनरल सिविल डिफेंस (डीजीसीडी)। नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी नियम और कानून बनाती है, वहीं डायरेक्टर जनरल सिविल डिफेंस की हर शहर में टीमें होती हैं। ये छोटे-छोटे विंग्स में काम करते हैं। टीम के सदस्यों को इसके लिए विशेष ट्रेनिंग दी जाती है।

जॉब संभावनाएं

ज्यादातर जॉब पब्लिक सेक्टर में हैं। जैसे सरकारी विभागों के फायर डिपार्टमेंट, सूखा प्रबंधन विभाग आदि में प्रोफेशनल्स की भर्ती की जाती है। विदेश में छात्र अपना करियर इमरजेंसी सर्विस, लोकल अथॉरिटी, राहत एजेंसी, एनजीओ, यूएनओ, वर्ल्ड बैंक, एमनेस्टी इंटरनेशनल,एशियन डवेलपमेंट बैंक, रेड क्रॉस सोसाइटी, यूनेस्को जैसी इंटरनेशनल एजेंसी में बना सकते हैं। रिस्क मैनेजमेंट, कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी कंसल्टेंसी, डॉक्यूमेंटेशन, इंश्योरेंस, स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट आदि क्षेत्रों में भी जॉब की संभावनाएं बनी रहती हैं। ग्रेजुएट प्रोफेशनल्स अपनी खुद की कंसल्टेंसी भी स्थापित कर सकते हैं। कोर्स के दौरान प्रायोगिक प्रशिक्षण भी दिया जाता है। कोर्स करने के बाद सेफ्टी मैनेजर, फायर एंड सेफ्टी ऑडिटर, स्टेशन ऑफिसर, डिविजनल ऑफिसर, डिप्टी चीफ फायर ऑफिसर, चीफ फायर ऑफिसर, डायरेक्टर, जैसी नौकरी मिल सकती है।

यदि आप भी इस क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो 12वीं के बाद ही इसके लिए कोर्स शुरू हो जाते हैं, जहां से अपनी पढाई करके आप आपदा प्रबंधन के क्षेत्र से जुड सकते हैं।

योग्यताएं

अंडरग्रेजुएट व सर्टिफिकेट कोर्स के लिए छात्र को कम से कम 12वीं पास होना चाहिए, लेकिन इसके साथ शर्त यह भी है कि 12वीं की परीक्षा कम से कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ पास होनी चाहिए। मास्टर तथा एमबीए सरीखे कोर्स के लिए स्नातक होना आवश्यक है। आप इस क्षेत्र में पीएचडी भी कर सकते हैं। इसके लिए मास्टर डिग्री होना जरूरी है। इसके अलावा शाॅर्ट टर्म कोर्स और डिस्टेंस लर्निंग कोर्स भी विकल्प के तौर पर उपलब्ध है।

प्रमुख कोर्स

कुछ प्रमुख कोर्स इस प्रकार हैं-

सर्टिफिकेट कोर्स इन डिजास्टर मैनेजमेंट,

डिप्लोमा इन डिजास्टर मैनेजमेंट,

एमए इन डिजास्टर मैनेजमेंट,

एमबीए इन डिजास्टर मैनेजमेंट,

पीजी डिप्लोमा इन डिजास्टर मैनेजमेंट।

एसोसिएट डिग्री इन हेल्थ सेफ्टी एंड एन्वायर्नमेंट

दिल्ली कालेज ऑफ फायर सेफ्टी इंजीनियरिंग, (9560952952)के निदेशक जिले सिंह लाकरा के अनुसार रेगुलर और डिस्टेंस लर्निंग के द्वारा भी इसकी पढ़ाई की जा सकती है। भारतीय पारिस्थितिक एवं पर्यावरण संस्थान नई दिल्ली आपदा प्रबंधन में दो वर्ष का स्नातकोत्तर डिस्टेंस लर्निंग कोर्स चलाता है। इसके अलावा कई गैर सरकारी कॉलेजों में डिजास्टर मैनेजमेंट में डिग्री, डिप्लोमा और पीजी डिप्लोमा की पढ़ाई होती है।

वेतन

इस जोखिम भरे काम के लिए वेतन भी बढ़िया मिलता है। प्रशिक्षित लोग आपदा के वक्त बहुमूल्य होते हैं। सरकारी व गैर सरकारी संस्थान अलग अलग सैलरी पैकेज निर्धारित करते हैं। आपदा प्रबंधन में वायु सेना, आईटीबीपी के अलावा कई छोटी बड़ी नोडल एजेंसियां काम करती हैं।

प्रमुख संस्थान

दिल्ली कॉलेज ऑफ फायर सेफ्टी इंजीनियरिंग, नई दिल्ली

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नेशनल एकेडमी ऑफ फायर एंड सेफ्टी इंजीनियरिंग

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