फॉरेन लैंग्वेज में चढ़ाएं करियर को परवान, यहां मिलेंगे अपार अवसर
भारत में विदेशी भाषाएं जानने वालों की जितनी मांग है उतने लोग उपलब्ध नहीं हैं। इस बात को देखते हुए विदेशी भाषा में करियर बनाना एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है।
[जागरण स्पेशल]। आज के समय में विदेशी भाषाओं के जानकारों की मांग तेजी से बढ़ी है। वैश्वीकरण के दौर में पर्यटन, अनुवाद और संपादन कार्य लोगों को काम का अवसर दे रहा है। कॉल सेंटर हों या विदेशी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या फिर टूर गाइड, विदेशी भाषा के जानकारों के लिए अब काम की कमी नहीं है। भारत में विदेशी भाषाएं जानने वालों की जितनी मांग है, उतने लोग उपलब्ध नहीं हैं। आइए जानते हैं, इस फील्ड में कैसे करियर बना सकते हैं...
अंतरा ने 10वीं में ही तय कर लिया था कि वह फ्रेंच एंटरप्रेटर के रूप में अपना करियर बनाएंगी। इसलिए 12वीं में एक विषय फ्रेंच रखने के बाद उन्होंने इसे आगे भी जारी रखने का फैसला लिया है। फ्रेंच, जर्मनी, स्पेनिश और चाइनीज इन सभी विदेशी भाषाओं में करियर के बहुत से अवसर हैं, लेकिन वर्तमान में युवाओं फ्रेंच भाषा के प्रति ज्यादा लगाव देखा जा रहा है, क्योंकि दुनिया में अंग्रेजी के बाद जिस यूरोपियन भाषा का सबसे ज्यादा महत्व है, वह फ्रेंच ही है। फ्रेंच भाषा में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, डिग्री के बाद करियर की असीम संभावनाएं हैं।
जानकारों की मानें, तो वैश्वीकरण के कारण फ्रेंच भाषा के पाठ्यक्रमों का महत्व तेजी से बढ़ा है। विदेशी दूतावास, कॉरपोरेट सेक्टर, फ्रांस की कंपनियों, सरकारी विभागों तथा मीडिया क्षेत्र में फ्रेंच भाषा के जानकारों के लिए बेहतर करियर के अवसर हैं। युवा प्रामाणिक तौर पर भाषा की जानकारी से मल्टीनेशनल कंपनियों में अच्छे पदों पर काम कर सकते हैं या फिर वे खुद की कोचिंग भी खोल सकते हैं। वे होटल में जॉब भी कर सकते हैं। इससे एयर होस्टेस, टूरिज्म में गाइड या एस्कॉटिंग, स्कूलों में टीचर, कॉलेजों में प्रोफेसर, मल्टीनेशनल कंपनी में अनुवादक बन सकते हैं।
शैक्षणिक योग्यता: कोई भी फॉरेन लैंग्वेज कोर्स करने के लिए 12वीं उत्तीर्ण करना जरूरी है। इसके बाद युवा सर्टिफिकेट से लेकर डिप्लोमा कोर्सेज से विदेशी भाषाएं सीख सकते हैं, जैस- फ्रेंच भाषा के न महीने के सर्टिफिकेट कोर्स के बाद डिप्लोमा और डिग्री कोर्सेज भी किए जा सकते हैं।
बेसिक स्किल: किसी भी भाषा का पुख्ता ज्ञान आपकी सफलता में सहायक होता है। विदेशी भाषा में करियर बनाने के लिए वे लोग ही आगे आते हैं, जो भाषा पर अच्छी पकड़ रखते हैं और उससे उनका भावनात्मक लगाव भी होता है। वैसे, इसके लिए कैंडिडेट में बेहतर संवाद क्षमता होना जरूरी है। अगर आप अनुवादक बनना चाहते हैं, तो विदेशी भाषा के साथ-साथ अंग्रेजी या हिंदी पर भी पकड़ होनी चाहिए। जिस विदेशी भाषा को सीख रहे हैं, उसका व्याकरण, वाक्य संरचना और उससे जुड़ी संस्कृति व इतिहास की जानकारी होने पर आपको ही फायदा होगा। वहीं, अगर आप पर्यटन क्षेत्र में जाना चाहते हैं, तो व्यक्तित्व का आकर्षक होना जरूरी है। इसी तरह विदेशी प्रतिनिधियों के साथ भ्रमण पर जाना है, तो आपका मिलनसार होना भी जरूरी है।
संभावनाएं: टूर ऐंड ट्रैवेल कंपनियों, टूरिज्म डिपार्टमेंट, होटल्स, रिजॉट्र्स के अलावा सूचना तकनीक के केंद्र बेंगलुरु, हैदराबाद और गुरुग्राम जैसे शहरों में विदेशी भाषा के जानकार युवाओं की काफी मांग है। उन्हें अनुवादक या दुभाषिये के रूप में काम मिल रहा है। आप विदेशी सैलानियों के गाइड बन सकते हैं या दूतावासों में विदेशी भाषा के विशेषज्ञों के तौर पर जुड़ सकते हैं।
देश में पर्यटन उद्योग के तेजी से विस्तार होने और हर साल लाखों की संख्या में आने वाले विदेशी सैलानियों के लिए टूरिस्ट गाइड या टूर ऑपरेटरों की जरूरत पड़ती है। ऐसे में गाइड के लिए विदेशी भाषा की जानकारी जरूरी योग्यता बन गई है। इसी तरह, मेडिकल टूरिज्म के तहत खाड़ी देशों के निवासी हर साल यहां निजी अस्पतालों में अपना इलाज कराने आ रहे हैं। इनका उचित तरीके से मार्गदर्शन करने के लिए विदेशी भाषा के विशेषज्ञों की जोरदार मांग है।
अन्य अवसर: विदेशी भाषा के जानकारों की सबसे बड़ी मांग होटल उद्योग, टूरिज्म या बहुराष्ट्रीय कंपनियों में है। आज स्कूलकॉलेजों में अध्यापन के लिए बड़े पैमाने पर विदेशी भाषा के शिक्षकों की मांग है। मैनेजमेंट से जुड़े स्कूल प्रबंधन के कोर्स में विदेशी भाषा से जुड़े पेपर को शामिल कर रहे हैं। इनमें चीनी, जैपनीज, कोरियन, स्पैनिश और फ्रेंच आदि प्रमुख हैं। बीपीओ या कॉल सेंटर्स में भी विदेशी भाषाओं के जानकार रखे जा रहे हैं।
सैलरी: अनुवादक बनने पर शुरुआती वेतनमान 30-40 हजार रुपये होता है। आगे चलकर वरिष्ठता और अनुभव के क्रम में यह बढ़ता जाता है। विदेशी कंपनियों के साथ काम करने पर लोगों को प्रतिमाह लाखों रुपये मिलते हैं।
मैंडरीन की बढ़ती लोकप्रियता
पूरब के अलावा पश्चिम में भी युवाओं के बीच मैंडरीन (चाइनीज) भाषा तेजी से लोकप्रिय हो रही है। पूरी दुनिया में जहां महज 40 करोड़ लोग स्पैनिश बोलते हैं, वहीं 100 करोड़ से ज्यादा लोगों की भाषा चीनी है। खुद चीन में 70 प्रतिशत लोग मैंडरीन में बात करते हैं। राजधानी दिल्ली स्थित चीनी दूतावास में मैंडरीन सिखाई जाती है। दूतावास की वेबसाइट से विशेष जानकारी हासिल की जा सकती है। इसके अलावा, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में भी मैंडरीन सिखाई जाती है। आप चाहें, तो सेंटर फॉर चाइनीज ऐंड साउथ ईस्ट एशियन स्टडीज के तहत मैंडरीन सीख सकते हैं। इसके अलावा, इंडिया चाइना चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री मुंबई में भी यह भाषा सीखी जा सकती है। यही नहीं, कोलकाता का द स्कूल ऑफ चाइनीज लैंग्वेज से भी सीख सकते हैं।
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