फिर प्रभारी कुलसचिव के भरोसे चल रहा है आयुर्वेद विश्वविद्यालय
एक अर्से से आयुर्वेद विवि प्रभारी कुलसचिव के भरोसे चल रहा है। अब शासन ने इस पद पर वरिष्ठ पीसीएस अधिकरी की तैनाती कर दी है।
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय की स्थाई कुलसचिव की मुराद पूरी होती नहीं दिख रही है। एक अर्से से विवि प्रभारी कुलसचिव के भरोसे चल रहा है। अब शासन ने इस पद पर वरिष्ठ पीसीएस अधिकरी की तैनाती कर दी है। देहरादून के नए अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) रामजी शरण विश्वविद्यालय के कुलसचिव का अतिरिक्त प्रभार देखेंगे। उन्होंने सोमवार को कार्यभार ग्रहण कर लिया।
आयुर्वेद विश्वविद्यालय में कुलसचिव पद पर शिक्षा क्षेत्र से किसी रजिस्ट्रार की तैनाती के बजाय प्रशासनिक अधिकारी को अतिरिक्त प्रभार दिए जाने के कई निहितार्थ देखे जा रहे हैं। इस पद पर किसी प्रशासनिक अफसर की तैनाती का यह कोई नया मामला नहीं है। यह अलग बात है कि तैनाती पाने वालों ने ही रजिस्ट्रार की कुर्सी संभालने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। पूर्व सरकार में डॉ. मृत्युंजय मिश्रा को पद से हटाए जाने के बाद डा.वी षणमुगम को विवि के कुलसचिव का जिम्मा दिया गया। मगर उन्होंने कार्यभार ग्रहण नहीं किया। जिस पर आयुष निदेशक डॉ. अरुण कुमार त्रिपाठी को कुलसचिव पद की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई। वह बाद में कार्यवाहक कुलपति भी रहे।
मार्च 2018 में चिकित्साधिकारी पद की परीक्षा पर छिड़े विवाद के बीच शासन ने तत्कालीन प्रभारी कुलसचिव प्रो. अनूप कुमार गक्खड़ को पद से हटा दिया था। तब अपर सचिव जीबी औली को उनकी जगह तैनात किया गया, पर औली ने भी च्वाइन नहीं किया। वहीं पिछले साल सितम्बर में सरकार ने अपर आयुक्त कर मो. नासिर को कुलसचिव पद पर तैनात किया। पर कार्यभार उन्होंने भी ग्रहण नही किया।
वर्तमान समय में डॉ. राजेश कुमार अदाना प्रभारी के तौर पर कुलसचिव का पद संभाल रहे थे। वह आयुर्वेद चिकित्साधिकारी हैं और डिप्टी रजिस्ट्रार के पद पर समायोजन पर चल रहे हैं। उनकी कुलसचिव पद पर नियुक्ति को लेकर विवाद भी रहा है।
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