JNU में अकादमिक व्यवस्था लौटी पटरी पर, जानें छात्रों का क्या है कहना
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में अकादमिक व्यवस्था पटरी पर लौट रही है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में अकादमिक व्यवस्था पटरी पर लौट रही है। जेएनयू प्रशासन की निगरानी में कुछ केंद्रों की तरफ से बीते मानसून सेमेस्टर (जुलाई से दिसंबर 2019) की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए नया कार्यक्रम भी जारी किया जा रहा है। जिसे पूरा करने के बाद छात्रों का शीतकालीन सेमेस्टर शुरू हो जाएगा। छात्रों का मानना है कि इस संस्थान को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए। छात्र अपने अधिकारों की लड़ाई के लिए एक साथ हैं, लेकिन उनकी प्राथमिकता पढ़ाई भी है।
21 जनवरी से होंगी परीक्षाएं
जेएनयू के सेंटर ऑफ इंडियन लैंग्वेज की तरफ से मॉनसून सेमेस्टर प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 21 जनवरी से परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी। छात्रों के अनुसार, वह दिसंबर में इस सेमेस्टर की परीक्षाएं आंदोलन के कारण नहीं दे पाए थे। अब इसे पूरा करने के बाद शीतकालीन सेमेस्टर की पढ़ाई छात्र शुरू कर देंगे। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) हिंसा मामले में क्राइम ब्रांच की एसआइटी ने शुक्रवार को एक निजी चैनल के ¨स्टग में फंसे अक्षत अवस्थी से करीब तीन घंटे तक पूछताछ की। पूछताछ में अक्षत ने हिंसा और भीड़ को उकसाने की बात से साफ इन्कार करते हुए स्टिंग को गलत ठहराया। सूत्रों के मुताबिक, अक्षत ने एसआइटी को बताया कि उसने स्टिंग को लेकर वसंतकुंज उत्तरी थाने में शिकायत भी दी है।
एसआइटी ने योगेंद्र भारद्वाज और विकास पटेल को भी नोटिस जारी कर पूछताछ में शामिल होने के लिए कहा था। हालांकि दोनों के दोपहर बाद पहुंचने से एसआइटी उनसे पूछताछ नहीं कर सकी। अब सोमवार को दोनों से पूछताछ की जाएगी। योगेंद्र और विकास उन नौ विद्यार्थियों में शामिल हैं जिनकी पहचान एसआइटी ने ¨हसा में शामिल संदिग्धों के रूप में की है।
जेएनयू हिंसा मामले में जांच कर रही एसआइटी ने अब तक सबसे लंबी पूछताछ अक्षत अवस्थी से ही की है। अक्षत एक न्यूज चैनल पर स्टिंग में नजर आया था। जिसमें उसने ¨हसा में अपना हाथ होने की बात कुबूली थी। स्टिंग के सामने आने के बाद वह भूमिगत हो गया था। एसआइटी ने उसे नोटिस जारी कर जांच में शामिल होने के लिए कहा था।
अक्षत से गत 5 जनवरी को जेएनयू में हुई हिंसा के वक्त उसकी लोकेशन के बारे में भी पूछताछ की गई। जिस पर उसने कहा कि वह न तो साबरमती और न ही पेरियार हॉस्टल में गया था। बवाल के दौरान वह पेरियार के बाहर मौजूद था जहां से बाद में वह अपने हॉस्टल जाकर सो गया था। अगले दिन छह जनवरी को वह जेएनयू से बाहर चला गया था। गौरतलब है कि एसआइटी आईशी घोष समेत सात विद्यार्थियों से पहले राउंड की पूछताछ कर चुकी है। उधर, ¨हसा के दौरान नजर आ रही जिस छात्र की पहचान कोमल शर्मा के रूप में हुई है उसने एसआइटी को पत्र लिख कहा है कि वह जांच में सहयोग करेगी।
संस्कृति, हिंदूी साहित्य ने कहा कि एमए प्रथम वर्ष मैं मध्य प्रदेश के श्योपुर की रहने वाली है। अपने जिले से पहली लड़की हूं जिसने जेएनयू तक का सफर तय किया है। मेरे लिए पढ़ाई बहुत ज्यादा मायने रखती है। जेएनयू में 90 फीसद छात्र सिर्फ पढ़ना चाहते हैं। संस्थान में स्थिरता बन रही है। काफी सारे छात्रों की शीतकालीन सेमेस्टर की कक्षाएं जल्द ही शुरू होने वाली हैं। सभी छात्र राजनीति करने नहीं आए हैं। वह पढ़ने आए हैं। अब छात्र यही चाहते हैं कि उनका समय व्यर्थ ना जाए और वे पढ़ाई करें।
संस्कृति, हिंदूी साहित्य, एमए प्रथम वर्ष के छात्र ने कहा कि जेएनयू का राजनीतिकरण किया जा रहा है, यह ठीक नहीं है। सिर्फ किताबों के जरिये ही पढ़ाई नहीं होती है बल्कि छात्र समाज के विभिन्न पहलुओं को समझकर भी काफी जानकारी हासिल करते हैं। बाहर के लोगों की तरफ से जेएनयू में राजनीति को बढ़ावा दिया जाता है। यह ठीक नहीं है।
विनय कुमार बीए तीसरा वर्ष, स्पैनिश लैंग्वेज कोर्स के छात्र इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में छात्र पढ़ाई पर ध्यान लगाते हैं। छात्रों के अधिकारों की लड़ाई के लिए आवाज उठानी चाहिए, लेकिन वह एक दायरे में होनी चाहिए। जेएनयू को जो भी अराजक तत्व निशाना बना रहे हैं उनके खिलाफ प्रशासन व सरकार तथ्यों के आधार पर अवश्य कार्रवाई करे। अब छात्र कक्षाओं में लौट रहे हैं।
विक्रांत, पीएचडी चौथा वर्ष, स्कूल ऑफ कंप्यूटेशनल एंड इंटीग्रेटिव साइंसेज छात्र ने कहा कि बीते तीन माह से संस्थान में आंदोलन चल रहा है। इस मामले को सही समय पर सरकार को सुलझाना चाहिए था। यह अच्छी बात है कि अब जेएनयू में अकादमिक गतिविधियां लौट रही हैं। छात्रों की तरफ से शीतकालीन सेमेस्टर की प्रक्रिया में हिस्सा लिया जा रहा है। अगर छात्रों के अधिकारों के खिलाफ कुछ चीजें होंगी तो छात्र इसके खिलाफ जरूर जाएंगे, यह उनका अधिकार है।