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फेल होने के बाद 19 छात्रों ने की आत्महत्या, कहीं आपके बच्चे में तो नहीं है ये लक्षण, ऐसे करें पता

अक्सर परीक्षा परिणाम आने पर कुछ छात्र आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठा लेते है। ऐसे में मोटिवेशन काउंसलर की सलाह छात्र और उनके परिजनों के लिए काफी अहम हो जाती है।

By Nitin AroraEdited By: Published: Thu, 25 Apr 2019 08:33 PM (IST)Updated: Thu, 25 Apr 2019 08:33 PM (IST)
फेल होने के बाद 19 छात्रों ने की आत्महत्या, कहीं आपके बच्चे में तो नहीं है ये लक्षण, ऐसे करें पता
फेल होने के बाद 19 छात्रों ने की आत्महत्या, कहीं आपके बच्चे में तो नहीं है ये लक्षण, ऐसे करें पता

हैदराबाद, आइएएनएस। तेलंगाना बोर्ड इंटरमीडिएट परीक्षा के परिणाम 18 अप्रैल को आए, लेकिन इन परिणाम की वजह से कई घर बर्बाद हो गए। जी हां, मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इंटरमीडिएट की परीक्षा में फेल होने के कारण पिछले एक सप्ताह के दौरान तेलंगाना में 19 छात्रों ने आत्महत्या कर ली है। इन छात्रों के माता-पिता को इस बात की भनक तक भी नहीं हुई होगी की परीक्षा में फेल हुआ उनका बच्चा आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठा लेगा। हालांकि आत्महत्या करने वालों का कोई आधिकारिक आंकड़े उपलब्ध नहीं है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इंटरमीडिएट के पहले और दूसरे वर्ष (कक्षा 11 और 12) के 19 छात्रों ने पिछले सप्ताह के दौरान अपना जीवन समाप्त कर लिया।

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राज्‍य सरकार ने दिए दोबारा कॉपियों को जांचने के आदेश

बताया गया कि यह हाल के वर्षों में इंटरमीडिएट के छात्रों द्वारा आत्महत्या करने की सबसे अधिक संख्या है। राज्य के विपक्षी दलों ने आत्महत्या के लिए तेलंगाना बोर्ड ऑफ इंटरमीडिएट एजुकेशन (टीबीआईई) द्वारा किए गए गोलमाल को आत्महत्या की वजह बताई। वहीं इसे लेकर छात्रों के माता-पिता में तेलंगाना बोर्ड को लेकर आक्रोश है। हालांकि बोर्ड के ऐसे नतीजों के बाद राज्‍य सरकार ने इस साल परीक्षा में फेल हुए 3 लाख से अधिक छात्रों की कॉपियों को दोबारा जांचने का आदेश दे दिया है।

बता दें कि तेलंगाना बोर्ड इंटरमीडिएट परीक्षा के परिणाम 18 अप्रैल को घोषित किए गए थे। इस साल फरवरी-मार्च में आयोजित इंटरमीडिएट परीक्षाओं में कुल 9.74 लाख छात्रों ने हिस्‍सा लिया था और इनमें से 3.28 लाख छात्र फेल हो गए थे। 

इंटरमीडिएट की परीक्षा जीवन का अंत नहीं

छात्रों द्वारा आत्महत्या की घटनाओं ने पूरे राज्य का माहौल बिगाड़ दिया है। इस बीच राज्‍य के मुख्‍यमंत्री केसीआर ने इस मामले में एमर्जेंसी मीटिंग बुलाई, जिसमें शिक्षा मं‍त्री के साथ अन्‍य संबंधित अधिकारी भी मौजूद थे। मुख्‍यमंत्री केसीआर ने अपने ताजा बयान में आत्महत्याओं पर चिंता जताते हुए कहा कि छात्रों को आत्महत्या जैसे बड़े कदम नहीं उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि इंटरमीडिएट की परीक्षा में असफलता जीवन का अंत नहीं है।

उन्होंने कहा 'मैं ऐसी घटनाओं से बेहद दुखी हूं। छात्रों का आत्महत्या करना सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है। इंटरमीडिएट परीक्षा पूरी जिंदगी नहीं है। परीक्षा में असफल होना जीवन में असफलता नहीं है। जीवन अनमोल है। बहुत सारे अवसर मिलेंगे।' उन्होंने अपने बयान में छात्रों को जीवन में डटे रहने और साहसी बनने की सलाह दी। कहा 'यदि आप आत्महत्या करते हैं, तो आप अपने माता-पिता के लिए बहुत दुःख छोड़ जाते है। मैं हर एक छात्र को आत्महत्या नहीं करने की अपील करता हूं।'

असफलताओं के बाद हासिल की सफलता

परीक्षाओं में खराब नतीजों से कभी परेशान नहीं होना चाहिए। देश-दुनिया में कई ऐसे लोग है, जिन्होंने असफलताओं के बाद ही सफलता हासिल की। एक चीज हम आपको बताना चाहते है कि दुनिया के सबसे तेज दिमाग शख्सितें शुरुआत में अक्सर असफल ही रही है। लेकिन उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी और आज दनिया में उनका बोल-बाला है। छात्रों को सिर्फ खुद को समझाना है। आइए कुछ ऐसे ही नाम हम आपको बताना चाहते है, जिन्होंने असफलताओं के दौर को झेला और आज आप इनसे प्ररेणा लेने के हकदार है।

बिल गेट्स

दुनिया का सबसे अमीर इंसान बिल गेट्स। हावर्ड कॉलेज में बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी। इसके बाद अपना पहला बिज़नेस शुरू किया लेकिन वो बुरी तरह असफल साबित हुआ।

अल्बर्ट आइंस्टीन

वैज्ञानिक आइंस्टीन चार साल तक बोल और सात साल की उम्र तक पढ़ नहीं पाए थे। उन्हें एक सुस्त और गैर-सामाजिक छात्र के तौर पर देखे जाने लगा। इसके बाद उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया और ज़्यूरिच पॉलिटेक्निक में दाखिला देने से इंकार कर दिया गया। इन सब के बावजूद वे भौतिक विज्ञान की दुनिया में सबसे बड़ा नाम साबित हुए।

वॉल्ट डिज़्नी

डिज़्नी नाम किसने नहीं सुना होगा, लेकिन आपको यह सुनकर हैरानी होगी की जब ये नौकरी करते थे तो इन्हें यह कहकर निकाल दिया गया था कि उनके पास कल्पनाशीलता और नए विचार नहीं है। इसके बाद उन्होंने अपने व्यवसाय शुरु किए लेकिन दिवालिए हो गए। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और आज देखिए उनके नाम से एक पूरा साम्राज्य चलता है, जिसके गवाह हम सब हैं।

रबिंद्रनाथ टैगोर

भारत की तरफ से इकलौते नोबल पुरस्कार जीतने वाले महान क़वि और साहित्यकार रबिंद्रनाथ टैगोर स्कूल में फेल हो गए थे। उनके शिक्षक उन्हें पढ़ाई में ध्यान न देने वाले छात्र मानते थे। लेकिन वही बाद में पूरे देश का गौरव साबित हुआ टैगोर । रबिंद्रनाथ टैगोर लिखा भी करते थे, जिसमें उन्होंने एक बार असफलताओं पर लिखा था कि 'हर ओक का पेड़, पहले ज़मीन पर गिरा एक छोटा सा बीज होता है.'। ऐसे ही तमाम और नाम है, जो स्कूल-कॉलेजों में फेल होने के बाद भी कामयाब है।

क्या कहते है मोटिवेशन काउंसलर

तेलंगाना में 12वीं बोर्ड एग्‍जाम के बाद डेढ़ दर्जन से अधिक स्‍टूडेंट्स द्वारा आत्‍महत्‍या करने पर वरिष्‍ठ करियर/मोटिवेशन काउंसलर अरुण श्रीवास्‍तव ने पैरेंट्स, टीचर और स्‍टूडेंट्स के लिए कुछ सुझाव दिए है। इनका मानना है कि रुचि समझ कर पढ़ाएंगे, तभी बच्‍चों से पाएंगे खुशियां। 

श्रीवास्‍तव ने कहा कि बोर्ड परीक्षा में फेल हो जाने या प्रतियोगिता परीक्षा का दबाव बर्दाश्‍त न कर पाने वाले स्‍टूडेंट्स में हाल के वर्षों में आत्‍महत्‍या की प्रवृत्‍ति बढ़ना हर किसी के लिए बड़ी चिंता का विषय है। हालांकि इसे कोई अचानक उभरने वाली प्रवृत्‍ति नहीं माना जा सकता। पैरेंट्स और टीचर बच्‍चे को अच्‍छी तरह समझें और उन पर बिना कोई दबाव डाले उन्‍हें उनकी रुचि की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित प्रोत्‍साहित करें, तो ये भी अपनी कामयाबी से घर-परिवार को खुशियों की सौगात दे सकते हैं।

पैरेंट्स न थोपें अपनी इच्‍छाएं

अपने बच्‍चे को अगर कोई सबसे ज्‍यादा जानता, समझता है, तो वह पैरेंट्स ही हैं। उसे क्‍या अच्‍छा लगता है और क्‍या खराब, इसे आपसे बेहतर भला कौन समझ सकता है। इसके बावजूद अगर आप ही बिना उसकी इच्‍छा/रुचि जानें, उस पर अपने मनमुताबिक चलने और पढ़ने का दबाव बनाते हैं, तो इसका मतलब यही होगा कि आपको उसकी खुशियों की चिंता बिल्‍कुल नहीं है।

जरा सोचें, अगर वह आपके डर, लिहाज या सम्‍मान में आपकी बात मान भी लेता है, तब भी मन न लगने के कारण क्‍या वह उसमें अच्‍छा प्रदर्शन कर पाएगा? और तब इस खराब प्रदर्शन पर आपको कैसा लगेगा? बेशक इस पर आप गुस्‍सा होंगे, लेकिन इससे क्‍या होगा? वह तो आपके दबाव पर ही उस दिशा में पढ़ाई कर रहा था, पर रुचि न होने से वह परफॉर्म नहीं कर सका।

बेमन से पढ़ाई करने के बाद फेल होने पर या फेल होने के डर और दबाव को सहन न कर पाने के कारण अगर वह कहीं ‘आत्‍महत्‍या’ जैसा कोई नकारात्‍मक कदम उठा लेता है, तब आप और पूरे परिवार पर क्‍या बीतेगी? आप तो अपनी संतान को भविष्‍य में सफलता की ऊंचाई पर देखना चाहते हैं ना, फिर क्‍यों नहीं उसकी पसंद को समझने का प्रयास करते और उसे उसी दिशा में आगे बढ़ने में उसके साथ खड़े होते हैं? उसकी शैतानियों के पीछे छिपे हुनर को देखें-जानें तो सही, वह आपको अपनी उपलब्‍धियों से चौंकाएगा भी और खुशियों से सराबोर भी कर देगा।

टीचर करें प्रेरित-प्रोत्‍साहित

किसी भी स्‍टूडेंट को सही रास्‍ता दिखाने और उस पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरितकरने में टीचर की भी बहुत अहम भूमिका होती है। यह टीचर का नैतिक दायित्‍व भी है। सिर्फ बच्‍चे में गलतियां निकालने और उसे निकम्‍मा कहते रहने से आप न तो उसका कोई भला कर रहे हैं और न ही अपने अध्‍यापक धर्म का सही से निर्वाह कर रहे

हैं।

पैरेंट्स के बाद टीचर ही जान सकता है कि किस बच्‍चे में कौन-सा हुनर है या उसकी पसंद-नापसंद क्‍या है? इस बारे में टीचर बच्‍चों को प्रेरित करने के अलावा उनके पैरेंट्स को भी उन्‍हें उसी दिशा में आगे बढ़ाने का सुझाव दे सकते हैं। टीचर पूरे साल बच्‍चे के साथ रहते हैं। इसके अलावा, उन्‍हें दूसरे बच्‍चों से भी उनके बारे में राय मिलती रहती है। सिर्फ परीक्षा के अंकों को देखकर ही किसी बच्‍चे को को ब्रिलिंयंट या नकारा नहीं कहा जा सकता।

जानें अपने भीतर छिपा हुनर

परीक्षा में फेल हो जाने या कम अंक आने का यह मतलब कतई नहीं कि आप निकम्‍मे-नकारा हैं और आपको कुछ नहीं आता। अगर आपके पैरेंट्स, टीचर या कोई भी ऐसा कहता है तो उनकी बातों को दिल से लगाने की बजाय अपने भीतर छिपे हुनर को जानने-तराशने पर ध्‍यान दें।

निश्‍चित रूप से आपके भीतर भी कोई न कोई हुनर जरूर होगा। क्‍या कहा? आपको नहीं पता। कोई बात नहीं। आप फिर से जरा अपनी रुचियों, पसंद-नापसंद, आदतों, दिनभर के व्‍यवहार, गतिविधियों आदि पर बारीकी से गौर करना शुरू कर दें। हफ्ते-दस दिन तक ऐसा करने से आपको पता चल जाएगा कि आपकी कौन-सी पसंद ऐसी है, जिसे आप जुनून की हद तक चाह सकते हैं। उसके लिए आप अपनी भूख-प्‍यास की परवाह भी नहीं करेंगे।

एक बार इस जुनून को जान लेने के बाद उसी दिशा में खुद को आगे बढ़ाने का प्रयास करें। बिना निराश हुए। अपने आत्‍मविश्‍वास को लगातार बनाए रखते हुए, बढ़ाते हुए। कुछ दिन बाद आप अपने इसी जुनून की बदौलत अपने पैरेंट्स को चकित और खुश कर सकते हैं। आप जिस दिन ऐसा कर लेंगे, आपके पैरेंट्स आपको अपने पैशन की दिशा में आगे बढ़ने से कभी नहीं रोकेंगे।

  कहीं गुमसुम और कटा-कटा तो नहीं है बच्‍चा

  • देखें कि बच्‍चा कुछ दिन से गुमसुम तो नहीं है या अपने में ही तो नहीं रहने लगा है। अगर ऐसा है, तो सतर्क हो जाएं। उससे प्‍यार से बातें करें। उसकी समस्‍या समझने का प्रयास करें।
  • कहीं आपके बच्‍चे को किसी ऑनलाइन गेम की लत तो नहीं लग गई है। वह छिप-छिप करके तो इस तरह के गेम नहीं खेल रहा है।
  • बच्‍चे को पढ़ाई के लिए कभी-कभी बेशक डांटें, पर उसके बाद उसकी गतिविधियों पर गौर करें। कहीं वह इससे हताश-निराश तो नहीं हो रहा है। उसे समझाएं और प्रोत्‍साहित करें।
  • अगर परीक्षा में कम आने या फेल होने से वह परेशान है, किसी से बातें करने से बच रहा है, खाने-घूमने में अरुचि दिखा रहा है तो भी उसके साथ बैठें। उसे समझाएं और आश्‍वस्‍त करें कि फेल हो गया या कम अंक आ गए तो क्‍या हुआ। यह कोई जिंदगी की आखिरी परीक्षा तो नहीं है। आगे अभी बहुत सारे मौके आएंगे। कम अंक आने से मुझे नहीं लगता कि तुम प्रतिभाशाली नहीं हो। तुम्‍हारा मन जिस फील्‍ड में लगता है, तुम उसी में आगे बढ़ो। हम सभी तुम्‍हारे साथ हैं। 

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