संताली को झारखंड की प्रथम राजभाषा का दर्जा दे सरकार
संताली को झारखंड की प्रथम राजभाषा का दर्जा दे सरकार
संताली को झारखंड की प्रथम राजभाषा का दर्जा दे सरकार
संवाद सहयोगी, रामगढ़ (दुमका) : संताली को झारखंड की प्रथम राजभाषा दर्ज देने समेत अन्य मांगों को लेकर गुरुवार को आदिवासी सेंगेल अभियान के सदस्यों की एक बैठक उत्क्रमित मध्य विद्यालय मोहनपुर में मोहन मुर्मू की अध्यक्षता में की गई। बैठक में उपस्थित अभियान के जिला अध्यक्ष सुनील मुर्मू ने कहा कि झारखंड एक आदिवासी राज्य है, लेकिन इसके बाद भी यहां पर आदिवासियों के कल्याण के लिए कोई कानून नहीं बनाया गया है। उन्होंने आदिवासी स्वशासन व्यवस्था में सुधार के लिए कानून बनाने की मांग राज्य सरकार से की। उन्होंने कहा कि झारखंड के आदिवासी वर्षों से आसाम एवं अंडमान में रहते हैं। लेकिन इसके बाद भी वहां के राज्य सरकार उन्हें आदिवासी का दर्जा नहीं दे रही है। उन्होंने राज्य सरकार से वहा के आदिवासियों के लिए जल्द से जल्द पहल करने का अनुरोध किया है। यहां की खनिज संपदा को लूटने से रोकने के लिए राज्य सरकार को संवैधानिक तरीके से मजबूत कानून बनाना चाहिए। ताकि झारखंड को खोखला होने से बचाया जा सके। यदि राज्य सरकार इन सभी मांगों पर विचार नहीं करती है तो आने वाले दिनों में आदिवासी सेंगेल अभियान चरणबद्ध तरीके से आंदोलन करेगा। बैठक में असम प्रदेश उपाध्यक्ष सोहन हेंब्रम, रामगढ़ प्रखंड अध्यक्ष मोहन मुर्मू, कांजवे पंचायत के मुखिया चार्लेश बेसरा, बेराजी टुडू, रूपलाल सोरेन, सोलन टुडू, गमियल मरांडी, मानेशल मरांडी, राकेश रौशन टुडू, चुंडा टुडू, किरण मुर्मू समेत अन्य लोग उपस्थित थे।