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जेलों में बंद सिखों की रिहाई को लेकर काली पगड़ी व काले झंडे लेकर किया प्रदर्शन

सजा पूरी होने के बाद भी जेलों में बंद सिखों की रिहाई की मांग को लेकर शनिवार को काली पगड़ी व काले झंडे लेकर शहर में प्रदर्शन किया और तहसीलदार अजय सैनी को ज्ञापन सौंपा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Aug 2022 05:31 PM (IST)Updated: Sat, 13 Aug 2022 05:31 PM (IST)
जेलों में बंद सिखों की रिहाई को लेकर काली पगड़ी व काले झंडे लेकर किया प्रदर्शन
जेलों में बंद सिखों की रिहाई को लेकर काली पगड़ी व काले झंडे लेकर किया प्रदर्शन

जागरण संवाददाता, जींद : सजा पूरी होने के बाद भी जेलों में बंद सिखों की रिहाई की मांग को लेकर शनिवार को काली पगड़ी व काले झंडे लेकर शहर में प्रदर्शन किया और तहसीलदार अजय सैनी को ज्ञापन सौंपा। शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अमृतसर प्रधान सरदार हरजिद्र सिंह धामी व जत्थेदार अकाल तख्त ज्ञानी हरप्रीत सिंह के आह्वान पर गुरु तेग बहादुर साहिब समूह स्टाफ, जींद शहर की संगत, सोसायटियां गुरुद्वारा साहिब में एकत्रित हुई। गुरुद्वारा मैनेजर परमजीत सिंह ने बताया कि देश की आजादी में 80 प्रतिशत से ज्यादा सिखों ने कुर्बानी दी, लेकिन दुख की बात है कि 75 साल से सिखों को अलग-थलग महसूस करवाया जा रहा है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने जेलों में बंद सिखों की रिहाई के लिए आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर जिला स्तर पर रोष प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में प्रशासन के माध्यम से सरकार को ज्ञापन भेज कर जेलों में बंद सिखों को रिहा करने की मांग की गई है। एसजीपीसी सदस्य सरदार भूपेंद्र सिंह असंध, बलदेव सिंह खालसा ने बताया कि तीन दशक से अधिक उम्र की सजा काटने के बाद भी देश की जेलों में कैद सिखों को रिहा नहीं किया जा रहा है। देश का संविधान भारत में रहने वाले सभी लोगों को समान अधिकार देता है, लेकिन सिखों के प्रति सरकार का रवैया नकारात्मक रहा है। इस सिख विरोधी रवैये के कारण 30-30 साल से जेलों में बंद सिखों को न्याय नहीं मिल रहा है। एक तरफ देश अपनी 75वीं वर्षगांठ मना रहा है वहीं दूसरी तरफ देश को आजाद कराने वाले सिखों को भी अपने मूल अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। सरदार अमीर सिंह रसीदां, रणजीत सिंह, हरविद्र सिंह ने कहा कि जेलों में सजा पूरी कर चुके सिखों को कैद रखना सरासर अन्याय है। बिना किसी जुर्म के जेल में रखना भी एक अत्याचार है। एक ओर कानून में सजा भुगत रहे कैदियों को छुट्टिया तक देकर घर भेज दिया जाता है वहीं दूसरी ओर सजा पूरी करने वालों को जेलों में बंद रखा जा रहा है। उन्होंने मांग की कि सजा पूरी कर चुके सिखों की रिहाई की जाए। इनमें से कुछ की उम्र 80 साल के आसपास है और कुछ कैदी अपनी आंखों की रोशनी भी खो चुके हैं। इस मौके पर पूरणसिंह, प्रीतम सिंह, अजायब सिंह, मालक सिंह चीमा, जोगिद्र सिंह पाहवा, अमरजीत सिंह ढिल्लो मौजूद रही।

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