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सक्‍सेस मंत्रा: खुद को मार्केट में बनाए रखने के लिए बिजनेस में जरूरी है नयापन

गौतम बताते हैं ‘स्टार्टअप होने के नाते अपना हौसला बरकरार रखते हुए बाजार में टिके रहना बेहद चुनौतीपूर्ण था। ग्राहक भी अपने कदम पीछे हटाने लगे थे। इसे बहुत अच्छी शुरुआत नहीं कह सकते थे। निराशा के इस दौर से बाहर निकलकर कुछ अलग सोचना पड़ा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 03 Jun 2022 03:56 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jun 2022 03:56 PM (IST)
सक्‍सेस मंत्रा: खुद को मार्केट में बनाए रखने के लिए बिजनेस में जरूरी है नयापन
बिजनेस में जरूरी है नयापन, Gautam Nimmagadda Founder, CEO Quixy

अंशु सिंह। गौतम निम्मगड्डा ने 13 साल से अधिक समय तक विभिन्न आइटी कंपनियों में काम किया, जिसमें स्टार्ट-अप से लेकर अमेरिका, मध्य-पूर्व, अफ्रीका और भारत के बड़े संगठन शामिल रहे। आइटी के अलावा इन्होंने जीआइएस कंपनियों का भी नेतृत्व किया। नये-नये उत्पादों का विचार एवं उसकी संकल्पना प्रस्तुत करने, लोगों का नेतृत्व करने, प्रबंधन/कारोबार के संचालन तथा सेल्स एवं मार्केटिंग में विशेषज्ञता रखने वाले गौतम को एक दिन लगा कि कुछ नया करने का समय आ गया है और अक्टूबर 2019 में उन्होंने ‘क्विक्सी’ की स्थापना की। यह एक नो-कोड साफ्टवेयर डेवलपमेंट क्लाउड आधारित प्लेटफार्म है, जिसकी मदद से छोटे उद्यमी एवं कंपनियां कोडिंग के बिना भी साफ्टवेयर का निर्माण कर सकती हैं। कंपनी के संस्थापक एवं सीईओ गौतम की मानें, तो बिजनेस में जितने प्रयोग करेंगे, उतना बदलते मार्केट में अपने अस्तित्व को कायम रखना आसान होगा।

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हैदराबाद के सीबीआइटी से स्नातक करने के बाद गौतम ने आयोवा यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री हासिल की है। कुछ वर्ष पेशेवर अनुभव लेने के बाद एंटरप्रेन्योरशिप में आने के अपने फैसले के बारे में गौतम कहते हैं, ‘बीते वर्षों में बीटुबी साफ्टवेयर प्रोजेक्ट्स पर काम करने के दौरान मुझे एक खास तरह का पैटर्न देखने को मिला। मैंने पाया कि अपने कारोबार में साफ्टवेयर का उपयोग करने वाले लोगों के पास खुद का साफ्टवेयर बनाने के लिए आवश्यक कौशल या उपकरण नहीं थे। लिहाजा उन्हें ऐसे लोगों पर निर्भर रहना पड़ता था, जिन्हें टेक्नोलाजी की समझ तो थी, लेकिन बिजनेस की नहीं। इसके अलावा, साफ्टवेयर बनाने के मौजूदा उपकरण और तरीके काफी महंगे हैं। उनमें बहुत अधिक समय खर्च होता है। इतना ही नहीं, साफ्टवेयर में छोटे-मोटे बदलाव करने के लिए कई जटिल प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। इससे समय की बर्बादी होती है और लागत बढ़ जाती है। इससे निराशा की भावना उत्पन्न होती है, जो कामकाज की गति पर बुरा असर डालती है। टीम का हौसला टूटता है सो अलग। बस यही विचार क्विक्सी की बुनियाद बन गया यानी मैंने तय किया कि एक ऐसा प्लेटफार्म बनाना है, जिसकी मदद से कारोबार चलाने वाले लोग खुद (दूसरों पर भरोसा किए बिना) साफ्टवेयर तैयार कर सकें।‘

व्यावसायियों के लिए फायदेमंद प्लेटफार्म: वैश्विक आबादी के सिर्फ 0.03% लोग ही कोड लिख सकते हैं और एप डेवलप कर सकते हैं। ‘क्विक्सी’ प्लेटफार्म इस परिस्थिति में बदलाव ला रहा है। यह नो-कोड सिटीजन डेवलपमेंट प्लेटफार्म है, जिसका इस्तेमाल कर व्यवसायी कोई माडल तैयार कर सकते हैं। साथ ही दस गुना तेजी से जटिल एप्लिकेशन तैयार कर सकते हैं। गौतम बताते हैं कि कंप्यूटर की बुनियादी जानकारी रखने वाला कोई भी व्यक्ति आटोमेशन कर सकता है तथा साफ्टवेयर एप्लिकेशन बनाने व बेचने के कौशल का व्यावसायिक रूप से फायदा उठा सकता है। दूसरी ओर, यह प्लेटफार्म व्यवसायों को डाउनटाइम में कमी लाने में मदद करता है। साथ ही, एप डेवलपमेंट से जुड़ी लागतों को भी कम करता है। अलग-अलग उद्योगों से संबंधित संगठनों ने अपने व्यवसाय को डिजिटल बनाने के लिए क्विक्सी का उपयोग किया है। इस काम को उन्होंने 75% कम संसाधनों के साथ कम-से-कम दस गुना तेजी से पूरा किया है। इससे वे बचे समय व पैसे को इनोवेशन पर खर्च कर सके हैं और अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा सके हैं। कंपनी मध्यम और बड़े व्यवसायों को अपनी सेवाएं दे रही है।

महामारी के बीच भी बढ़े आगे: दिसंबर 2019 और जनवरी 2020 के बीच गौतम ने ‘क्विक्सी’ के मार्केटिंग पर काम करना शुरू किया था। लेकिन इन्होंने जैसे ही बाजार में कदम रखा और कुछ प्रस्ताव मिलने लगे, ठीक उसी समय कोविड-19 महामारी ने दस्तक दे दी। यह एक ऐसी बाधा थी जिसके बारे में सोचा भी नहीं गया था। दुनिया की हर दूसरी कंपनी की तरह इसने क्विक्सी को भी बुरी तरह प्रभावित किया। हमने गौर किया कि कंपनियां हों या व्यवसायी, वे सभी अपने कर्मचारियों से काम लेना चाहते थे। एक प्लेटफार्म बिल्डर होने के नाते कंपनी ने कर्मचारियों को उनके कार्यालय में वापस लाकर बाजार की इस मांग का लाभ उठाया यानी टेक्नोलाजी की मदद से समस्या का समाधान तैयार किया गया। हमारे प्लेटफार्म पर रेडी-टू-यूज एप हैं, जिसे कोई भी निश्शुल्क हासिल कर सकता है। गैर-तकनीकी संगठन भी इस एप के जरिये अपने व्यवसाय की खास प्रक्रियाओं को कस्टमाइज कर सकते हैं। इसमें एक एप्लीकेंट ट्रैकिंग सिस्टम, एम्प्लायी आनबोर्डिंग, लीव मैनेजमेंट, प्रोजेक्ट, टास्क मैनेजमेंट, आइटी सर्विस, ट्रैवल एवं एक्सपेंस मैनेजमेंट जैसी सुविधाएं हैं, जिन्हें कंपनियां अपनी जरूरत अनुसार बदल सकती हैं।‘

कई स्तरों पर रहीं चुनौतियां: गौतम के अनुसार, बाजार के लिए नो-कोड बिल्कुल नई बात थी। इस बारे में जागरूक करना बिल्कुल आसान नहीं था। लोगों को समझाने में समय लगा कि कोडिंग के बिना भी जटिल समस्याओं का तकनीकी समाधान निकल सकता है। इसके अलावा बड़े उद्यमों की उपस्थिति में अपनी सेवाओं को प्रमोट करना, प्रतिस्पर्धा के बीच बाजार में दूसरों से आगे रहना, लगातार इनोवेशन करना भी किसी बाधा से कम नहीं रहा। गौतम की मानें, तो एक संगठन के तौर पर उन्होंने बेहद कम पूंजी के साथ शुरुआत की है। टीम का निर्माण करना भी आसान नहीं था। उन्हें एक ऐसी टीम की जरूरत थी, जिसके सदस्यों के विचारों में भिन्नता के बावजूद कंपनी के विजन और लक्ष्यों के प्रति सामंजस्य हो। इसमें समय लगा। वह कहते हैं, टीम बनाने के लिए काफी समय देना पड़ता है और सोच-विचार करना होता है।

अटल इरादे से मिलती है कामयाबी: नये स्टार्टअप्स को गौतम यही सलाह देना चाहते हैं कि कामयाबी पाने के लिए इरादों में अटलता और स्फूर्ति का तालमेल होना बेहद अहम है। हालांकि आपको ऐसा महसूस हो सकता है कि इरादों में अटलता और स्फूर्ति एक-दूसरे के विपरीत हैं, लेकिन वे एक-दूसरे के पूरक हैं और दोनों के बीच तालमेल के नतीजे शानदार होते हैं। इसके अलावा, स्टार्टअप के संस्थापकों की जिम्मेदारी है कि वे अपने लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए इन विशेषताओं को अपने संगठन में शामिल करें और उनके बीच संतुलन बनाएं।


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