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बाजार तय करेगा गन्ना किसानों की किस्मत

नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। गन्ना किसानों की किस्मत अब बाजार तय करेगा। चीनी मूल्यों के आधार पर ही गन्ने का मूल्य निर्धारित किया जाएगा। गन्ने का पूरा भुगतान पाने के लिए किसानों को छह महीने का लंबा इंतजार करना पड़ेगा। चीनी उद्योग को नियंत्रण मुक्त करने के लिए गठित रंगराजन समिति की सिफारिशों से किसान संगठन नाखुश नहीं हैं। समिति

By Edited By: Published: Sun, 14 Oct 2012 07:04 PM (IST)Updated: Sun, 14 Oct 2012 07:25 PM (IST)
बाजार तय करेगा गन्ना किसानों की किस्मत

नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। गन्ना किसानों की किस्मत अब बाजार तय करेगा। चीनी मूल्यों के आधार पर ही गन्ने का मूल्य निर्धारित किया जाएगा। गन्ने का पूरा भुगतान पाने के लिए किसानों को छह महीने का लंबा इंतजार करना पड़ेगा। चीनी उद्योग को नियंत्रण मुक्त करने के लिए गठित रंगराजन समिति की सिफारिशों से किसान संगठन नाखुश नहीं हैं।

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समिति ने गन्ना मूल्य निर्धारण की मौजूदा प्रणाली में बड़ी तब्दीली करते हुए राज्य सरकारों के राज्य समर्थित मूल्य [एसएपी] को समाप्त करने की सिफारिश की है। इसकी जगह समिति ने नया फार्मूला तैयार किया है। इसके तहत गन्ना मूल्य का भुगतान दो किस्तों में किया जाएगा। केंद्र सरकार के घोषित उचित व लाभकारी मूल्य [एफआरपी] के आधार पर पहली किस्त का भुगतान गन्ना आपूर्ति के 15 दिनों के भीतर करना होगा। वहीं दूसरी किस्त अथवा पूरे भुगतान के लिए छह महीने का उस समय तक इंतजार करना होगा, जब चीनी मिलें अपना हिसाब-किताब पेश करेंगी।

कृषि मूल्य एवं लागत आयोग [सीएसीपी] के चेयरमैन अशोक गुलाटी इस नए फार्मूला को गन्ना किसानों के लिए काफी मुफीद बता रहे हैं। उन्होंने इसके समर्थन में आठ साल के आंकड़ों का हवाला भी दिया है। उनके हिसाब से नए फार्मूले में चीनी उत्पादन का 70 फीसद मूल्य किसानों को मिलेगा। इसकी पहली किस्त उचित व लाभकारी मूल्य [एफआरपी] के आधार पर किसानों को दी जाएगी। दूसरी किस्त का बकाया भुगतान मिलों की चीनी बिक्री मूल्य के आधार पर किया जाएगा। इसकी गणना छह महीने बाद की जाएगी। समिति का तर्क है कि इस फार्मूले के लागू होने से गन्ना एरियर बढ़ने की नौबत नहीं आएगी।

इसके विपरीत किसान संगठनों ने समिति के समक्ष गन्ना मूल्य निर्धारण के लिए खेती की लागत के साथ 50 फीसद लाभ जोड़ने की मांग की थी। किसान जागृति मंच के संयोजक सुधीर पंवार ने कहा कि किसानों को बाजार के भरोसे छोड़ना उचित नहीं है। समिति की सिफारिशें व्यावहारिक नहीं हैं।

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