ब्याज दरें बढ़ने की संभावना बरकरार
वर्ष 2012-13 की वार्षिक मौद्रिक नीति घोषित करने के एक दिन बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने बुधवार को कहा कि नीतिगत ब्याज दर में वृद्धि की संभावना पूरी तरह खत्म नहीं हुई। उन्होंने कहा कि भविष्य में ब्याज दर मुद्रास्फीति के दबाव घटने-बढ़ने पर निर्भर करेगा।
मुंबई। वर्ष 2012-13 की वार्षिक मौद्रिक नीति घोषित करने के एक दिन बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने बुधवार को कहा कि नीतिगत ब्याज दर में वृद्धि की संभावना पूरी तरह खत्म नहीं हुई। उन्होंने कहा कि भविष्य में ब्याज दर मुद्रास्फीति के दबाव घटने-बढ़ने पर निर्भर करेगा।
विशेषज्ञों और पर्यवेक्षकों के साथ कांफ्रेंस काल में सुब्बाराव ने कहा कि ब्याज दरों में वृद्धि की संभावना शून्य नहीं हुई है पर यह कम जरूर हुई है, इसी तरह आगे ब्याज दर में और कमी किए जाने की संभावना भी पूरी तरह समाप्त नहीं है बल्कि कम है।
रिजर्व बैंक ने तीन साल के बाद प्रमुख नीतिगत दरों में कमी की शुरुआत कल की है। वर्ष 2012-13 की वार्षिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए बैंक ने मंगलवार को रेपो दर में आधा प्रतिशत कटौती की है।
समाप्त वित्त वर्ष 2011-12 में आर्थिक वृद्धि दर पिछले तीन साल में सबसे कम 6.9 प्रतिशत रही है। इसके पीछे उपभोक्ता वस्तुओं के ऊंचे दाम, घरेलू मांग में कमी और रिजर्व बैंक की सख्त मौद्रिक नीति को मुख्य वजह माना जा रहा है।
रिजर्व बैंक ने ऊंची मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिए मार्च 2010 के बाद से लगातार 13 बार रेपो और रिवर्स रेपो दरों में वृद्धि की। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2011 के दौरान ज्यादातर समय मुद्रास्फीति दहाई अंक के आसपास रही है। मार्च 2012 में मुद्रास्फीति 6.89 प्रतिशत रही है जो कि रिजर्व बैंक के अनुमान सात प्रतिशत से कम रही।
रिजर्व बैंक गवर्नर ने मौद्रिक नीति जारी करते हुए मंगलवार को कहा था कि प्रमुख नीतिगत दरों में कमी आर्थिक वृद्धि की गति धीमी पड़ने और सकल मुद्रास्फीति में नरमी आने के आधार पर लाई गई है।
सुब्बाराव ने यह भी कहा कि मुद्रास्फीति में वृद्धि की संभावना बनी हुई है, इस तरह के चिंताओं से नीतिगत दरों में और आगे कमी लाने की संभावनाएं बहुत सीमित रह जातीं हैं।
रिजर्व बैंक ने नीति में कहा है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहेगी और मार्च 2013 में सकल मुद्रास्फीति 6.5 प्रतिशत रहेगी। पिछले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि घटकर 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। इससे पिछले लगातार दो साल आर्थिक वृद्धि 8.4 प्रतिशत दर्ज की गई।
रिजर्व बैंक ने सरकार के राजकोषीय घाटे और बढ़ते सब्सिडी बिल पर भी चिंता जाहिर की है। बैंक ने पेट्रोलियम पदार्थो के दाम उनकी वास्तविक लागत के अनुरूप तय किए जाने पर जोर दिया है।
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