हड़ताली पायलट ड्रीमलाइनर की ट्रेनिंग के हकदार नहीं
दिल्ली हाई कोर्ट ने हड़ताली पायलटो को बोइंग-777 ड्रीमलाइनर का प्रशिक्षण दिए जाने से मना कर दिया है। कोर्ट का कहना है हड़ताल मे शामिल पायलट इस प्रशिक्षण के हकदार नही है। पहले पायलट हड़ताल खत्म करे इसके बाद ही ऐसे किसी आवेदन पर विचार किया जा सकता है। मजे की बात यह है कि हड़ताली पायलटो को ड्रीमलाइनर विमानो का प्रशिक्षण दिए जाने की अनुमति की याचिका हड़ताली पायलटो ने नही, बल्कि एयर इंडिया प्रबंधन ने दाखिल की थी।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। दिल्ली हाई कोर्ट ने हड़ताली पायलटों को बोइंग-777 ड्रीमलाइनर का प्रशिक्षण दिए जाने से मना कर दिया है। कोर्ट का कहना है हड़ताल में शामिल पायलट इस प्रशिक्षण के हकदार नहीं हैं। पहले पायलट हड़ताल खत्म करें इसके बाद ही ऐसे किसी आवेदन पर विचार किया जा सकता है। मजे की बात यह है कि हड़ताली पायलटों को ड्रीमलाइनर विमानों का प्रशिक्षण दिए जाने की अनुमति की याचिका हड़ताली पायलटों ने नहीं, बल्कि एयर इंडिया प्रबंधन ने दाखिल की थी। प्रबंधन चाहता था कि कोर्ट एकल पीठ के 11 मई के उस आदेश को रद कर दे, जिसमें हड़ताली पायलटों के बोइंग-777 के प्रशिक्षण पर रोक लगा दी गई थी।
एयर इंडिया की अपील खारिज करते हुए दो सदस्यों वाली खंडपीठ ने कहा, 'पहले उन्हें हड़ताल खत्म करने दो, इसके बाद हम इस मामले की सुनवाई करेंगे। जब तक हड़ताल जारी है हम इस मामले की सुनवाई करने के इच्छुक नहीं हैं। वे हड़ताल के साथ प्रशिक्षण की सुविधा नहीं प्राप्त कर सकते। हड़ताल खत्म करने के बाद पायलट चाहें तो प्रशिक्षण की मांग का आवेदन कर सकते हैं।' पीठ ने एयर इंडिया प्रबंधन को भी झाड़ लगाई कि वह हड़ताली पायलटों पर कार्रवाई भी कर रहा है और उनके लिए राहत भी मांग रहा है। वैसे, पीठ ने एयर इंडिया पायलटों की चल रही मौजूदा ट्रेनिंग पर रोक से इन्कार कर दिया। कोर्ट मामले की अगली सुनवाई जुलाई में करेगा।
इससे पहले एयर इंडिया के वकील ललित भसीन ने कोर्ट से अपील की कि एकल पीठ के फैसले को रद किया जाए, क्याेंकि प्रशिक्षण न दिए जाने से एविएशन कंपनी को भारी नुकसान होगा और आने वाले बोइंग-777 विमान खड़े रहेंगे। भसीन के मुताबिक 200 कमांडर [मुख्य पायलट] तथा इतने ही फर्स्ट ऑफिसर [सह-पायलट] को ड्रीमलाइनर विमानों की ट्रेनिंग दी जानी है। अभी केवल 64 कमांडर तथा 62 फर्स्ट ऑफिसर ट्रेनिंग ले रहे हैं।
हाई कोर्ट का 11 मई का फैसला इंडियन कॉमर्शियल पायलट एसोसिएशन [आइसीपीए] की याचिका पर आया था। आइसीपीए ने मांग की थी कि बोइंग-777 विमानों के प्रशिक्षण पर रोक लगनी चाहिए और पूर्ववर्ती इंडियन एयरलाइंस व एयर इंडिया के पायलटों को समान रूप से प्रशिक्षण की सुविधा दी जानी चाहिए। इस पर एकल पीठ ने फैसला दिया था, जब तक जस्टिस धर्माधिकारी समिति की रिपोर्ट लागू नहीं होती, तब तक मौजूदा स्वरूप में पायलटों को ड्रीमलाइनर ट्रेनिंग नहीं दी जानी चाहिए। जिन्हें दी जा चुकी है या जो अभी ट्रेनिंग ले रहे हैं, उनके साथ छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। इंडियन एयरलाइंस से जुड़ी आइसीपीए और एयर इंडिया से जुड़ी इंडियन पायलट गिल्ड [आइपीजी] के बीच ड्रीमलाइनर विमानों के प्रशिक्षण को लेकर जबरदस्त खींचतान है। एयर इंडिया के पायलट नहीं चाहते कि इंडियन एयरलाइंस के पायलटों को यह प्रशिक्षण मिले। वहीं, इंडियन एयरलाइंस के पायलटों का कहना है कि यदि अकेले एयर इंडिया पायलटों को प्रशिक्षण मिला तो वे बहुत जल्दी कमांडर बन जाएंगे, जबकि इंडियन एयरलाइंस वाले घिसटते रहेंगे।
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