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कर्ज नहीं होंगे सस्ते, सीआरआर में कटौती संभव

थोक महंगाई की दर में कुछ कमी आने के बावजूद रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की ओर से नीतिगत ब्याज दर (रेपो रेट) में कटौती की उम्मीद काफी कम है। इसके बजाय विशेषज्ञ नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में चौथाई फीसद की कमी की संभावना जता रहे हैं।

By Edited By: Published: Tue, 18 Dec 2012 08:09 AM (IST)Updated: Tue, 18 Dec 2012 09:07 AM (IST)
कर्ज नहीं होंगे सस्ते, सीआरआर में कटौती संभव

नई दिल्ली। थोक महंगाई की दर में कुछ कमी आने के बावजूद रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की ओर से नीतिगत ब्याज दर (रेपो रेट) में कटौती की उम्मीद काफी कम है। इसके बजाय विशेषज्ञ नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में चौथाई फीसद की कमी की संभावना जता रहे हैं।

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केंद्रीय बैंक मंगलवार को अपनी मध्य-तिमाही मौद्रिक समीक्षा बैठक करेगा। अग्रिम कर जमा करने की वजह से बैंकिंग प्रणाली में नकदी की कुछ तंगी महसूस की जा रही है। बैंकों ने सोमवार को रिजर्व बैंक से 1,46,300 करोड़ की अल्पकालिक उधारी हासिल की है। शुक्रवार को यह आंकड़ा 64,445 करोड़ रुपये था। इसे देखते हुए उम्मीद बंधी है कि केंद्रीय बैंक सीआरआर (वह राशि जो बैंक आरबीआइ के पास अपनी जमाओं के एवज में रखते हैं) में कटौती करेगा। फिलहाल यह अनुपात बैंक जमाओं का 4.25 फीसद है। वैसे, भारतीय स्टेट बैंक के एमडी दिवाकर गुप्ता ने सीआरआर के अलावा रेपो रेट (वह दर जिस पर बैंक आरबीआइ से कम अवधि का कर्ज प्राप्त करते हैं) में भी कमी की संभावना जताई है। केंद्रीय बैंक ने काफी समय से इस दर को आठ फीसद पर यथावत रखा है। आरबीआइ अभी भी महंगाई दर को ऊंची मान रहा है। इसीलिए रेपो दर में कमी करने से वह कन्नी काट रहा है। वैसे इस ऊंची नीतिगत दर को औद्योगिक उत्पादन में सुस्ती की मुख्य वजह बताया जा रहा है।

सस्ते मकानों को रिजर्व बैंक की पहल

केंद्रीय बैंक ने सस्ते मकानों को बढ़ावा देने के लिए सोमवार को बड़ी पहल की है। इसके तहत आरबीआइ ने रियल एस्टेट डेवलपरों और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को विदेशी वाणिज्यिक उधारियों (ईसीबी) के जरिये एक अरब डॉलर तक की राशि जुटाने की मंजूरी दे दी है। इस राशि का इस्तेमाल या तो कम लागत वाली हाउसिंग परियोजनाओं के विकास पर किया जाएगा या फिर लोगों को 25 लाख रुपये तक का होम लोन देने में होगा। इसके तहत होम लोन मुहैयाकराने के लिए मकान की कीमत 30 लाख रुपये से कम होनी चाहिए। झुग्गी पुनर्वास परियोजनाएं भी इसके दायरे में आएंगी।

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