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अब महंगे कर्ज से राहत

रिजर्व बैंक [आरबीआइ] ने तीन साल बाद कर्ज को सस्ता करने का दरवाजा खोल दिया है। वार्षिक मौद्रिक नीति 2012-13 का एलान करते समय आरबीआइ ने रेपो दर में आधा फीसद की कटौती कर दी है। इससे होम, ऑटो, पर्सनल लोन सहित अन्य तमाम तरह के बैंकिंग कर्ज सस्ते हो जाएंगे। भारतीय स्टेट बैंक सहित कुछ बैंकों ने संकेत भी दे दिए हैं कि होम लोन की दरों में चौथाई फीसद की कमी की जाएगी।

By Edited By: Published: Tue, 17 Apr 2012 11:55 AM (IST)Updated: Wed, 18 Apr 2012 03:15 AM (IST)
अब महंगे कर्ज से राहत

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। रिजर्व बैंक [आरबीआइ] ने तीन साल बाद कर्ज को सस्ता करने का दरवाजा खोल दिया है। वार्षिक मौद्रिक नीति 2012-13 का एलान करते समय आरबीआइ ने रेपो दर में आधा फीसद की कटौती कर दी है। इससे होम, ऑटो, पर्सनल लोन सहित अन्य तमाम तरह के बैंकिंग कर्ज सस्ते हो जाएंगे। भारतीय स्टेट बैंक सहित कुछ बैंकों ने संकेत भी दे दिए हैं कि होम लोन की दरों में चौथाई फीसद की कमी की जाएगी।

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मंगलवार को सालाना मौद्रिक नीति पेश करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने ग्राहक सेवा की गुणवत्ता बढ़ाने समेत कई अन्य एलान भी किए। उन्होंने कहा कि देश भर में साफ-सुथरे नोट व सिक्कों की उपलब्धता बढ़ाने के भी उपाय किए जाएंगे। साथ ही सोने के बदले कर्ज लेने वालों की बढ़ती तादाद को गंभीर मानते हुए इस पर लगाम लगाने की व्यवस्था भी कर दी गई है। गैर-बैंकिंग वित्ताीय कंपनियों [एनबीएफसी] के ऐसे कारोबार को रोकने के लिए शीघ्र ही विस्तृत दिशानिर्देश जारी होंगे।

आधा फीसद की कटौती के बाद रेपो दर आठ और रिवर्स रेपो सात फीसद पर आ गई है। बैंक दर को भी आधा फीसद घटाकर 9 फीसद कर दिया है। वैसे, बैंकों के नकद सुरक्षित अनुपात [सीआरआर] में कोई बदलाव नहीं हुआ है। महंगाई थामने के लिए केंद्रीय बैंक ने अप्रैल, 2010 के बाद से अक्टूबर, 2011 तक रेपो दर में 13 बार वृद्धि की है। इस दौरान यह दर करीब पौने चार फीसद बढ़ गई। इससे होम लोन की दरें औसतन नौ से बढ़कर 13 फीसदी तक पहुंच गईं। ऑटो और कॉरपोरेट लोन भी इस दौरान काफी महंगे हो चुके हैं। रिजर्व बैंक के ताजा कदम के बाद अब कर्ज की दरों में कमी का सिलसिला शुरू हो सकेगा।

आरबीआइ ने वर्ष 2012-13 में 7.3 फीसद और राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] के 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। बैंकों की जमा में ग्रोथ को लेकर आरबीआइ चिंतित है। इसमें सिर्फ 16 फीसद की वृद्धि का अनुमान लगाया है। इसी तरह से कर्ज आवंटन में 17 फीसद की वृद्धि का अनुमान है। यह अर्थंव्यवस्था की सुस्ती की ओर साफ इशारा कर रहा है। महंगाई पर काबू पाने को लेकर भी आरबीआइ बहुत आश्वस्त नहीं है।

होम लोन ट्रांसफर पर नहीं लगेगा दंड

बहुत जल्द आप आर्थिक जुर्माने से बेफिक्र हो कर अपने महंगे होम लोन को सस्ती दर पर कर्ज देने वाले किसी दूसरे बैंक को ट्रांसफर कर सकते हैं। केंद्रीय बैंक ने फ्लोटिंग दर पर होम लोन ले चुके ग्राहकों को समय से पहले कर्ज चुकाने या किसी दूसरे बैंक में इसे ट्रांसफर करने पर लगने वाले आर्थिक दंड के मौजूदा प्रावधान को पूरी तरह से समाप्त करने का एलान किया है। वैसे कुछ बैंक पहले ही ऐसा कर चुके हैं, लेकिन आरबीआइ ने अब सभी बैंकों को ऐसा करने को कहा है। इस बारे में अलग से दिशानिर्देश जारी किया जाएगा।

''ब्याज दरों में कमी से अर्थव्यवस्था की सुस्ती दूर करने में मदद मिलेगी। लेकिन महंगाई का खतरा अभी बरकरार है। इसलिए निकट भविष्य में दरों में और कटौती की गुंजाइश कम है।''

-डी सुब्बाराव, गवर्नर, आरबीआइ

अर्थव्यवस्था के जोखिम

1-अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी बाजार में तेजी से बढ़ती कच्चे तेल की कीमत

असर: विकास में बाधक और महंगाई बढ़ाने में सहायक

2-राजकोषीय घाटा बढ़ने का खतरा बरकरार

असर : महंगाई और बढ़ेगी

-दूध और दालों की आपूर्ति में असंतुलन बरकरार

असर : खाद्य उत्पादों की महंगाई दर में वृद्धि का दबाव बना रहेगा

3-सरकार की बढ़ी बाजार उधारी से निजी क्षेत्र के कर्ज की संभावनाएं घटेंगी

असर : अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने के जरूरी संसाधन घटेंगे और विकास दर कम हो सकती है

4-चालू खाते के घाटे को पूरा करने के लिए संसाधन कम होंगे

असर : इससे राजकोषीय प्रबंधन गड़बड़ाएगा जो विकास को प्रभावित करेगा

कितनी घटेगी ईएमआइ!

आरबीआइ की ही तरह अगर बैंक भी 20 वाले होम लोन को आधा फीसद सस्ता करते हैं तो ग्राहकों की मासिक किस्त में 32 से 34 रुपये प्रति लाख की कमी आएगी। यानी अगर आपने 20 लाख का होम लोन ले रखा है तो ईएमआइ में 640 से 680 रुपये कम देने पड़ेंगे। इस तरह साल भर की बचत करीब 7,680 से 8,160 रुपये के बीच होगी।

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