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पेट्रोल घाटे की हो सब्सिडी से भरपाई

कच्चे तेल [क्रूड] की अंतरराष्ट्रीय कीमतो मे तेजी के चलते पेट्रोल बिक्री का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। इसकी भरपाई के लिए तेल कंपनियो ने सरकार से सब्सिडी की मांग की है। उनका कहना है कि अगर सरकार ऐसा नही कर सकती, तो उत्पाद शुल्क की दरो मे कटौती करे। प्रति लीटर पेट्रोल पर 14.78 रुपये उत्पाद शुल्क लगता है।

By Edited By: Published: Thu, 10 May 2012 08:25 PM (IST)Updated: Thu, 10 May 2012 09:30 PM (IST)
पेट्रोल घाटे की हो सब्सिडी से भरपाई

नई दिल्ली। कच्चे तेल [क्रूड] की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेजी के चलते पेट्रोल बिक्री का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। इसकी भरपाई के लिए तेल कंपनियों ने सरकार से सब्सिडी की मांग की है। उनका कहना है कि अगर सरकार ऐसा नहीं कर सकती, तो उत्पाद शुल्क की दरों में कटौती करे। प्रति लीटर पेट्रोल पर 14.78 रुपये उत्पाद शुल्क लगता है।

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सार्वजनिक क्षेत्र की तीनों तेल मार्केटिंग कंपनियों- इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम को पेट्रोल की बिक्री पर प्रति लीटर 8.60 रुपये का नुकसान हो रहा है। दिल्ली में इसकी खुदरा कीमत फिलहाल 65.64 रुपये है। पेट्रोलियम राज्य मंत्री आरपीएन सिंह ने गुरुवार को लोकसभा में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पेट्रोल पर अंडर रिकवरी [लागत से कम पर बेचने से घाटा] इस समय 7.17 रुपये प्रति लीटर है। इसमें 20 फीसद स्थानीय कर और वैट जोड़ने के बाद कीमतों में 8.60 रुपये प्रति लीटर वृद्धि की जरूरत है।

तेल कंपनियों ने पिछले साल दिसंबर में कीमतों में संशोधन किया था। उसके बाद पांच राज्यों के विधासभा चुनाव और संसद का बजट सत्र होने के चलते सरकार पेट्रोल के दाम बढ़ाने की इजाजत कंपनियों को नहीं दे रही है। इसे जून, 2010 में सरकारी नियंत्रणमुक्त कर दिया गया था। दिसंबर, 2011 में अंतरराष्ट्रीय बाजार मेंकच्चे तेल का दाम 109.30 डॉलर प्रति बैरल था। इसके बाद यह करीब 120 डॉलर प्रति बैरल तक जा पहुंचा।

सिंह ने बताया कि तेल कंपनियों की मांग है कि पेट्रोल को अस्थाई तौर पर नियंत्रित उत्पाद की श्रेणी में डाल दिया जाए और उन्हें नकद सब्सिडी दी जाए। लागत के मुकाबले कम कीमत पर पेट्रोल की बिक्री से वित्त वर्ष 2011-12 में तेल कंपनियों को 4,859 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। सरकार नियंत्रित कीमत पर पेट्रो उत्पादों [डीजल, रसोई गैस और केरोसीन सहित] की बिक्री से इस दौरान कंपनियों को 1,38,541 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है। इसमें से सरकार ने सिर्फ 45 हजार करोड़ रुपये की ही नकद सब्सिडी दी है।

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