अगले हफ्ते होगा पेट्रो मूल्य वृद्धि पर फैसला
राजनीति ने अभी तो आपको पेट्रो उत्पादों में मूल्य वृद्धि से बचा लिया, लेकिन आगे भी ऐसा होगा कहना मुश्किल है। केंद्र सरकार ने राजनीतिक वजहों को देखते हुए शुक्रवार को सरकारी तेल कंपनियों को पेट्रोल, डीजल सहित अन्य उत्पादों की खुदरा कीमत में वृद्धि करने की इजाजत नहीं दी। यह वृद्धि अब अगले हफ्ते हो सकती है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राजनीति ने अभी तो आपको पेट्रो उत्पादों में मूल्य वृद्धि से बचा लिया, लेकिन आगे भी ऐसा होगा कहना मुश्किल है। केंद्र सरकार ने राजनीतिक वजहों को देखते हुए शुक्रवार को सरकारी तेल कंपनियों को पेट्रोल, डीजल सहित अन्य उत्पादों की खुदरा कीमत में वृद्धि करने की इजाजत नहीं दी। यह वृद्धि अब अगले हफ्ते हो सकती है।
पेट्रो उत्पादों के महंगा होने की खबरों के बीच पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री जयपाल रेड्डी ने स्पष्ट किया कि मूल्य वृद्धि को फिलहाल टाल दिया गया है। उन्होंने यह स्वीकार किया कि इससे ज्यादा दिनों तक बचा नहीं जा सकता। पेट्रो उत्पादों की कीमत बढ़ाने संबंधी एक कैबिनेट नोट राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीपीए) को भेजा गया है। इसमें डीजल और केरोसीन की मूल्य वृद्धि के साथ ही 50 हजार रुपये प्रति माह आय वाले सभी व्यक्तियों को सब्सिडी वाली रसोई गैस सिलेंडर की आपूर्ति रोकने की बात भी शामिल है। अन्य सभी आयकर दाताओं के लिए भी सब्सिडी वाली गैस की आपूर्ति सीमित करने की बात है। चूंकि नीतियों के मुताबिक पेट्रोल कीमत कंपनियां तय करती हैं, इसलिए इसका जिक्र कैबिनेट नोट में नहीं किया गया है।
सूत्रों का कहना है कि शुक्रवार को ही संसद का मानूसन सत्र खत्म हुआ है। कोयला घोटाले को लेकर केंद्र सरकार वैसे ही बैकफुट पर है। ऐसे में सरकार पेट्रो उत्पादों को महंगा कर विपक्षी दलों को आंदोलन जारी रखने का एक और मौका नहीं देना चाहती। रेड्डी ने कहा भी 'ईधन कीमत बढ़ने को लेकर कई बार राजनीति आर्थिक मुद्दे पर हावी हो जाती है। संबंधित विभाग का मंत्री होने के नाते मैंने सभी तथ्य कैबिनेट नोट में रख दिए हैं।'
सरकारी तेल कंपनियों ने पिछले दिनों पेट्रोलियम मंत्री के सामने एक बैठक में अपनी समस्याओं को रखा था। कंपनियों ने यहां तक कहा कि सितंबर-अक्टूबर से उन्हें सामान्य कारोबार के लिए कर्ज भी नहीं मिल सकेगा। तेल कंपनियों को इस समय पेट्रोल पर पांच रुपये, डीजल पर 19.26 रुपये व केरोसीन पर 34 रुपये प्रति लीटर का घाटा हो रहा है। कंपनियों को रसोई गैस पर उन्हें 357 रुपये प्रति सिलेंडर का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
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