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उपज में भारी अंतर पर पीएम ने जताई चिंता

खेत और प्रयोगशालाओं की उपज में भारी अंतर पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चिंता जताते हुए सरकारी प्रणालीगत खामियों को जमकर कोसा। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों की उपलब्धियों को सराहते हुए जहां उनकी पीठ ठोंकी वहीं सरकारी मशीनरी में सुधार लाने की अपील भी की। प्रधानमंत्री सोमवार को यहां भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे।

By Edited By: Published: Mon, 20 Feb 2012 04:15 PM (IST)Updated: Mon, 20 Feb 2012 07:49 PM (IST)
उपज में भारी अंतर पर पीएम ने जताई चिंता

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। खेत और प्रयोगशालाओं की उपज में भारी अंतर पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चिंता जताते हुए सरकारी प्रणालीगत खामियों को जमकर कोसा। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों की उपलब्धियों को सराहते हुए जहां उनकी पीठ ठोंकी वहीं सरकारी मशीनरी में सुधार लाने की अपील भी की। प्रधानमंत्री सोमवार को यहां भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे।

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ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में कृषि क्षेत्र की औसत साढ़े तीन फीसद की विकास दर पर प्रधानमंत्री ने संतोष जताते हुए किसानों को सराहा। लेकिन वैज्ञानिक उपलब्धियों का दोहन न कर पाने पर प्रशासनिक तंत्र की विफलता के लेकर उन्होंने गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि खाद्यान्न की मांग को पूरा करने के लिए चार फीसदी या उससे अधिक की कृषि विकास दर हासिल करनी होगी।

अनुमान है कि अगले दस सालों में पांच करोड़ टन अतिरिक्त अनाज की जरूरत पड़ेगी। उत्पादकता के अंतर को घटाना प्रशासनिक जिम्मेदारी है। इसलिए खेती की रणनीति को और प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कृषि बाजार की दशा को किसानों के अनुकूल बनाने की नीतिगत पहल का फायदा हो रहा है। यही वजह है कि चालू फसल वर्ष में 25 करोड़ टन से अधिक अनाज का उत्पादन का अनुमान है।

कृषि अनुसंधान क्षेत्र को और उन्नत बनाने के लिए उस पर सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] का कम से कम दो फीसद खर्च होना चाहिए, जो वर्तमान में केवल एक फीसद ही है। प्रधानमंत्री ने इसके लिए निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ाने पर जोर दिया। सीमित जमीन और जल से ही खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाना है, जिसके लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी ही एकमात्र साधन हो सकता है।

देश की बड़ी आबादी को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के लिए फल, सब्जी, दूध, अंडा और मांस का उत्पादन बढ़ाने पर जोर देना होगा। प्रधानमंत्री ने कृषि प्रसार सेवाओं को और मजबूत बनाने की जरूरत बताई। उन्होंने इस पर अपनी चिंता जताते हुए कहा कि यह पहले जैसी मजबूत नहीं रह गई हैं।

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