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औद्योगिक आंकड़ों में संशोधन चक्कर डालने वाला

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को कहा कि जनवरी के औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों में जिस तरह का बढ़ा संशोधन हुआ वह चक्कर में डालने वाला है और उन्होंने संबद्ध अधिकारियों से इस मामले की जाच करने के लिए कहा है।

By Edited By: Published: Fri, 13 Apr 2012 06:50 PM (IST)Updated: Fri, 13 Apr 2012 06:59 PM (IST)
औद्योगिक आंकड़ों में संशोधन चक्कर डालने वाला

नई दिल्ली। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को कहा कि जनवरी के औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों में जिस तरह का बढ़ा संशोधन हुआ वह चक्कर में डालने वाला है और उन्होंने संबद्ध अधिकारियों से इस मामले की जांच करने के लिए कहा है।

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उल्लेखनीय है कि जनवरी के लिए औद्योगिक उत्पादन सूचकांक [आईआईपी] की वृद्धि दर पहले घोषित 6.8 फीसद से घटा कर 1.1 फीसद कर दी गई है।

मुखर्जी ने इस संबंध में बताया कि यदि 0.2 फीसद के आंकड़े को 0.1 फीसद आंका जाता है तो इस गलती को मैं समझ सकता हूं लेकिन 6.8 से 1.1 फीसद होना चक्कर में डालने वाला है। उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि सरकारी आंकड़ों की सच्चाई को चुनौती नहीं मिले। मैंने संबद्ध अधिकारियों से पूछा है कि वे इसकी जांच करें कि ऐसा क्यों हुआ है और भविष्य में वे ज्यादा सतर्क रहें।

सांख्यिकी एवं योजना कार्यान्वयन मंत्रालय ने कल औद्योगिक उत्पादन सूचकांक [आईआईपी] में वृद्धि के जनवरी के आंकड़े को 6.8 फीसद से संशोधित कर 1.14 फीसद कर दिया। यह नौबत आलोच्य महीने में चीनी के उत्पादन की गलत प्रविष्टि कारण बताई गई है।

मुख्य सांख्यिकीकार टी सी ए अनंत ने सफाई दी कि उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय से जुड़े चीनी महानिदेशालय ने जनवरी,12 के चीनी के उत्पादन के बारे में गलत आंकड़े उपलब्ध कराए जिससे जिसके चलते यह नौबत आई।

अनंत के मुताबिक जनवरी 2012 के आईआईपी के आंकड़े जारी होने के बाद पाया गया कि चीनी उत्पादन वास्ताविक आंकड़ा 58.09 लाख टन है जबकि आकलन में 134.08 लाख टन का आंकड़ा शामिल था। उन्होंने कहा था कि इसके अलावा अन्य एजेंसियों से मिले आंकड़ों में थोड़े बहुत संशोधन कारण गत जनवरी का आईआईपी 187.9 से घटाकर 177.9 कर दिया गया। साथ ही अप्रैल से जनवरी [2011-12] के दौरान औद्योगिक वृद्धि को संशोधित कर चार फीसद 3.4 फीसद कर दिया गया।

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